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कांकेर नक्सल मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के परिजनों का दावा, सामने आए दो चश्मदीदों ने एनकाउंटर को बताया फर्जी - कांकेर फर्जी मुठभेड़

Kanker encounter: 25 फरवरी को कांकेर मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों के परिजनों ने दावा किया है कि यह एनकाउंटर फर्जी है. इस केस में दो प्रत्यक्षदर्शियों के बयान सामने आए हैं. दोनों ने कलेक्टर और एसपी को आवेदन देकर मदद की गुहार लगाई है.

Kanker encounter
कांकेर मुठभेड़
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 28, 2024, 7:50 PM IST

Updated : Mar 1, 2024, 5:08 PM IST

कांकेर नक्सल मुठभेड़

कांकेर: 25 फरवरी को कांकेर में तीन नक्सलियों की मुठभेड़ में मौत हुई. अब इस केस में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. दो लोग इस मामले में दावा कर रहे हैं कि मारे गए तीनों नक्सली नहीं थे. ये फर्जी मुठभेड़ था और ग्रामीणों को नक्सली बता कर मारा गया. दावा करने वाले लोग खुद को प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं. इनका कहना है कि ये मौके पर ही तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर मौजूद थे. ये गोली की आवाज सुनकर भाग निकले थे. ये प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण बुधवार को पैरवी गांव के लोगों और मृतक के परिजनों के साथ कलेक्टर एसपी के पास अपना आवेदन लेकर पहुंचे.

जानिए क्या कहते हैं प्रत्यक्षदर्शी: दरअसल, इन दोनों ग्रामीणों को डर है कि उन्हें भी नक्सली कहकर मार न दिया जाए. पैरवी गांव के रहने वाले सुबेर सिंह आंचला मुकेश सलाम ने बताया कि, " घटना वाले दिन शाम को हम लोग अपने घर से निकले थे. अनिल हिंडको जो मर गया है, वह हमारे गांव का है. मेरा भतीजा लगता है. वह हम लोग को बोला कि मामा घर तरफ रस्सी लेने के लिए बुलाए हैं, चलो जाएंगे. इसके बाद हमारे पास भी रस्सी के लिए समय नहीं रहेगा. ये कहकर हम लोग भी उसके साथ जाने को तैयार हो गए. अनिल हिडको, मैं और अनिल की पत्नी का भैया सुबेर सिंह तीनों हम लोग गए थे. मरदा में हम लोग शाम को पहुंचे. बाइक वही छोड़ दिए. वहां से पांच लोग मिलकर हम जंगल की ओर निकल गए. हम पांच लोग जंगल के रास्ते आगे बढ़ रहे थे और पहाड़ी में जाकर रात को सो गए. सोने के बाद हम सुबह 8 बजे खाना बना रहे थे, जिसमें मर्रदगांव के दो लोग थे. मेरा भतीजा अनिल था.हम दोनों रस्सी काटने के लिए वहीं से थोड़ा सा ऊपर 500 से 800 मीटर दूर ऊपर चढ़े थे. तभी अचानक फायरिंग की आवाज आई. डर के मारे हम वहीं टंगिया छोड़कर भाग गए. फायरिंग कौन किया? हमको नहीं पता. हम न्याय चाहते हैं. हम लोगों को नक्सली कहकर बोल रहे हैं. हम लोग नक्सली नहीं है, जो मारे गए वो भी नक्सली नहीं है. हम लोग गांव में खेती किसानी का काम करते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान डालें हैं. हम कैसे नक्सली हो सकते हैं?

ग्रामीणों ने दिया आवेदन: मामले में ग्रामीणों ने आवेदन दिया है. ग्रामीणों के आवेदन के मुताबिक 25 फरवरी को मारे गए तीनों नक्सली नहीं थे. ये तीनों पैरवी अंतागढ़ कांकेर के निवासी हैं. ये तीनों 24 फरवरी की शाम 4 बजे पैवारी से मरदा गए थे. ग्रामिणों को कहना है कि ये तेंदूपत्ता तोड़ने वाली रस्सी के लिए गए थे. ये आदिवासी ग्रामीण हैं. ये नक्सली नहीं हैं."

कांकेर एसपी ने क्या कहा: इस पूरे मामले में हाल ही में कांकेर एसपी आईके एलेसेला का बयान सामने आया है. एसपी ने कहा है कि, "मुठभेड़ हुई थी और इस केस में उनके परिजन आए हैं. पोस्टमॉर्टम के बाद बॉडी परिजनों को हैंडओवर कर दी गई है. मारे गए नक्सली कौन-कौन वारदात में शामिल थे अभी हमारे पास रिकॉर्ड नहीं है. अभी पहचान हुई है और आगे जानकारी मिल जाएगी. यदि उनको कोई शक है या लगता है कि यहां गलत है तो मजिस्ट्रेट जांच में अपना पक्ष रख सकते हैं. पुलिस की तरफ से किसी प्रकार का गलत काम नहीं हुआ है. मुठभेड़ हुआ है जहां पर राजू सलाम और उसके मिलिट्री कंपनी वाले थे. मुठभेड़ के बाद नक्सलियों का साथ देने वाले ग्रामीण हर बार इसी तरह का आरोप लगाते हैं."

