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Jharkhand Assembly Election 2024: पहले चरण के चुनाव के बाद कोल्हान को लेकर एनडीए कॉफिडेंट, यहां जानिए वजह

झारखंड में पहले चरण का चुनाव खत्म हो चुका है. पहले चरण के बाद कोल्हान को लेकर एनडीए क्यों कॉफिडेंट दिख रहा है. यहां जानिए.

JHARKHAND ASSEMBLY ELECTION 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 13, 2024, 5:02 PM IST

रांची: सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए लोकतंत्र की पहली परीक्षा पूरी हो चुकी है. पहले फेज में 15 जिलों की 43 सीटों के लिए 683 प्रत्याशियों की किस्मत को मतदाताओं ने ईवीएम में लॉक कर दिया है. एनडीए और इंडिया ब्लॉक के लिहाज से पहले फेज बेहद खास है. 2019 के चुनाव में इन 43 सीटों में से 27 सीटों पर इंडिया ब्लॉक, 13 सीटों पर एनडीए और तीन सीटों पर अन्य की जीत हुई थी. मौजूदा समीकरण के लिहाज से 43 में से 26 सीटों पर इंडिया ब्लॉक जबकि 17 सीटों (चंपाई सोरेन, सरयू राय समेत) पर एनडीए का कब्जा है.

इस फेज का चुनाव दोनों प्रमुख गठबंधन के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि एसटी के लिए रिजर्व 28 और एससी के लिए रिजर्व 09 यानी कुल 37 रिजर्व सीटों में से 26 सीटों के लिए चुनाव हो चुका है. इनमें 20 एसटी सीटें (पोटका, घाटशिला, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, खरसांवा, तमाड़, तोरपा, खूंटी, मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहरदगा और मनिका ) और 6 एससी सीटें (सिमरिया, चतरा, जुगसलाई, कांके, छत्तरपुर और लातेहार) शामिल हैं. इन 26 सीटों में से 21 सीटों पर इंडिया ब्लॉक काबिज है जबकि एनडीए के पास सिर्फ 05 सीटें हैं.

कोल्हान की 14 सीटों पर सबकी नजर

सबकी नजर कोल्हान की 14 सीटों के संभावित नतीजों पर टिकी है. क्योंकि 2019 में इंडिया ब्लॉक ने कोल्हान पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था. एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था. लेकिन इस बार यहां का समीकरण बदल गया है. एनडीए के लिए तीन पूर्व सीएम के परिजनों के अलावा एक पूर्व सीएम खुद मैदान में हैं. ऊपर से 2019 में सीटिंग सीएम रघुवर दास को उनकी परंपरागत सीट पर हराने वाले सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से जदयू प्रत्याशी बन चुके हैं.

कोल्हान किसके पक्ष में दिखाएगा कमाल

पहले फेज में कोल्हान की 14 में से 08 सीटों यानी जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, पोटका, सरायकेला, जुगसलाई, ईचागढ़, जगन्नाथपुर और मनोहरपुर को लेकर एनडीए कांफिडेंट है. इसकी वजह भी है. क्योंकि पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास खुद जमशेदपुर पूर्वी सीट से मैदान में हैं. हालांकि कांग्रेस के डॉ अजय कुमार के सामने होने से चुनौती कम नहीं है. जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर सरयू राय और कांग्रेस के सीटिंग विधायक सह मंत्री बन्ना गुप्ता की खींचतान और एंटी इंकंबेंसी असर डालती दिख रही है.

पोटका में बीजेपी को भितरघाट का डर

पोटका में पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा के लिए चुनौती जरुर हैं. यहां उनके साथ भीतरघात होने का अंदेशा है. क्योंकि भाजपा की ओर से मेनका सरदार और राजीव सरदार टिकट की रेस में थे. लेकिन अचानक मीरा मुंडा ने दोनों का खेल बिगाड़ दिया. पोटका में सरदार टाइटल लिखने वाले लोग भूमिज आदिवासी की श्रेणी में आते हैं. दोनों के मीरा मुंडा का साथ चुनाव प्रचार करने के बावजूद भीतरघात का अंदेशा जताया जा रहा है.

