कोटा. जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड टॉप करने वाले वेद लाहोटी बीते 2 सालों से कोटा में रहकर तैयारी कर रहे थे. उन्होंने अकेले ही कोटा में रहकर पढ़ाई की. वो मूल रूप से मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले हैं, लेकिन उन्होंने पढ़ाई के लिए कोटा को चुना और यहां आने की जिद पर अड़ गए थे. वहीं, इस रिजल्ट में उनकी जिद का परिणाम भी अब सबके सामने है. वेद को इस परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त हुए हैं. उन्हें कुल 98.61 फीसदी अंक मिले हैं. उनके 360 में से 355 अंक आए हैं. इससे पहले वेद को 10वीं में 98.6 फीसदी और 12वीं में 97.6 प्रतिशत अंक मिले थे. जेईई-मेन 2024 में उन्हें 300 में से 295 अंक प्राप्त हुए थे और ऑल इंडिया में उनकी 119 रैंक थी.
बचपन से जुनूनी हैं वेद : वहीं, वेद हर बात का तार्किक जवाब देते हैं. बचपन में स्कूल में किसी सब्जेक्ट में नंबर कम आ जाते थे तो अपने नाना को लेकर स्कूल चले जाते थे और टीचर्स से पूछते थे कि नंबर कम क्यों आए ? उनका यह जुनून आज भी कायम है. इधर, जेईई एडवांस्ड में दो सवाल गलत हुए और इसके लिए भी वेद ने चैलेंज कर दिया कि ये कैसे गलत हुए हैं? परिवार में नाना आरसी सोमानी रिटायर्ड इंजीनियर हैं. मां जया लाहोटी गृहणी और पिता योगेश लाहोटी रिलायंस जीओ में कंस्ट्रक्शन मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं.
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जानें क्यों वेद ने कोटा को चुना : वहीं, ईटीवी भारत से बात करते हुए वेद ने कहा कि परिणाम से वो खुश हैं. उन्हें बहुत मेहनत किया था. साथ ही टीचर्स और फैमिली से भी काफी सपोर्ट मिला. वेद ने कहा कि जेईई मेन में थोड़ा कंपटीशन ज्यादा होता है. उनका एक क्वेश्चन गलत भी हो गया था. इसीलिए टैंक नीचे चली गई थी, लेकिन एडवांस्ड के लिए उन्होंने बहुत मेहनत किया था और आखिरकार उन्हें अच्छी रैंक प्राप्त हुई. उन्होंने कहा कि कोटा को वो इसलिए चुने, क्योंकि यहां देश भर से टैलेंटेड बच्चे आते हैं और हेल्दी कंपटीशन का एनवायरमेंट रहता है. इससे आगे बढ़ाने की प्रेरणा मिलती है.
IIT बॉम्बे से सीएस में बीटेक और फिर एआई पर रिसर्च : वेद ने कहा कि अभी उनका लक्ष्य आईआईटी बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस ब्रांच में दाखिला लेने का है. साथ ही वो आगे भी इसी फील्ड में सक्रिय रहेंगे और देश के लिए कुछ खास करने की इच्छा के साथ रिसर्च की तरफ रुख करेंगे. उन्होंने कहा कि वो भारत में ही रहकर काम करना चाहते हैं. कंप्यूटर साइंस के फील्ड में काफी रिसर्च का मौका है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रचलित है और उसी में वो आगे मेहनत कर रिसर्च करना चाहता है.
बेटे की सफलता पर पिता ने कही ये बात : वेद के पिता योगेश लाहोटी ने कहा कि बेटे ने वेद नाम को सार्थक कर दिया है. उसकी उपलब्धि रिकॉर्ड में तब्दील हो चुकी है. उसने देश का नाम रोशन किया है. वेद को अपने बैच में टफ कम्पीटिशन मिला. उसके साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स का स्तर भी वेद के स्तर का ही था. ऐसे में टेस्ट में एक-एक अंक को लेकर पूरा कम्पीटिशन दोस्तों के बीच था. क्लास में भी डाउट्स को लेकर बहुत अच्छे डिस्कशन होते थे. यही कारण रहा कि टॉपिक्स क्लीयर होते चले गए और सब्जेक्ट स्ट्रांग हो गए.
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रिकॉर्ड ब्रेक करने की थी जिद : ऑल इंडिया टॉपर बनने के बाद वेद लाहोटी का कहना है कि जीवन में असंभव कुछ भी नहीं है. यदि ठान लिया जाए तो सब संभव है. जीवन में लक्ष्य होना चाहिए और वो बड़ा होना चाहिए. इसके बाद मेहनत भी उसी स्तर की होनी चाहिए. अपनी मेहनत पर भरोसा रखें. यदि आपने टारगेट के अनुसार मेहनत की है तो आपको सफलता भी जरूर मिलेगी. लर्निंग लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करना जरूरी है. पिछले सात सालों से एलन क्लासरूम स्टूडेंट है.
