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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पति पर लगाया 50,000 का जुर्माना, पत्नी को साबित करना चाहता मानसिक रूप से बीमार - Karnataka High Court

Karnataka High Court, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मामले में पति पर 50,000 का जुर्माना लगाया है, जिसने अपनी पत्नी को मानसिक तौर पर बीमार साबित करने का प्रयास किया. बता दें कि पति और पत्नी के बीच अनबन के चलते पति ने तलाक की अर्जी दाखिल की थी.

Karnataka High Court
कर्नाटक उच्च न्यायालय
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 18, 2024, 10:18 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपनी पत्नी को मानसिक रूप से बीमार बताने पर पति को 50,000 रुपये मुआ1वजा देने का आदेश दिया है. पति ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि उसकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार है. पति ने मांग की कि उसे शहर में निम्हांस के मनोचिकित्सक से इलाज कराने का निर्देश दिया जाए. जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज कर मुआवजा देने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पति तलाक का कारण पत्नी की मानसिक बीमारी बताता है. उन्होंने यह भी दर्शाने की कोशिश की है कि उनकी पत्नी की मानसिक स्थिति महज 11 साल और 8 महीने की है (जैसा मानसिकता सिर्फ 11 साल और 8 महीने के बच्चे की है). इसके अलावा, पति का यह तर्क कि पत्नी मानसिक रूप से विकसित नहीं हुई है, स्वीकार्य नहीं है.'

पीठ ने कहा कि 'इसके अलावा, क्रूरता का आरोप लगाते हुए फैमिली कोर्ट में मूल याचिका दायर की गई थी. लेकिन पत्नी की मानसिक स्थिति का उल्लेख नहीं किया गया था.' एचसी पीठ ने कहा कि 'साथ ही पारिवारिक अदालतें किसी व्यक्ति को इलाज के लिए निर्देशित कर सकती हैं. लेकिन ऐसा आवेदन प्राप्त होते ही आदेश जारी करने की अनुमति नहीं है.'

क्या है पूरा मामला: बेंगलुरु शहर के रहने वाले इस जोड़े ने नवंबर 2020 में शादी की. पति-पत्नी के बीच अनबन के चलते पत्नी ने शादी के तीन महीने के भीतर ही अपने पति का घर छोड़ दिया. इसके अलावा, पत्नी ने दहेज उत्पीड़न के आरोप में जून 2022 में केपी अग्रहारा पुलिस स्टेशन में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

इस बीच, पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर आरोप लगाया कि वह अपनी पत्नी से मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहा है. इसके अलावा, 15 मार्च, 2023 को पति ने पारिवारिक अदालत में एक अंतरिम आवेदन दायर कर अनुरोध किया कि पत्नी को एनआईएमएचएएनएस अस्पताल में मनोचिकित्सक से इलाज कराने का निर्देश दिया जाए, क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.

याचिका पर सुनवाई करने वाली अदालत ने पत्नी की मानसिक क्षमता के दस्तावेजों की जांच के बाद इसे खारिज कर दिया. इसे चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता (पति) के वकील ने दलील दी कि 'ऐसे रिकॉर्ड हैं कि पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. जब पत्नी का इलाज विक्टोरिया अस्पताल में बाह्य रोगी के रूप में किया गया, तो पत्नी की जांच करने वाले डॉक्टर ने बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी की मानसिक स्थिति केवल 11 वर्ष और 8 महीने की थी.'

वकील ने कहा कि 'इस वजह से तलाक दिया जा सकता है.' इसके जवाब में महिला के वकील ने कई दस्तावेज दाखिल किए और कहा कि 'मेरे क्लाइंट एक गायक हैं. इसके अलावा, वह एक शिक्षिका भी हैं और उन्होंने कई तकनीकी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं.'

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपनी पत्नी को मानसिक रूप से बीमार बताने पर पति को 50,000 रुपये मुआ1वजा देने का आदेश दिया है. पति ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि उसकी पत्नी मानसिक रूप से बीमार है. पति ने मांग की कि उसे शहर में निम्हांस के मनोचिकित्सक से इलाज कराने का निर्देश दिया जाए. जस्टिस एम नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज कर मुआवजा देने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा कि 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पति तलाक का कारण पत्नी की मानसिक बीमारी बताता है. उन्होंने यह भी दर्शाने की कोशिश की है कि उनकी पत्नी की मानसिक स्थिति महज 11 साल और 8 महीने की है (जैसा मानसिकता सिर्फ 11 साल और 8 महीने के बच्चे की है). इसके अलावा, पति का यह तर्क कि पत्नी मानसिक रूप से विकसित नहीं हुई है, स्वीकार्य नहीं है.'

पीठ ने कहा कि 'इसके अलावा, क्रूरता का आरोप लगाते हुए फैमिली कोर्ट में मूल याचिका दायर की गई थी. लेकिन पत्नी की मानसिक स्थिति का उल्लेख नहीं किया गया था.' एचसी पीठ ने कहा कि 'साथ ही पारिवारिक अदालतें किसी व्यक्ति को इलाज के लिए निर्देशित कर सकती हैं. लेकिन ऐसा आवेदन प्राप्त होते ही आदेश जारी करने की अनुमति नहीं है.'

क्या है पूरा मामला: बेंगलुरु शहर के रहने वाले इस जोड़े ने नवंबर 2020 में शादी की. पति-पत्नी के बीच अनबन के चलते पत्नी ने शादी के तीन महीने के भीतर ही अपने पति का घर छोड़ दिया. इसके अलावा, पत्नी ने दहेज उत्पीड़न के आरोप में जून 2022 में केपी अग्रहारा पुलिस स्टेशन में अपने पति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई.

इस बीच, पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर आरोप लगाया कि वह अपनी पत्नी से मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहा है. इसके अलावा, 15 मार्च, 2023 को पति ने पारिवारिक अदालत में एक अंतरिम आवेदन दायर कर अनुरोध किया कि पत्नी को एनआईएमएचएएनएस अस्पताल में मनोचिकित्सक से इलाज कराने का निर्देश दिया जाए, क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है.

याचिका पर सुनवाई करने वाली अदालत ने पत्नी की मानसिक क्षमता के दस्तावेजों की जांच के बाद इसे खारिज कर दिया. इसे चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता (पति) के वकील ने दलील दी कि 'ऐसे रिकॉर्ड हैं कि पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. जब पत्नी का इलाज विक्टोरिया अस्पताल में बाह्य रोगी के रूप में किया गया, तो पत्नी की जांच करने वाले डॉक्टर ने बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी की मानसिक स्थिति केवल 11 वर्ष और 8 महीने की थी.'

वकील ने कहा कि 'इस वजह से तलाक दिया जा सकता है.' इसके जवाब में महिला के वकील ने कई दस्तावेज दाखिल किए और कहा कि 'मेरे क्लाइंट एक गायक हैं. इसके अलावा, वह एक शिक्षिका भी हैं और उन्होंने कई तकनीकी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं.'

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