सरायकेला सीट सबसे हॉट

सरायकेला सीट सबसे ज्यादा हॉट बनी हुई है. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन इस सीट पर झामुमो की टिकट पर जीतते रहे हैं. इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं. उनके सामने झामुमो ने भाजपा के पूर्व नेता गणेश महली को मैदान में उतार दिया है. ग्रामीण इलाकों में झामुमो की जबरदस्त पकड़ है. यहां इस बार अपमान और सहानुभूति की परीक्षा होनी है.

जुगसलाई सीट पर आजसू बनाम झामुमो

जुगसलाई सीट पर आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस का मुकाबला झामुमो के मंगल कालिंदी से है. इस बार एनडीए प्रत्याशी होने की वजह से रामचंद्र सहिस की दावेदारी मजबूत दिख रही है. इस बार कोल्हान की मनोहरपुर सीट खूब सुर्खियों में रही है. क्योंकि इस सीट से लंबे समय से जीतती रहीं जोबा मांझी के चाईबासा का लोकसभा चुनाव जीतने पर झामुमो ने उनके पुत्र जगत मांझी का दांव आजमाया है. लेकिन इस सीट पर आजसू के दिनेश चंद्र बोयपाई ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. इस सीट पर अप्रत्याशित नतीजा आने की उम्मीद जतायी जा रही है.

क्या घाटशिला साध पाएंगे चंपाई सोरेन

घाटशिला सीट को साधने के लिए भाजपा ने चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन से उम्मीदें बांध रखी है. वैसे 2009 में यह सीट भाजपा के पास थी. लेकिन बाबूलाल सोरेन के लिए घाटशिला की राह आसान नहीं दिख रही है. क्योंकि उनका सामना झामुमो के विधायक और मंत्री रामदास सोरेन से है, जिनकी यहां मजबूत पकड़ है. जगन्नाथपुर सीट से गीता कोड़ा ने भाजपा की उम्मीदें बढ़ा दी है. यह सीट कोड़ा परिवार की परंपरागत सीट रही है. वर्तमान कांग्रेस विधायक सोनाराम सिंकू को कोड़ा परिवार ने ही आगे बढ़ाया है.

क्या खोई जमीन हासिल कर पाएगी भाजपा

2019 में कोल्हान से उखड़ चुकी भाजपा को अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए गैरों का मजबूत सहारा मिला है. आजसू के अलावा जदयू के साथ एकजुटता ने भी एनडीए को ताकत दी है. कोल्हान की अहमियत को समझते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा भाजपा के तमाम बड़े नेता एक के बाद एक कई चुनाव प्रचार कर चुके हैं. अब देखना है कि चंपई सोरेन, गीता कोड़ा, सरयू राय जैसे दिग्गज कोल्हान में इस बार प्रभाव डाल पाते हैं या नहीं.

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इस फेज का चुनाव दोनों प्रमुख गठबंधन के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि एसटी के लिए रिजर्व 28 और एससी के लिए रिजर्व 09 यानी कुल 37 रिजर्व सीटों में से 26 सीटों के लिए चुनाव हो चुका है. इनमें 20 एसटी सीटें (पोटका, घाटशिला, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, खरसांवा, तमाड़, तोरपा, खूंटी, मांडर, सिसई, गुमला, बिशुनपुर, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहरदगा और मनिका ) और 6 एससी सीटें (सिमरिया, चतरा, जुगसलाई, कांके, छत्तरपुर और लातेहार) शामिल हैं. इन 26 सीटों में से 21 सीटों पर इंडिया ब्लॉक काबिज है जबकि एनडीए के पास सिर्फ 05 सीटें हैं.

कोल्हान की 14 सीटों पर सबकी नजर

सबकी नजर कोल्हान की 14 सीटों के संभावित नतीजों पर टिकी है. क्योंकि 2019 में इंडिया ब्लॉक ने कोल्हान पर पूरी तरह से कब्जा जमा लिया था. एनडीए का सूपड़ा साफ हो गया था. लेकिन इस बार यहां का समीकरण बदल गया है. एनडीए के लिए तीन पूर्व सीएम के परिजनों के अलावा एक पूर्व सीएम खुद मैदान में हैं. ऊपर से 2019 में सीटिंग सीएम रघुवर दास को उनकी परंपरागत सीट पर हराने वाले सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से जदयू प्रत्याशी बन चुके हैं.

