नासिक: कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ आज पूरे देश में जश्न मनाई जा रही है. देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को आज के दिन याद कर उन्हें सलाम किया जा रहा है. आज ही के दिन देश की आन-बान-शान बने इन शहीदों की गौरवगाथों को दोहराया जा रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कारगिल युद्ध 3 मई, 1999 को शुरू हुआ था और 26 जुलाई को समाप्त हुआ था.
साल 1999 में पाकिस्तानी सेना ने कारगिल क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया था. परिणामी कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को वहां से खदेड़ दिया और कारगिल पर फिर से भारतीय झंडा फहराया गया. 60 दिनों तक चले इस युद्ध में 30 हजार भारतीयों ने लड़ाई लड़ी. इसमें भारतीय सेना के 527 जवानों को शहीद होना पड़ा, जबकि 1363 जवान घायल हुए थे.
कारगिल युद्ध विश्व इतिहास के सबसे ऊंचे युद्धों में से एक है और इस युद्ध में हरियाणा में जन्मे और वर्तमान में नासिक में रहने वाले नायक दीपचंद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कारगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय) में तोलोलिंगा में पहला तोप का गोला दागा था. 26 जुलाई को कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पूरी हो रही है, ऐसे में नायक दीपचंद ने 'ईटीवी भारत' से बात की और कारगिल युद्ध की अपनी यादों को फिर से ताजा किया...
क्यों हुआ था 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च
नायक दीपचंद ने कारगिल युद्ध के बारे में ETV Bharat से करते हुए कहा कि 1999 में नियंत्रण रेखा के पार कश्मीर के कारगिल इलाके में घुसपैठ की साजिश के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार बताया जाता है. भारतीय सेना ने इन घुसपैठियों को जिहादी समझ लिया था और उन्हें खदेड़ने के लिए अपने कुछ सैनिक भेज दिए. प्रतिद्वंद्वियों द्वारा जवाबी हमले और कई इलाकों में घुसपैठियों की मौजूदगी की खबरें थीं. इससे पता चला कि यह वास्तव में एक योजनाबद्ध और बड़े पैमाने पर घुसपैठ थी. इसमें सिर्फ जिहादी ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी. इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' लॉन्च किया था.
12 वीरता पुरस्कारों से भी सम्मानित
नायक दीपचंद ने कहा कि 60 दिनों तक चले इस युद्ध में 30 हजार भारतीय सैनिक लड़े थे. इसमें भारतीय सेना के 527 जवान शहीद हो गए और 1363 जवान घायल हो गए. आखिरकार दो महीने से भी ज्यादा समय तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हरा दिया और 26 जुलाई 1999 को आखिरी शिखर पर जीत हासिल की. यह दिन अब 'कारगिल विजय दिवस' के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि कारगिल युद्ध के दौरान मैंने अपने वरिष्ठों से कहा कि हमें राशन नहीं चाहिए, बल्कि अधिक गोला-बारूद चाहिए. कारगिल युद्ध में हमारी इकाई ने आठ बंदूक स्थिति रेंज बदली और घुसपैठियों पर दस हजार से अधिक राउंड फायर किए. यह एक रिकॉर्ड है और इसके लिए सेना ने हमें 12 वीरता पुरस्कारों से भी सम्मानित किया था. हमारी 'मैरी बटालियन 1889' का नाम इतिहास में अंकित हो गया, मुझे भी इस बात का अफसोस है कि मेरे साथी शहीद हो गए.
कौन हैं नायक दीपचंद पंचग्रामी
नायक दीपचंद पंचग्रामी, हिसार, हरियाणा के रहने वाले हैं. दीपचंद को भारतीय सेना में शामिल होने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रेरणा मिली थी. शुरुआत में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सेना के खुफिया विभाग में काम किया. उन्होंने 'ऑपरेशन रक्षक' में 8 आतंकियों को मार गिराया था. कारगिल युद्ध के बाद पाकिस्तानी आतंकियों ने संसद पर हमला कर दिया था. इसे 'ऑपरेशन पराक्रम' नाम दिया गया. स्टोर अनलोडिंग बम विस्फोट में नायक दीपचंद को अपने दोनों पैर और एक हाथ का बलिदान देना पड़ा. हालांकि, उनके दिल में देशभक्ति की भावना होने के कारण वे फिर से मजबूती से खड़े हो गये. उन्होंने आदर्श सैनिक फाउंडेशन की शुरुआत की. इसके जरिए वे अब देशभर में विकलांग सैनिकों की मदद करते हैं. नायक दीपचंद ने कहा कि अगर भगवान ने मुझे पुनर्जन्म दिया तो मैं देश की सेवा के लिए खुद को बलिदान कर दूंगा.