ETV Bharat / bharat

कारगिल युद्ध : कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों और उनकी टीम ने किए थे 2000 से अधिक बम निष्क्रिय - KARGIL VIJAY DIWAS

Kargil Vijay Diwas 25th Anniversary, कारगिल युद्ध के दौरान देश के कई जवानों ने बलिदान देकर पाकिस्तान को हराकर जीत का परचम लहराया था. इस दौरान युद्ध लड़ रहे सभी सैनिकों ने अहम भूमिका निभाई थी. इन्हीं में से एक कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों भी थे, जिन्होंने खुद व उनकी टीम ने लगभग 2000 बमों को निष्क्रिय कर दिया था. पढ़िए पूरी खबर...

Colonel Darshan Singh Dhillon and his team had defused more than 2000 bombs
कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों व उनकी टीम ने 2000 से अधिक बम निष्क्रिय किए थे (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 3:28 PM IST

लुधियाना: देशभर में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए कारगिल गए, वहीं राज्य और जिला स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन कर देश के लिए बलिदान दने वाले सैनिकों को याद किया जा रहा है.

कारगिल युद्ध में हर सैनिक की अहम भूमिका थी, जिनमें कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों भी शामिल थे, जो उस समय बम निरोधक दस्ते में तैनात थे. इस दौरान ढिल्लों और उनकी टीम ने दुश्मन के द्वारा फेंके गए करीब 2000 बमों को निष्क्रिय करके सेना तक राशन और गोला-बारूद पहुंचाने के मार्ग को बचाया था. इतना ही नहीं युद्ध खत्म होने के एक वर्ष बाद भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे.

Colonel Darshan Singh and his team defused Pakistani bombs
कर्नल दर्शन सिंह व उनकी टीम ने पाकिस्तानी बमों को निष्क्रिय किया (ETV Bharat)

कारगिल युद्ध: सेवानिवृत्त कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लो कारगिल युद्ध के महानतम सैनिकों में से एक हैं. कर्नल ढिल्लों ने बताया कि कारगिल युद्ध में जिस तरह के हालात थे, वैसे हालात भारत द्वारा अब तक लड़े गए युद्धों में कभी नहीं थे, क्योंकि दुश्मन ऊंचाई पर बैठा था और उसके पास गोला-बारूद पूरी तरह से था. उन्होंने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन में वायुसेना का ज्यादातर सहयोग मिलता है, लेकिन मौसम अनुकूल न होने और दुश्मन के अधिक ऊंचाई पर होने के कारण जब वायुसेना ने ऑपरेशन शुरू किया तो पहला क्राफ्ट क्रैश हो गया जिसके कारण ऑपरेशन रोकना पड़ा था. तभी भारतीय सेना आगे आई. उन्होंने कहा कि दुश्मन की नजर इतनी साफ थी कि वे हमारे सैनिकों को बहुत आसानी से निशाना बना रहे थे. उनकी योजना यह थी कि यदि वे एक महीने तक लड़ते रहे तो बर्फ गिरना शुरू हो जाएगी और फिर वे उस पर मजबूती से कब्जा कर लेंगे और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे.

बोफोर्स तोप की अहम भूमिका: कर्नल दर्शन ढिल्लों ने कहा कि जब भारत ने बोफोर्स तोप खरीदी तो मीडिया में उसकी काफी आलोचना हुई थी. उन्होंने कहा कि बोफोर्स तोप कारगिल युद्ध में सबसे अधिक उपयोगी थी, जिसने दुश्मन की मिसाइलों को उड़ा दिया था. उनकी रेंज इतनी अच्छी थी कि उन पर वार सीधा होता था. उन्होंने कहा कि उस समय वायुसेना काम नहीं कर सकती थी, क्योंकि दुश्मन और हमारे बीच की दूरी बहुत कम थी. ऐसे में दुश्मन पर हमला करना काफी जोखिम भरा हो सकता था.

The bomb disposal squad played an important role in the Kargil war
कारगिल युद्ध में बम निरोधक दस्ते ने निभाई थी अहम भूमिका (ETV Bharat)

उन्होंने कहा कि एक तरफ बोफोर्स से जहां दुश्मन को हराया गया, वहीं दूसरी तरफ हमारे जवानों ने कारगिल पर विजय पाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि हम नियंत्रण रेखा को पार नहीं कर सकते थे, इस कारण हमारे सामने बड़ी चुनौतियां थीं, लेकिन भारतीय सेना के बहादुर अफसरों के सामने जवानों ने यह युद्ध जीत लिया.

कर्नल ढिल्लों की भूमिका: कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों का कहना है कि उस समय वह सेना का हिस्सा थे और उनकी ड्यूटी बम निरोधक अभियान में थी. उन्होंने कहा कि उस समय हमारी टीम ने करीब 2000 बमों को निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि कारगिल विजय कुछ समय बाद मिली थी, लेकिन विजय के एक साल बाद भी हमारा काम जारी रहा.

