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कार्ति चिदंबरम ने चीनी नागरिकों के वीजा मामले में 50 लाख रुपये की रिश्वत ली : ईडी - Karti Chidambaram took Rs 50L bribe

Karti Chidambaram, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम पर ईडी ने वीजा मामले में 50 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है. बयान में दावा किया गया कि मामले में कंपनी ने फर्जी सेवाओं की आड़ में एंट्री ऑपरेटर को चेक के माध्यम से 50 लाख रुपये का भुगतान किया.

Karti Chidambaram took bribe of Rs 50 lakh in visa case of Chinese citizens
कार्ति चिदंबरम ने चीनी नागरिकों के वीजा मामले में 50 लाख रुपये की रिश्वत ली
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By PTI

Published : Mar 21, 2024, 6:45 PM IST

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक कंपनी के चीनी कर्मचारियों को पुन: वीजा दिलाने के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी के लिए करीबी सहयोगी के माध्यम से 50 लाख रुपये की रिश्वत ली. यह कंपनी पंजाब में बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी. ईडी ने दावा किया कि रिश्वत की यह रकम लेनदेन के जरिये एक कंपनी में निवेश की गयी, जहां कार्ति चिदंबरम निदेशक थे और उनका नियंत्रण था.

कार्ति चिदंबरम (52) तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से लोकसभा सदस्य हैं. एजेंसी इस मामले में कई बार उनका बयान दर्ज कर चुकी है. संघीय एजेंसी ने कार्ति चिदंबरम, उनके द्वारा प्रवर्तित कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, उनके कथित करीबी सहयोगी और अकाउंटेंट एस भास्कररमन, तलवंडी साबो पावर लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दाखिल एक आरोपपत्र में ये आरोप लगाए है. चीनी कर्मचारी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड में तैनात थे.

दिल्ली में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष अदालत ने 19 मार्च को अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लिया. अदालत ने कार्ति चिदंबरम सहित आरोपपत्र में नामजद सभी आरोपियों को 15 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया है. अन्य आरोपियों में पद्म दुगर, विकास मखरिया, मंसूर सिद्दीकी और दुगर हाउसिंग लिमिटेड शामिल हैं.

ईडी ने कहा कि जांच में पता चला कि 'कार्ति चिदंबरम ने पंजाब के मनसा में बिजली परियोजना स्थापित कर रही तलवंडी साबो पावर लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा चीनी वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी प्राप्त करने के लिए अपने करीबी सहयोगी एस भास्कररमन के माध्यम से 50 लाख रुपये की अवैध रिश्वत ली थी.' ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया, 'कंपनी के अधिकारियों ने गृह मंत्रालय से वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी लेने के लिए कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया, जहां उनके पिता गृह मंत्री (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम) थे.'

बयान में दावा किया गया कि मामले में कंपनी ने फर्जी सेवाओं की आड़ में एंट्री ऑपरेटर को चेक के माध्यम से 50 लाख रुपये का भुगतान किया. एजेंसी ने आरोप लगाया, 'एंट्री ऑपरेटर ने बदले में कार्ति चिदंबरम के करीबी सहयोगी एस भास्कररमन को 50 लाख रुपये नकद दिए और बाद में उन्होंने 50 लाख रुपये की इस नकदी को कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में निवेश कर दिया.'

ईडी ने दावा किया कि निवेश किए गए 50 लाख रुपये का मूल्य समय के साथ बढ़कर 1.59 करोड़ रुपये हो गया. ईडी ने कहा कि यह रकम पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार 'अपराध से अर्जित आय' है. सांसद ने पूर्व में कहा था कि इस मामले में ईडी की जांच अपुष्ट तथ्यों पर आधारित है और उन्होंने एजेंसी को सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं. कार्ति ने इस मामले को आधारहीन बताते हुए कहा था कि 'उन्होंने 250 क्या, एक भी चीनी नागरिक को वीजा प्रक्रिया में मदद नहीं की.' कार्ति ने कहा था कि यह मामला उनके जरिए उनके पिता पी चिदंबरम को निशाना बनाने की कोशिश है. ईडी का धन शोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है.

