नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों के नाम बताने पर अंतरिम रोक लगा दी है. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि दुकानदारों को अपनी पहचान उजागर करने की कोई जरूरत नहीं है. ये लोग सिर्फ खाने के प्रकार के प्रकार बताएं. वहीं, कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 26 जुलाई डेट दी है. वहीं, कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि दुकानदार सिर्फ यह बताएं कि वह किस तरह का खाना बेच रहे हैं. इसके साथ-साथ कोर्ट ने यहा भी कहा कि दुकानदारों को यह भी बताने की जरूरत है कि खाना शाकाहारी है या मांसाहारी.
Supreme Court stays governments’ directive asking eateries on Kanwariya Yatra route to put owners' names and issues notices to Uttar Pradesh, Uttarakhand and Madhya Pradesh governments on petitions challenging their directive asking eateries on Kanwariya Yatra route to put… pic.twitter.com/6GQKwY8OK4
— ANI (@ANI) July 22, 2024
इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है, जहां पुलिस अधिकारी विभाजन पैदा करने का बीड़ा उठा रहे हैं. अल्पसंख्यकों की पहचान करके उन्हें आर्थिक बहिष्कार का सामना करना पड़ेगा. यूपी और उत्तराखंड के अलावा दो और राज्य इसमें शामिल हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या यह प्रेस स्टेटमेंट था या औपचारिक आदेश था कि इन्हें प्रदर्शित किया जाना चाहिए? याचिकाकर्ताओं के वकील ने जवाब दिया कि पहले प्रेस स्टेटमेंट था और फिर लोगों में आक्रोश देखा गया. उन्होंने कहा कि यह स्वैच्छिक है, लेकिन वे इसे सख्ती से लागू कर रहे हैं. वकील ने कहा कि कोई औपचारिक आदेश नहीं है, बल्कि पुलिस सख्त कार्रवाई कर रही है.
Supreme Court begins hearing petitions challenging the Uttar Pradesh government’s order asking eateries on the Kanwariya route to put owners' names. pic.twitter.com/c1rQZsLj9O
— ANI (@ANI) July 22, 2024
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का तर्क: याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक छद्म आदेश है. सिंघवी ने कहा कि हिंदुओं द्वारा चलाए जाने वाले बहुत से शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट हैं. उनमें मुस्लिम कर्मचारी भी हो सकते हैं, क्या मैं कह सकता हूं कि मैं वहां नहीं जाऊंगा और न ही खाऊंगा क्योंकि वहां का खाना किसी न किसी तरह से मुसलमानों या दलितों द्वारा छुआ गया है? सिंघवी ने कहा कि निर्देश में 'स्वेच्छा से' लिखा है, लेकिन स्वेच्छा कहां है? अगर मैं बताऊंगा तो मैं दोषी हूं और अगर नहीं बताऊंगा तो भी मैं दोषी हूं.
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह का कहना है कि अधिकांश लोग बहुत गरीब सब्जी और चाय की दुकान चलाने वाले हैं और इस तरह के आर्थिक बहिष्कार के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो जाएगी. हमें नियमों का पालन न करने पर बुलडोजर की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है.
Supreme Court tells Singhvi that let us not narrate situation in such a way that it's more exaggerated that what is on ground. These orders have dimensions of safety and hygiene also.
— ANI (@ANI) July 22, 2024
Singhvi says Kanwar Yatras have been happening for decades and people of all religions…
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि हमें स्थिति को इस तरह से नहीं बताना चाहिए कि यह जमीनी हकीकत से ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाए. इन आदेशों में सुरक्षा और स्वच्छता के आयाम भी शामिल हैं. सिंघवी ने कहा कि कांवड़ यात्रा दशकों से होती आ रही है और मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध समेत सभी धर्मों के लोग उनकी यात्रा में मदद करते हैं. अब आप उन्हें बाहर कर रहे हैं.
याचिका यूपी सरकार के निर्देश के खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर किया गया. याचिका में कांवड़ यात्रा रूट पर पड़ने वाली दुकानों, ठेले व अन्य व्यासायिक प्रतिष्ठानों के मालिकों को अपने नाम उजागर करने के निर्देश को चुनौती दी गई है.
कहा गया है कि यह याचिका ऑनलाइन दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट आज उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों जारी निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा. इसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है. याचिका में यह तर्क दिया गया है कि यह मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाता है और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाता है.
Singhvi says there are a lot of pure veg restaurants run by Hindus and they may have Muslim employees, can I say I will not go there and eat because the food is somehow touched by Muslims or Dalits?
Singhvi adds that the directive says " swechha se" (by will) but where is…<="" p>— ani (@ani) July 22, 2024
दायर याचिका में इन आदेशों पर रोक लगाने की मांग की गई है. उनका तर्क है कि ये सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाते हैं और इनका उद्देश्य मुस्लिम दुकानदारों का सामाजिक रूप से जबरन आर्थिक बहिष्कार करना है. यह निर्देश शुरू में यूपी के मुजफ्फरनगर पुलिस ने जारी किया था और बाद में पूरे उत्तर प्रदेश में लागू कर दिया गया. विपक्षी दलों और केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए के कुछ सहयोगियों ने इस कदम की व्यापक आलोचना की है. उनका तर्क है कि यह मुस्लिम व्यापारियों को गलत तरीके से निशाना बनाता है.