कुछ न कुछ पढ़ते रहिए : वेद पूरी तरह से पढ़ाकू स्टूडेंट हैं. खाना खाते समय हो या खाली बैठे समय कुछ न कुछ पढ़ते रहते हैं. नित्य नए-नए विषयों के बारे में जानने में रूचि रखते हैं. वेद लाहौटी स्मार्ट वर्क में विश्वास करते हैं. अपने टीचर्स की पूरी बात मानते हैं और उन्हीं के बताए रास्ते पर चलने में विश्वास करते हैं. टीचर्स जिस टॉपिक को जितना पढ़ने के लिए कहते हैं, उतना ही पढ़ते हैं. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि अनावश्यक मेहनत न हो. यदि टीचर्स ने प्रैक्टिस के लिए कहा है तो प्रैक्टिस ही करनी है. कक्षा 5वीं व 6वीं में उन्होंने आईएमओ इंटरनेशनल रैंकिंग में दूसरा स्थान प्राप्त किया था. उसके बाद कक्षा 8वीं में इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलंपियाड में गोल्ड मेडल हासिल किया. आईआईटी कानपुर की टेककृति-2020-21 में रैंक 1 प्राप्त करने के अलावा कई ओलम्पियाड के लिए कैंप और फाइनल तक में सलेक्ट हुए. टैलेंटेक्स में कक्षा 6 से 10 तक फाइनल रैंक प्राप्त की.
शतरंज और क्रिकेट खेलने का शौक : वेद का पसंदीदा सब्जेक्ट मैथ्स है और इसीलिए सवाल हल करना बहुत पसंद करते हैं. मैथ्स के सवाल हल करना उन्हें अच्छा लगता है. इसी कारण फिजिक्स के सवालों को भी पूरा समय देते हैं. इसके बाद दूसरे सब्जेक्टस पढ़ते हैं. अभी तक पढ़ाई का कोई शेड्यूल तय नहीं है. क्लासेज जैसे होती है, वैसे ही पढ़ाई का शेड्यूल तय होता है. वेद 8 घंटे नींद लेने से कभी कम्प्रोमाइज नहीं करते हैं. नियमित दिनचर्या को फोलो करने की कोशिश करते हैं. वेद को चेस और क्रिकेट खेलने का शौक है, लेकिन इसके लिए कभी स्कूल या डिस्ट्रिक्ट लेवल की टीम में भाग नहीं लिए. इसके अलावा सिर्फ पढ़ना ही शौक है, जब भी समय मिलता है वो कुछ न कुछ पढ़ते रहते हैं.
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पेरेंट्स को बच्चों के लिए सही निर्णय लेना चाहिए : वेद की मां जया का कहना है कि मुझे लगता है कि पढ़ाई एक आखिरी चीज नहीं होती है. बच्चा नहीं पढ़ पाए तो डिसीजन नहीं लेना चाहिए. पेरेंट्स को भी अपने बच्चों को देखना चाहिए कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई में मेहनत कर पाए तो ही उसे करना चाहिए. दूसरे फील्ड में उसे भेज देना चाहिए. बच्चों पर प्रेशराइज नहीं किया जाना चाहिए. मैंने 10वीं में सोच लिया था कि वेद को अब कोटा भेजना है और वहां पढ़ाई कराना है. वेद के लिए उनकी मां जया लाहौटी और उनके नाना आरसी सोमानी रियल मोटिवेशन हैं. वेद जब भी किसी परेशानी में होते हैं तो इनसे बात करते हैं और उनकी बात मानते हुए आगे बढ़ते हैं. अपने होम टाउन इंदौर में रहने के दौरान हर बात के लिए नाना के साथ रहता था तो कोटा में पढ़ाई के दौरान मम्मी ने पूरा साथ दिया. परीक्षा के दौरान भी मां पूरी तरह साथ रही और मोटिवेट करती रही.
कोटा में पढ़ने की थी जिद : वेद कोटा में पढ़ना चाहते थे. वेद ने टैलेंटेक्स एग्जाम कक्षा 6वीं में दिया था और उसके साथ ही कोटा में एडमिशन भी लिया. कक्षा 10वीं पास करने के बाद उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें कोटा आना है. कोटा के बारे में बहुत सुना था. हालांकि, अब वेद बताते हैं कि कोटा के बारे में जो सुना था, उससे भी अच्छा पाया. यहां का माहौल, सुविधाएं और फैकल्टीज का स्तर बहुत अलग है.