ऐसे जीती जंग: दर्शन ढिल्लों ने बताया कि हमारा काम बहुत जोखिम भरा था, क्योंकि हमें अपना हाइवे बचाना था, क्योंकि अगर हाइवे की कनेक्टिविटी टूट जाती तो दुश्मन को बहुत फायदा हो जाता. उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान लगातार दावा करता रहा कि यह आतंकी हमला था, लेकिन बाद में जब उन्होंने अपने अधिकारी शेर खान को सम्मानित किया तो यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से उनके साथ थी. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि पाकिस्तान की सेना पूरी तैयारी के साथ आई थी. उनके पास एंटी क्राफ्ट गन भी थी, जिसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि हमारे दो क्राफ्ट के क्रैश होने की वजह से वायुसेना को मिशन रोकना पड़ा. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि हालांकि युद्ध को 25 साल हो चुके हैं, लेकिन हमें ऐसा लगता है जैसे यह कल की ही बात हो.

The Pakistani army was defeated by the courage of Indian soldiers
भारतीय सैनिकों के साहस से परास्त हुई थी पाक फौज (ETV Bharat)

सरहद पर जीत गए, पर वतन में हार गए: कारगिल विजय दिवस के भले ही आज 25 साल पूरे हो गए हों, लेकिन कर्नल ढिल्लों का कहना है कि आज भी शहीदों के परिवारों को सरकार की ओर से वह मदद मुहैया नहीं कराई गई है, जो की जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए. शहीद जवानों के परिवारों को सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को उन लोगों पर ध्यान देना चाहिए जो हीरो हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि इससे पहले 1971 का युद्ध हुआ था, इसलिए अब बहुत कम नायक बचे हैं, उनकी विधवाओं का भी निधन हो चुका है.

उन्होंने कहा कि युद्ध में ऐसा माहौल होता है कि जब आपका कमांडर एक रात पहले आकर आपसे कहता है कि कल आपको युद्ध के मैदान में जाना है, तो परिवार को आखिरी पत्र पहले ही लिख देना होता है. कर्नल ने बताया कि यह पत्र उन लोगों के घर भेजा जाता है जो युद्ध में शहीद होते हैं. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि 25 साल पहले जो माहौल था, उसमें बहुत बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि सरकारें काम करती हैं, लेकिन अधिकारी परेशान करते हैं. उन्होंने कहा कि हमने सीमा पर युद्ध तो जीत लिया, लेकिन अपने देश के अंदर जरूर हार गए.

ये भी पढ़ें - कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद बोले- हमे रोटी नहीं सिर्फ गोली चाहिए थी, ताकि...

लुधियाना: देशभर में आज कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विजय दिवस समारोह में भाग लेने के लिए कारगिल गए, वहीं राज्य और जिला स्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन कर देश के लिए बलिदान दने वाले सैनिकों को याद किया जा रहा है.

कारगिल युद्ध में हर सैनिक की अहम भूमिका थी, जिनमें कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों भी शामिल थे, जो उस समय बम निरोधक दस्ते में तैनात थे. इस दौरान ढिल्लों और उनकी टीम ने दुश्मन के द्वारा फेंके गए करीब 2000 बमों को निष्क्रिय करके सेना तक राशन और गोला-बारूद पहुंचाने के मार्ग को बचाया था. इतना ही नहीं युद्ध खत्म होने के एक वर्ष बाद भी अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे.

Colonel Darshan Singh and his team defused Pakistani bombs
कर्नल दर्शन सिंह व उनकी टीम ने पाकिस्तानी बमों को निष्क्रिय किया (ETV Bharat)

कारगिल युद्ध: सेवानिवृत्त कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लो कारगिल युद्ध के महानतम सैनिकों में से एक हैं. कर्नल ढिल्लों ने बताया कि कारगिल युद्ध में जिस तरह के हालात थे, वैसे हालात भारत द्वारा अब तक लड़े गए युद्धों में कभी नहीं थे, क्योंकि दुश्मन ऊंचाई पर बैठा था और उसके पास गोला-बारूद पूरी तरह से था. उन्होंने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन में वायुसेना का ज्यादातर सहयोग मिलता है, लेकिन मौसम अनुकूल न होने और दुश्मन के अधिक ऊंचाई पर होने के कारण जब वायुसेना ने ऑपरेशन शुरू किया तो पहला क्राफ्ट क्रैश हो गया जिसके कारण ऑपरेशन रोकना पड़ा था. तभी भारतीय सेना आगे आई. उन्होंने कहा कि दुश्मन की नजर इतनी साफ थी कि वे हमारे सैनिकों को बहुत आसानी से निशाना बना रहे थे. उनकी योजना यह थी कि यदि वे एक महीने तक लड़ते रहे तो बर्फ गिरना शुरू हो जाएगी और फिर वे उस पर मजबूती से कब्जा कर लेंगे और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे.

