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जम्मू कश्मीर: आतंकवाद से संबंधित मौतों में कुल गिरावट के बावजूद, जून में सबसे ज्यादा लोगों की मौत - Jammu Kashmir

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 1, 2024, 7:58 PM IST

Jammu Kashmir: जम्मू कश्मीर पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक जून में आतंकी घटनाओं में कुल 18 मौतें हुईं हैं. मरने वालों में नौ नागरिक, एक सुरक्षा बल का जवान और आठ आतंकवादी शामिल हैं.

Army
जम्मू कश्मीर में तैनात सेना (ANI)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस के ताजा आंकड़ों से 2024 की पहली छमाही के दौरान क्षेत्र में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की एक जटिल तस्वीर सामने आई है. हालांकि, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में घटनाओं की कुल संख्या में कमी आई है, लेकिन जून में उल्लेखनीय वृद्धि ने क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों के लिए नई चिंताएं बढ़ा दी हैं.

ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 में हत्या की केवल एक घटना दर्ज की गई है. वहीं, फरवरी में दो घटनाओं के साथ मामूली वृद्धि देखी गई. इन दोनों में घटनाओं में नागरिक मारे गए, मार्च में भी फरवरी की तरह दो घटनाएं हुईं. अप्रैल में इस तरह की छह घटनाएं देखी गईं, जिसके परिणामस्वरूप तीन नागरिक और चार आतंकवादी मारे गए.

जून में सबसे ज्यादा मौत
मई में भी यह सिलसिला जारी रहा, जिसमें पांच घटनाएं हुईं. इस दौरान एक नागरिक, एक सुरक्षा बल का जवान और पांच आतंकवादी मारे गए. हालांकि, जून में इसमें नाटकीय वृद्धि देखी गई, जिसमें सात घटनाएं हुईं, जिनमें नौ नागरिक, एक सुरक्षा बल का जवान और आठ आतंकवादी मारे गए. इस तरह जून अब तक का सबसे घातक महीना बन गया, जिसमें कुल 18 मौतें हुईं.

पिछले साल की तुलना में 2023 की पहली छमाही में 29 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 मौतें हुईं. इनमें नौ नागरिक, 12 सुरक्षा बल के जवान और 29 आतंकवादी शामिल थे. इसके विपरीत, 2024 की पहली छमाही में 22 घटनाएं कम हुईं, लेकिन नागरिक हताहतों का अनुपात अधिक था. इस अवधि में कुल मौतों की संख्या 37 थी, जिसमें 17 नागरिक, दो सुरक्षा बल के जवान और 18 आतंकवादी शामिल थे.

आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण में सुधार
2023 में हुई कुल घटनाओं में 29 के मुकाबले 2024 में 22 घटनाएं ही हुई, जो आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण में कुछ सुधार का संकेत देती हैं. हालांकि, जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों की मौत को लेकर जून के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की है और बड़ी संख्या में नागरिकों के हताहत होने से उत्पन्न चुनौतियों को ध्यान में रखा है.

हाई-टेक तकनीक का इस्तेमाल
इस महीने के दौरान घटनाओं में हुई बढ़ोतरी ने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने और नागरिकों को आतंकवादी हमलों से बचाने के लिए नए सिरे से प्रयास करने को प्रेरित किया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव और चल रही अमरनाथ यात्रा 2024 के कारण बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है. इसके अलावा, हाई-टेक तकनीकी सहायता का इस्तेमाल किया जा रहा है."

उन्होंने कहा कि जून में आठ आतंकवादियों और नौ नागरिकों सहित 18 मौतों के बावजूद, पिछले साल की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है. घटनाओं और मौतों में कमी सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों के कारण है. अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवाद से निपटने में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इजरायल और जर्मनी से उन्नत हथियार भी खरीद रही है. ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 की पहली छमाही में 178 मौतों के साथ 72 घटनाएं दर्ज की गईं.

2021 में इस तरह की 51 घटनाएं हुई थीं और 100 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन 2022 में फिर से बढ़कर 97 घटनाएं और 169 मौतें हो गईं. 2023 की पहली छमाही में 29 घटनाएं और 51 मौतें हुईं. 2024 में अब तक 22 घटनाएं और 37 मौतें हो चुकी हैं, अधिकारी ने कहा, "घटनाओं का गिरता ग्राफ तकनीकी स्रोतों, मानव खुफिया और सुरक्षा बलों के बीच समन्वित प्रयासों का परिणाम है।.हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में आंकड़े और कम होंगे."

यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में सियासी हलचल तेज! विधानसभा चुनाव की तैयारी हो गई शुरू, महबूबा मुफ्ती ने की मंथन

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर पुलिस के ताजा आंकड़ों से 2024 की पहली छमाही के दौरान क्षेत्र में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं की एक जटिल तस्वीर सामने आई है. हालांकि, पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में घटनाओं की कुल संख्या में कमी आई है, लेकिन जून में उल्लेखनीय वृद्धि ने क्षेत्र में तैनात सुरक्षा बलों के लिए नई चिंताएं बढ़ा दी हैं.

ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2024 में हत्या की केवल एक घटना दर्ज की गई है. वहीं, फरवरी में दो घटनाओं के साथ मामूली वृद्धि देखी गई. इन दोनों में घटनाओं में नागरिक मारे गए, मार्च में भी फरवरी की तरह दो घटनाएं हुईं. अप्रैल में इस तरह की छह घटनाएं देखी गईं, जिसके परिणामस्वरूप तीन नागरिक और चार आतंकवादी मारे गए.

जून में सबसे ज्यादा मौत
मई में भी यह सिलसिला जारी रहा, जिसमें पांच घटनाएं हुईं. इस दौरान एक नागरिक, एक सुरक्षा बल का जवान और पांच आतंकवादी मारे गए. हालांकि, जून में इसमें नाटकीय वृद्धि देखी गई, जिसमें सात घटनाएं हुईं, जिनमें नौ नागरिक, एक सुरक्षा बल का जवान और आठ आतंकवादी मारे गए. इस तरह जून अब तक का सबसे घातक महीना बन गया, जिसमें कुल 18 मौतें हुईं.

पिछले साल की तुलना में 2023 की पहली छमाही में 29 घटनाएं हुईं, जिनमें 51 मौतें हुईं. इनमें नौ नागरिक, 12 सुरक्षा बल के जवान और 29 आतंकवादी शामिल थे. इसके विपरीत, 2024 की पहली छमाही में 22 घटनाएं कम हुईं, लेकिन नागरिक हताहतों का अनुपात अधिक था. इस अवधि में कुल मौतों की संख्या 37 थी, जिसमें 17 नागरिक, दो सुरक्षा बल के जवान और 18 आतंकवादी शामिल थे.

आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण में सुधार
2023 में हुई कुल घटनाओं में 29 के मुकाबले 2024 में 22 घटनाएं ही हुई, जो आतंकवादी गतिविधियों पर नियंत्रण में कुछ सुधार का संकेत देती हैं. हालांकि, जम्मू कश्मीर के पुलिस अधिकारियों ने नागरिकों की मौत को लेकर जून के आंकड़ों पर चिंता व्यक्त की है और बड़ी संख्या में नागरिकों के हताहत होने से उत्पन्न चुनौतियों को ध्यान में रखा है.

हाई-टेक तकनीक का इस्तेमाल
इस महीने के दौरान घटनाओं में हुई बढ़ोतरी ने सुरक्षा उपायों को बढ़ाने और नागरिकों को आतंकवादी हमलों से बचाने के लिए नए सिरे से प्रयास करने को प्रेरित किया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "पिछले महीने हुए लोकसभा चुनाव और चल रही अमरनाथ यात्रा 2024 के कारण बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है. इसके अलावा, हाई-टेक तकनीकी सहायता का इस्तेमाल किया जा रहा है."

उन्होंने कहा कि जून में आठ आतंकवादियों और नौ नागरिकों सहित 18 मौतों के बावजूद, पिछले साल की तुलना में स्थिति में सुधार हुआ है. घटनाओं और मौतों में कमी सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयासों के कारण है. अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस आतंकवाद से निपटने में अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इजरायल और जर्मनी से उन्नत हथियार भी खरीद रही है. ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 की पहली छमाही में 178 मौतों के साथ 72 घटनाएं दर्ज की गईं.

2021 में इस तरह की 51 घटनाएं हुई थीं और 100 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन 2022 में फिर से बढ़कर 97 घटनाएं और 169 मौतें हो गईं. 2023 की पहली छमाही में 29 घटनाएं और 51 मौतें हुईं. 2024 में अब तक 22 घटनाएं और 37 मौतें हो चुकी हैं, अधिकारी ने कहा, "घटनाओं का गिरता ग्राफ तकनीकी स्रोतों, मानव खुफिया और सुरक्षा बलों के बीच समन्वित प्रयासों का परिणाम है।.हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में आंकड़े और कम होंगे."

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