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धन शोधन मामला: SC ने हेमंत सोरेन की जमानत को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका खारिज की - Hemant Soren Money laundering case

SC REJECTS EDS PLEA: सुप्रीम कोर्ट ने भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को जमानत देने के झारखंड हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका खारिज कर दी, जिसमें सोरेन को जमानत देने का आदेश दिया गया था.

SC REJECTS EDS PLEA
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की फाइल फोटो. (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : Jul 29, 2024, 1:23 PM IST

Updated : Jul 29, 2024, 4:40 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर एक याचिका को खारिज कर दिया. ईडी ने अपनी याचिका में कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले में सुनवाई के दौरान झारखंड उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत दी है.

न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का 28 जून का आदेश 'बहुत ही तर्कसंगत' था. पीठ ने कहा कि हम झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को 31 जनवरी को मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने गिरफ्तारी से थोड़ी देर पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मामले में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने 4 जुलाई को फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

उच्च न्यायालय में सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए, ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी रांची के बाड़गईं क्षेत्र में 8.86 एकड़ जमीन 'अवैध रूप से' हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया. सोरेन के वकील ने तर्क दिया था कि उन्हें केंद्रीय एजेंसी की ओर से आपराधिक मामले में गलत तरीके से फंसाया गया था.

अपनी याचिका में ईडी ने दावा किया था कि जांच के दौरान सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया कि झामुमो नेता ने उन्हें भूखंड के स्वामित्व विवरण को बदलने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करने का निर्देश दिया था. एजेंसी ने यह भी दावा किया था कि जमीन के मूल मालिक राज कुमार पाहन ने अपनी जमीन हड़पे जाने की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर कभी कार्रवाई नहीं की गई.

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न्यायमूर्ति बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय का 28 जून का आदेश 'बहुत ही तर्कसंगत' था. पीठ ने कहा कि हम झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को 31 जनवरी को मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने गिरफ्तारी से थोड़ी देर पहले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. मामले में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने 4 जुलाई को फिर से झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.

उच्च न्यायालय में सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए, ईडी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी रांची के बाड़गईं क्षेत्र में 8.86 एकड़ जमीन 'अवैध रूप से' हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया. सोरेन के वकील ने तर्क दिया था कि उन्हें केंद्रीय एजेंसी की ओर से आपराधिक मामले में गलत तरीके से फंसाया गया था.

अपनी याचिका में ईडी ने दावा किया था कि जांच के दौरान सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया कि झामुमो नेता ने उन्हें भूखंड के स्वामित्व विवरण को बदलने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करने का निर्देश दिया था. एजेंसी ने यह भी दावा किया था कि जमीन के मूल मालिक राज कुमार पाहन ने अपनी जमीन हड़पे जाने की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर कभी कार्रवाई नहीं की गई.

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Last Updated : Jul 29, 2024, 4:40 PM IST
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