बोफोर्स तोप की अहम भूमिका: कर्नल दर्शन ढिल्लों ने कहा कि जब भारत ने बोफोर्स तोप खरीदी तो मीडिया में उसकी काफी आलोचना हुई थी. उन्होंने कहा कि बोफोर्स तोप कारगिल युद्ध में सबसे अधिक उपयोगी थी, जिसने दुश्मन की मिसाइलों को उड़ा दिया था. उनकी रेंज इतनी अच्छी थी कि उन पर वार सीधा होता था. उन्होंने कहा कि उस समय वायुसेना काम नहीं कर सकती थी, क्योंकि दुश्मन और हमारे बीच की दूरी बहुत कम थी. ऐसे में दुश्मन पर हमला करना काफी जोखिम भरा हो सकता था.

The bomb disposal squad played an important role in the Kargil war
कारगिल युद्ध में बम निरोधक दस्ते ने निभाई थी अहम भूमिका (ETV Bharat)

उन्होंने कहा कि एक तरफ बोफोर्स से जहां दुश्मन को हराया गया, वहीं दूसरी तरफ हमारे जवानों ने कारगिल पर विजय पाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि हम नियंत्रण रेखा को पार नहीं कर सकते थे, इस कारण हमारे सामने बड़ी चुनौतियां थीं, लेकिन भारतीय सेना के बहादुर अफसरों के सामने जवानों ने यह युद्ध जीत लिया.

कर्नल ढिल्लों की भूमिका: कर्नल दर्शन सिंह ढिल्लों का कहना है कि उस समय वह सेना का हिस्सा थे और उनकी ड्यूटी बम निरोधक अभियान में थी. उन्होंने कहा कि उस समय हमारी टीम ने करीब 2000 बमों को निष्क्रिय किया था. उन्होंने कहा कि कारगिल विजय कुछ समय बाद मिली थी, लेकिन विजय के एक साल बाद भी हमारा काम जारी रहा.

ऐसे जीती जंग: दर्शन ढिल्लों ने बताया कि हमारा काम बहुत जोखिम भरा था, क्योंकि हमें अपना हाइवे बचाना था, क्योंकि अगर हाइवे की कनेक्टिविटी टूट जाती तो दुश्मन को बहुत फायदा हो जाता. उन्होंने कहा कि हालांकि पाकिस्तान लगातार दावा करता रहा कि यह आतंकी हमला था, लेकिन बाद में जब उन्होंने अपने अधिकारी शेर खान को सम्मानित किया तो यह स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से उनके साथ थी. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि पाकिस्तान की सेना पूरी तैयारी के साथ आई थी. उनके पास एंटी क्राफ्ट गन भी थी, जिसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी. उन्होंने कहा कि हमारे दो क्राफ्ट के क्रैश होने की वजह से वायुसेना को मिशन रोकना पड़ा. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि हालांकि युद्ध को 25 साल हो चुके हैं, लेकिन हमें ऐसा लगता है जैसे यह कल की ही बात हो.

The Pakistani army was defeated by the courage of Indian soldiers
भारतीय सैनिकों के साहस से परास्त हुई थी पाक फौज (ETV Bharat)

सरहद पर जीत गए, पर वतन में हार गए: कारगिल विजय दिवस के भले ही आज 25 साल पूरे हो गए हों, लेकिन कर्नल ढिल्लों का कहना है कि आज भी शहीदों के परिवारों को सरकार की ओर से वह मदद मुहैया नहीं कराई गई है, जो की जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए. शहीद जवानों के परिवारों को सम्मान मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को उन लोगों पर ध्यान देना चाहिए जो हीरो हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि इससे पहले 1971 का युद्ध हुआ था, इसलिए अब बहुत कम नायक बचे हैं, उनकी विधवाओं का भी निधन हो चुका है.

उन्होंने कहा कि युद्ध में ऐसा माहौल होता है कि जब आपका कमांडर एक रात पहले आकर आपसे कहता है कि कल आपको युद्ध के मैदान में जाना है, तो परिवार को आखिरी पत्र पहले ही लिख देना होता है. कर्नल ने बताया कि यह पत्र उन लोगों के घर भेजा जाता है जो युद्ध में शहीद होते हैं. कर्नल ढिल्लों ने कहा कि 25 साल पहले जो माहौल था, उसमें बहुत बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि सरकारें काम करती हैं, लेकिन अधिकारी परेशान करते हैं. उन्होंने कहा कि हमने सीमा पर युद्ध तो जीत लिया, लेकिन अपने देश के अंदर जरूर हार गए.

ये भी पढ़ें - कारगिल युद्ध के हीरो दीपचंद बोले- हमे रोटी नहीं सिर्फ गोली चाहिए थी, ताकि...

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.