रांचीः प्रदेश में बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलाव का मुद्दा आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में भी बना रहेगा. हाल के दिनों में संथाल और झारखंड के अन्य जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ी संख्या को लेकर जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी मुखर रही है उससे साफ लग रहा है कि यह मुद्दा फिलहाल शांत होने वाला नहीं है.
इन सबके बीच झारखंड बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को लेकर तैयार हो रहे अपने चुनावी घोषणा पत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ और संताल में बदल रहे डेमोग्राफी पर कड़े कानून बनाने के संकेत लगातार दे रही है . बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह का मानना है कि जिस तरह से लोकसभा चुनाव के दौरान संथाल के कई मतदान केंद्रों पर अप्रत्याशित रुप से मतदाताओं की संख्या में वृद्धि देखी गई. उससे साफ लगता है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए इस कदर राज्य में बढ़ें हैं कि चुनाव आयोग के आकलन को भी फेल कर रहे हैं.
अमूमन हर साल 3 से 3.5 फीसदी तक वोटर्स की संख्या में वृद्धि होती है. इस तरह पांच साल में 15 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी मगर कहीं-कहीं तो दो गुना से अधिक मतदाताओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. ऐसे में हमारी सरकार आने पर राज्य में संविधान सम्मत जो कुछ भी कानून बनाने होंगे वो बनेंगे.
इस पर झारखंड की सत्ताधारी दल जेएमएम ने पलटवार करते हुए कहा की घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलाव जैसे मुद्दे बीजापी के लिए चुनावी मुद्दे हैं. जेएमएम के नेताओं का आरोप है की घुसपैठ केन्द्र का मुद्दा है मगर पिछले दस वर्षों में वो इसपर किसी तरह के कानुन बनाने में विफल ही रही है.
बीजेपी की तैयारी पर जेएमएम ने आलोचना करते हुए कहा है कि कानून बनाने से किसने रोका है. जेएमएम प्रवक्ता मनोज पांडे ने केद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीमा क्यों नहीं सुरक्षित है, कैसे घुसपैठ हो रहा है. यह जवाब देना चाहिए सिर्फ चुनावी लाभ लेने के लिए इस तरह का बयानबाजी होता है. चुनाव के वक्त में सीएए और एनआरसी जैसा मुद्दा आता है फिर शांत हो जाता है. घुसपैठ असम में भी है मगर वहां के बारे में नहीं बोलते.
कड़ा कानून बनाने के पक्ष में झारखंड बीजेपी
मेनिफेस्टो के जरिए झारखंड बीजेपी बंगलादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी चेंज को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने का वायदा जनता से करने की तैयारी में है. इसके तहत संथाल के सीमावर्ती जिलों में विशेष चौकसी के साथ साथ स्थानीय स्तर पर बनने वाले सरकारी दस्तावेज के लिए अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी निर्धारित करने के पक्ष में पार्टी है. बंगलादेशी घुसपैठिए को चिन्हित करने के लिए अलग से आयोग और कमिटी गठित कर कानूनी प्रावधान के लिए सुझाव मांगे जाएंगे. फर्जी प्रमाण पत्र पाये जाने पर दंड का प्रावधान के साथ साथ लैंड जिहाद और लव जिहाद जैसे मामलों में उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान हो सकता है. ट्रायबल बहुल क्षेत्रों में एसपीटी सीएनटी एक्ट को और प्रभावी बनाने के पक्ष में बीजेपी है, जिससे आदिवासियों के जमीन को बचाया जा सके. जनजातियों के लिए बने ट्रायबल एडवाइजरी कॉसिल को सशक्त कर नियमित बैठक करने का वायदा बीजेपी करेगी.
क्या असम जैसा कानून बनाना चाहती है झारखंड बीजेपी
बांग्लादेशी घुसपैठ और डेमोग्राफी बदलाव पर बीजेपी के विधानसभा चुनाव सहप्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा लगातार झारखंड दौरे के क्रम में मुखर रहे हैं. यह माना जा रहा है कि असम के सीएम के विशेष हस्तक्षेप पर यह मुद्दा मेनिफेस्टो में लाने की तैयारी की गई है. इन सबके बीच असम में जिस तरह से इसको लेकर कानून बनाए गए हैं क्या उसी तरह झारखंड में भी बीजेपी बनाना चाहती है.
असम में आदिवासी बहुल गांवों और उनके जमीन को सुरक्षित रखने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. झारखंड में भी पहले से ही एसपीटी और सीएनटी एक्ट लागू है जिसके तहत गैर आदिवासी ट्रायबल की जमीन को नहीं खरीद सकता है. ऐसे में इसमें नया क्या होगा यह समझ से परे है. हां असम सरकार ने लव एंड लैंड जिहाद को रोकने के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान करने का निर्णय जरूर लिया है. साथ ही हिन्दू और मुसलमान एक दूसरे की जमीन बगैर सरकार से मंजूरी लिए नहीं बेच सकेंगे. झारखंड बीजेपी भी कुछ इस तरह का प्रावधान अपने राज्य में करना चाहती है. हालांकि धर्मांतरण रोकने के अलावा शादी विवाह को लेकर भी कई कानून बनाए गए हैं.
असम में किन कानूनों पर चल रही चर्चा!
असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा बांग्लादेशी घुसपैठ और बदल रही डेमोग्राफी को लेकर अपने राज्य के प्रति काफी मुखर हैं. वे लगातार कह रहे हैं कि जल्द ही असम में इन बिंदुओं को लेकर नए कानून लाए जा सकते हैं. जिसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी भी की जा रही है. जिन प्रस्तावों को लेकर असर सरकार बल दल रही है, इसमें असम की नयी डोमिसाइल पॉलिसी,, स्थानीय लोगों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता, असम में जन्मे लोगों को ही सरकारी नौकरियों के लिए पात्र बनाना, एक लाख सरकारी नौकरियों में स्वदेशी लोगों को प्राथमिकता देने पर बल दिया जा रहा है.
इसके अलावा लैंड और लव जिहाद पर असम सरकार नये कानून की घोषणा कर सकती है. इसके साथ ही असम सरकार ने हिंदु-मुसलमानों के बीच जमीन की बिक्री पर फैसला ले सकती है. राज्य सरकार इस तरह के लेनदेन को रोक नहीं सकती लेकिन इस प्रक्रिया से पहले मुख्यमंत्री की सहमति लेना अनिवार्य किया जा सकता है. इसके अलावा असम में सरकार समान नागरिक संहिता लागू कर सकती है.