ये भी पढ़ें - तमिलनाडु: ED की अन्नाद्रमुक नेता विजय भास्कर के परिसरों पर छापेमारी

नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने एक कंपनी के चीनी कर्मचारियों को पुन: वीजा दिलाने के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी के लिए करीबी सहयोगी के माध्यम से 50 लाख रुपये की रिश्वत ली. यह कंपनी पंजाब में बिजली संयंत्र स्थापित कर रही थी. ईडी ने दावा किया कि रिश्वत की यह रकम लेनदेन के जरिये एक कंपनी में निवेश की गयी, जहां कार्ति चिदंबरम निदेशक थे और उनका नियंत्रण था.

कार्ति चिदंबरम (52) तमिलनाडु की शिवगंगा सीट से लोकसभा सदस्य हैं. एजेंसी इस मामले में कई बार उनका बयान दर्ज कर चुकी है. संघीय एजेंसी ने कार्ति चिदंबरम, उनके द्वारा प्रवर्तित कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, उनके कथित करीबी सहयोगी और अकाउंटेंट एस भास्कररमन, तलवंडी साबो पावर लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दाखिल एक आरोपपत्र में ये आरोप लगाए है. चीनी कर्मचारी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड में तैनात थे.

दिल्ली में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत विशेष अदालत ने 19 मार्च को अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लिया. अदालत ने कार्ति चिदंबरम सहित आरोपपत्र में नामजद सभी आरोपियों को 15 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया है. अन्य आरोपियों में पद्म दुगर, विकास मखरिया, मंसूर सिद्दीकी और दुगर हाउसिंग लिमिटेड शामिल हैं.

ईडी ने कहा कि जांच में पता चला कि 'कार्ति चिदंबरम ने पंजाब के मनसा में बिजली परियोजना स्थापित कर रही तलवंडी साबो पावर लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा चीनी वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी प्राप्त करने के लिए अपने करीबी सहयोगी एस भास्कररमन के माध्यम से 50 लाख रुपये की अवैध रिश्वत ली थी.' ईडी ने एक बयान में आरोप लगाया, 'कंपनी के अधिकारियों ने गृह मंत्रालय से वीजा के पुन: उपयोग की मंजूरी लेने के लिए कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया, जहां उनके पिता गृह मंत्री (कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम) थे.'

बयान में दावा किया गया कि मामले में कंपनी ने फर्जी सेवाओं की आड़ में एंट्री ऑपरेटर को चेक के माध्यम से 50 लाख रुपये का भुगतान किया. एजेंसी ने आरोप लगाया, 'एंट्री ऑपरेटर ने बदले में कार्ति चिदंबरम के करीबी सहयोगी एस भास्कररमन को 50 लाख रुपये नकद दिए और बाद में उन्होंने 50 लाख रुपये की इस नकदी को कार्ति चिदंबरम द्वारा नियंत्रित कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड में निवेश कर दिया.'

ईडी ने दावा किया कि निवेश किए गए 50 लाख रुपये का मूल्य समय के साथ बढ़कर 1.59 करोड़ रुपये हो गया. ईडी ने कहा कि यह रकम पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार 'अपराध से अर्जित आय' है. सांसद ने पूर्व में कहा था कि इस मामले में ईडी की जांच अपुष्ट तथ्यों पर आधारित है और उन्होंने एजेंसी को सभी दस्तावेज सौंप दिए हैं. कार्ति ने इस मामले को आधारहीन बताते हुए कहा था कि 'उन्होंने 250 क्या, एक भी चीनी नागरिक को वीजा प्रक्रिया में मदद नहीं की.' कार्ति ने कहा था कि यह मामला उनके जरिए उनके पिता पी चिदंबरम को निशाना बनाने की कोशिश है. ईडी का धन शोधन मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है.

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