तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने CPM केंद्रीय समिति के दिवंगत सदस्य एमएम लॉरेंस के अंतिम विश्राम स्थल विवाद में हस्तक्षेप करते हुए आदेश दिया है कि उनके शव को आगे के विचार तक शवगृह में रखा जाए. यह निर्णय उनकी बेटी आशा द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद आया है.
याचिका में शव को कलमस्सेरी मेडिकल कॉलेज में ट्ंरासफर करने का विरोध किया गया था. कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या लॉरेंस ने अपने शरीर को मेडिकल कॉलेज को दान करने के लिए स्पष्ट सहमति दी थी. इस पर आशा ने दस्तावेजों पर सहमति की कमी के बारे में चिंता जताई.
पैरिश के सदस्य थे लॉरेंस
उन्होंने कहा कि उनके पिता पैरिश के सदस्य बने रहे और उनकी दिवंगत पत्नी के शरीर का अंतिम संस्कार चर्च के रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया था. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लॉरेंस एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति थे, लेकिन उनके फिजिकल बॉडी को राजनीतिक निर्णयों के अधीन नहीं किया जाना चाहिए.
धोखे से किया अंतिम संस्कार
कोर्ट ने लॉरेंस के दो बेटों की दलीलें भी सुनीं, जिन्होंने शव को मेडिकल जांच के लिए सौंपने के फैसले का समर्थन किया, जो करीबी रिश्तेदारों और पार्टी के सदस्यों द्वारा व्यक्त की गई इच्छाओं के अनुरूप था. हालांकि, आशा ने तर्क दिया कि यह निर्णय पार्टी के दबाव से प्रभावित था.
हाई कोर्ट का सुझाव
अदालत ने सुझाव दिया कि शव के संबंध में आगे की कोई भी कार्रवाई एनाटॉमी अधिनियम के अनुसार होनी चाहिए, ताकि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले सभी पक्षों की दलीलों पर विचार किया जा सके. इसके अतिरिक्त, आशा ने स्थिति के आसपास के तनाव को उजागर करते हुए, कटरीकाडव चर्च में अंतिम संस्कार के लिए पुलिस सुरक्षा का अनुरोध किया है. बता दें कि लॉरेंस का शनिवार दोपहर निमोनिया के इलाज के दौरान निधन हो गया.
बता दें कि वरिष्ठ सीपीआईएम नेता एमएम लॉरेंस का शनिवार को निधन हो गया था. वह 95 वर्ष के थे. उनकी मृत्यु एक निजी अस्पताल में हुई, जहां वह करीब एक महीने से उम्र संबंधी बीमारियों का इलाज करा रहे थे.
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