इस पूरे मामले में जहां ग्रामीण मारे गए तीनों लोग को गांव के निवासी बता रहे हैं. वहीं, पुलिस तीनों के नक्सली होने का दावा कर रही है. अब इस केस में जांच के बाद ही सच का खुलासा हो पाएगा.

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कांकेर: 25 फरवरी को कांकेर में तीन नक्सलियों की मुठभेड़ में मौत हुई. अब इस केस में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. दो लोग इस मामले में दावा कर रहे हैं कि मारे गए तीनों नक्सली नहीं थे. ये फर्जी मुठभेड़ था और ग्रामीणों को नक्सली बता कर मारा गया. दावा करने वाले लोग खुद को प्रत्यक्षदर्शी बता रहे हैं. इनका कहना है कि ये मौके पर ही तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर मौजूद थे. ये गोली की आवाज सुनकर भाग निकले थे. ये प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीण बुधवार को पैरवी गांव के लोगों और मृतक के परिजनों के साथ कलेक्टर एसपी के पास अपना आवेदन लेकर पहुंचे.

जानिए क्या कहते हैं प्रत्यक्षदर्शी: दरअसल, इन दोनों ग्रामीणों को डर है कि उन्हें भी नक्सली कहकर मार न दिया जाए. पैरवी गांव के रहने वाले सुबेर सिंह आंचला मुकेश सलाम ने बताया कि, " घटना वाले दिन शाम को हम लोग अपने घर से निकले थे. अनिल हिंडको जो मर गया है, वह हमारे गांव का है. मेरा भतीजा लगता है. वह हम लोग को बोला कि मामा घर तरफ रस्सी लेने के लिए बुलाए हैं, चलो जाएंगे. इसके बाद हमारे पास भी रस्सी के लिए समय नहीं रहेगा. ये कहकर हम लोग भी उसके साथ जाने को तैयार हो गए. अनिल हिडको, मैं और अनिल की पत्नी का भैया सुबेर सिंह तीनों हम लोग गए थे. मरदा में हम लोग शाम को पहुंचे. बाइक वही छोड़ दिए. वहां से पांच लोग मिलकर हम जंगल की ओर निकल गए. हम पांच लोग जंगल के रास्ते आगे बढ़ रहे थे और पहाड़ी में जाकर रात को सो गए. सोने के बाद हम सुबह 8 बजे खाना बना रहे थे, जिसमें मर्रदगांव के दो लोग थे. मेरा भतीजा अनिल था.हम दोनों रस्सी काटने के लिए वहीं से थोड़ा सा ऊपर 500 से 800 मीटर दूर ऊपर चढ़े थे. तभी अचानक फायरिंग की आवाज आई. डर के मारे हम वहीं टंगिया छोड़कर भाग गए. फायरिंग कौन किया? हमको नहीं पता. हम न्याय चाहते हैं. हम लोगों को नक्सली कहकर बोल रहे हैं. हम लोग नक्सली नहीं है, जो मारे गए वो भी नक्सली नहीं है. हम लोग गांव में खेती किसानी का काम करते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान डालें हैं. हम कैसे नक्सली हो सकते हैं?

ग्रामीणों ने दिया आवेदन: मामले में ग्रामीणों ने आवेदन दिया है. ग्रामीणों के आवेदन के मुताबिक 25 फरवरी को मारे गए तीनों नक्सली नहीं थे. ये तीनों पैरवी अंतागढ़ कांकेर के निवासी हैं. ये तीनों 24 फरवरी की शाम 4 बजे पैवारी से मरदा गए थे. ग्रामिणों को कहना है कि ये तेंदूपत्ता तोड़ने वाली रस्सी के लिए गए थे. ये आदिवासी ग्रामीण हैं. ये नक्सली नहीं हैं."

कांकेर एसपी ने क्या कहा: इस पूरे मामले में हाल ही में कांकेर एसपी आईके एलेसेला का बयान सामने आया है. एसपी ने कहा है कि, "मुठभेड़ हुई थी और इस केस में उनके परिजन आए हैं. पोस्टमॉर्टम के बाद बॉडी परिजनों को हैंडओवर कर दी गई है. मारे गए नक्सली कौन-कौन वारदात में शामिल थे अभी हमारे पास रिकॉर्ड नहीं है. अभी पहचान हुई है और आगे जानकारी मिल जाएगी. यदि उनको कोई शक है या लगता है कि यहां गलत है तो मजिस्ट्रेट जांच में अपना पक्ष रख सकते हैं. पुलिस की तरफ से किसी प्रकार का गलत काम नहीं हुआ है. मुठभेड़ हुआ है जहां पर राजू सलाम और उसके मिलिट्री कंपनी वाले थे. मुठभेड़ के बाद नक्सलियों का साथ देने वाले ग्रामीण हर बार इसी तरह का आरोप लगाते हैं."

इस पूरे मामले में जहां ग्रामीण मारे गए तीनों लोग को गांव के निवासी बता रहे हैं. वहीं, पुलिस तीनों के नक्सली होने का दावा कर रही है. अब इस केस में जांच के बाद ही सच का खुलासा हो पाएगा.

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Last Updated : Mar 1, 2024, 5:08 PM IST
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