कोल्हान किसके पक्ष में दिखाएगा कमाल

पहले फेज में कोल्हान की 14 में से 08 सीटों यानी जमशेदपुर पूर्वी, जमशेदपुर पश्चिमी, पोटका, सरायकेला, जुगसलाई, ईचागढ़, जगन्नाथपुर और मनोहरपुर को लेकर एनडीए कांफिडेंट है. इसकी वजह भी है. क्योंकि पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास खुद जमशेदपुर पूर्वी सीट से मैदान में हैं. हालांकि कांग्रेस के डॉ अजय कुमार के सामने होने से चुनौती कम नहीं है. जमशेदपुर पश्चिमी सीट पर सरयू राय और कांग्रेस के सीटिंग विधायक सह मंत्री बन्ना गुप्ता की खींचतान और एंटी इंकंबेंसी असर डालती दिख रही है.

पोटका में बीजेपी को भितरघाट का डर

पोटका में पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा के लिए चुनौती जरुर हैं. यहां उनके साथ भीतरघात होने का अंदेशा है. क्योंकि भाजपा की ओर से मेनका सरदार और राजीव सरदार टिकट की रेस में थे. लेकिन अचानक मीरा मुंडा ने दोनों का खेल बिगाड़ दिया. पोटका में सरदार टाइटल लिखने वाले लोग भूमिज आदिवासी की श्रेणी में आते हैं. दोनों के मीरा मुंडा का साथ चुनाव प्रचार करने के बावजूद भीतरघात का अंदेशा जताया जा रहा है.

सरायकेला सीट सबसे हॉट

सरायकेला सीट सबसे ज्यादा हॉट बनी हुई है. पूर्व सीएम चंपाई सोरेन इस सीट पर झामुमो की टिकट पर जीतते रहे हैं. इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं. उनके सामने झामुमो ने भाजपा के पूर्व नेता गणेश महली को मैदान में उतार दिया है. ग्रामीण इलाकों में झामुमो की जबरदस्त पकड़ है. यहां इस बार अपमान और सहानुभूति की परीक्षा होनी है.

जुगसलाई सीट पर आजसू बनाम झामुमो

जुगसलाई सीट पर आजसू प्रत्याशी रामचंद्र सहिस का मुकाबला झामुमो के मंगल कालिंदी से है. इस बार एनडीए प्रत्याशी होने की वजह से रामचंद्र सहिस की दावेदारी मजबूत दिख रही है. इस बार कोल्हान की मनोहरपुर सीट खूब सुर्खियों में रही है. क्योंकि इस सीट से लंबे समय से जीतती रहीं जोबा मांझी के चाईबासा का लोकसभा चुनाव जीतने पर झामुमो ने उनके पुत्र जगत मांझी का दांव आजमाया है. लेकिन इस सीट पर आजसू के दिनेश चंद्र बोयपाई ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. इस सीट पर अप्रत्याशित नतीजा आने की उम्मीद जतायी जा रही है.

क्या घाटशिला साध पाएंगे चंपाई सोरेन

घाटशिला सीट को साधने के लिए भाजपा ने चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन से उम्मीदें बांध रखी है. वैसे 2009 में यह सीट भाजपा के पास थी. लेकिन बाबूलाल सोरेन के लिए घाटशिला की राह आसान नहीं दिख रही है. क्योंकि उनका सामना झामुमो के विधायक और मंत्री रामदास सोरेन से है, जिनकी यहां मजबूत पकड़ है. जगन्नाथपुर सीट से गीता कोड़ा ने भाजपा की उम्मीदें बढ़ा दी है. यह सीट कोड़ा परिवार की परंपरागत सीट रही है. वर्तमान कांग्रेस विधायक सोनाराम सिंकू को कोड़ा परिवार ने ही आगे बढ़ाया है.

क्या खोई जमीन हासिल कर पाएगी भाजपा

2019 में कोल्हान से उखड़ चुकी भाजपा को अपनी खोई जमीन हासिल करने के लिए गैरों का मजबूत सहारा मिला है. आजसू के अलावा जदयू के साथ एकजुटता ने भी एनडीए को ताकत दी है. कोल्हान की अहमियत को समझते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा भाजपा के तमाम बड़े नेता एक के बाद एक कई चुनाव प्रचार कर चुके हैं. अब देखना है कि चंपई सोरेन, गीता कोड़ा, सरयू राय जैसे दिग्गज कोल्हान में इस बार प्रभाव डाल पाते हैं या नहीं.

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