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कर्नाटक के राज्यपाल ने स्पष्टीकरण मांगते हुए मंदिर विधेयक सरकार को वापस लौटाया - Karnataka Assembly - KARNATAKA ASSEMBLY

Karnataka Assembly, कर्नाटक विधानसभा में हाल ही में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पास किया गया था. लेकिन विपक्ष ने कड़े विरोध के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेज दिया. राज्यपाल ने इस संशोधन विधेयक को सरकार को वापस भेज दिया है.

Governor of Karnataka
कर्नाटक के राज्यपाल
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 21, 2024, 4:27 PM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक के राज्यपाल ने मंदिरों से आने वाले धन को सामान्य संग्रह निधि में एकत्रित करने का संशोधन विधेयक सरकार को वापस भेज दिया है. विपक्ष के कड़े विरोध के बीच सरकार ने पिछले महीने बजट सत्र में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया.

बाद में विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 14 मार्च को और स्पष्टीकरण मांगते हुए विधेयक को वापस भेज दिया. राजभवन कार्यालय ने अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ विधेयक को राज्यपाल के कार्यालय में फिर से जमा करने की बात कही.

राज्यपाल द्वारा बिल वापस भेजने का क्या कारण है?: उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ पहले ही कर्नाटक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 और 2011 और 2012 में किए गए संशोधनों को रद्द कर चुकी है. धारवाड़ उच्च न्यायालय पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की.

सुप्रीम कोर्ट ने धारवाड़ हाई कोर्ट बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्यपाल ने मामले की सुनवाई अंतिम चरण में होने का हवाला देते हुए राज्य सरकार से अधिक जानकारी मांगी है. इस बारे में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान इस संबंध में कोई संशोधन विधेयक लाया जा सकता है.

उन्होंने सवाल किया है और अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण मांगा है कि उच्च न्यायालय पहले ही इस पहले अधिनियम को रद्द कर चुका है, और अब जब अपील की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अंतिम चरण में है, तो क्या इसमें संशोधन किया जा सकता है.

क्या आप अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करेंगे?: संशोधन विधेयक को लेकर पूछे गए स्पष्टीकरण में राज्यपाल ने राज्य सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करते हुए कोई विधेयक बनाने का विचार है. राजभवन के अधिकारियों ने सरकार से कहा है कि वह अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ वापस भेजे गए संशोधन विधेयक को राज्यपाल के पास दोबारा जमा करे.

इस बिल पर विपक्षी बीजेपी ने दोनों सदनों में कड़ी आपत्ति जताई थी. विधेयक को परिषद में वोट दिया गया. बाद में कांग्रेस सरकार ने इसे दूसरी बार विधानसभा और विधान परिषद में पेश किया और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद इसे मंजूरी दिला दी. कर्नाटक मंदिर महासंघ ने इस बिल को खारिज करने के लिए राज्यपाल को याचिका सौंपी थी.

बेंगलुरु: कर्नाटक के राज्यपाल ने मंदिरों से आने वाले धन को सामान्य संग्रह निधि में एकत्रित करने का संशोधन विधेयक सरकार को वापस भेज दिया है. विपक्ष के कड़े विरोध के बीच सरकार ने पिछले महीने बजट सत्र में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया.

बाद में विधेयक को राज्यपाल की सहमति के लिए राजभवन भेजा गया. राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने 14 मार्च को और स्पष्टीकरण मांगते हुए विधेयक को वापस भेज दिया. राजभवन कार्यालय ने अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ विधेयक को राज्यपाल के कार्यालय में फिर से जमा करने की बात कही.

राज्यपाल द्वारा बिल वापस भेजने का क्या कारण है?: उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ पहले ही कर्नाटक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 और 2011 और 2012 में किए गए संशोधनों को रद्द कर चुकी है. धारवाड़ उच्च न्यायालय पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की.

सुप्रीम कोर्ट ने धारवाड़ हाई कोर्ट बेंच के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्यपाल ने मामले की सुनवाई अंतिम चरण में होने का हवाला देते हुए राज्य सरकार से अधिक जानकारी मांगी है. इस बारे में और स्पष्टीकरण की आवश्यकता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के दौरान इस संबंध में कोई संशोधन विधेयक लाया जा सकता है.

उन्होंने सवाल किया है और अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण मांगा है कि उच्च न्यायालय पहले ही इस पहले अधिनियम को रद्द कर चुका है, और अब जब अपील की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में अंतिम चरण में है, तो क्या इसमें संशोधन किया जा सकता है.

क्या आप अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करेंगे?: संशोधन विधेयक को लेकर पूछे गए स्पष्टीकरण में राज्यपाल ने राज्य सरकार से यह भी सवाल किया कि क्या अन्य धार्मिक संस्थानों को शामिल करते हुए कोई विधेयक बनाने का विचार है. राजभवन के अधिकारियों ने सरकार से कहा है कि वह अधिक जानकारी और स्पष्टीकरण के साथ वापस भेजे गए संशोधन विधेयक को राज्यपाल के पास दोबारा जमा करे.

इस बिल पर विपक्षी बीजेपी ने दोनों सदनों में कड़ी आपत्ति जताई थी. विधेयक को परिषद में वोट दिया गया. बाद में कांग्रेस सरकार ने इसे दूसरी बार विधानसभा और विधान परिषद में पेश किया और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद इसे मंजूरी दिला दी. कर्नाटक मंदिर महासंघ ने इस बिल को खारिज करने के लिए राज्यपाल को याचिका सौंपी थी.

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