श्रीनगर (उत्तराखंड): पौड़ी जिले की जयंती थपलियाल ने अपने जिले का ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है. बचपन से ही अभावों में जीवन यापन करने वाली जयंती का बैंक ऑफ अमेरिका की ओर से आयोजित बोस्टन मैराथन की 128वीं दौड़ के लिए चयन हुआ है. अब जयंती अप्रैल महीने में आयोजित होने जा रही दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित 128वीं बोस्टन मैराथन में दौड़ लगाती नजर आएगी. इस मैराथन का आयोजन आगामी 15 अप्रैल को हो रहा है.
पिता की सैलरी कम होने से नहीं भर पाए थे कोच की फीस: बता दें कि जयंती थपलियाल का जन्म 1978 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में हुआ था. उनके पिता दिल्ली में क्लर्क के पद पर कार्यरत थे. 7 साल की उम्र में वो परिवार के साथ दिल्ली आ गई थीं. जयंती अपने तीन भाई बहन में से एक है. तीनों ही स्पोर्ट्स में रुचि रखते हैं. पिता की सैलरी इतनी नहीं थी कि वो अच्छे स्टेडियम में प्रैक्टिस करा सके और कोच की फीस भर पाए.
आर्थिक तंगी की वजह से बाहर के प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले पाती थी जयंती: लिहाजा, पैसे के अभाव में जयंती दिल्ली से बाहर किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाती थी, लेकिन इसके बावजूद जयंती कॉलोनी और स्कूल की प्रतियोगिताओं में भाग लेती रही. जहां से उसे जीत मिलती रही और हौसला अफजाई होता रहा. जयंती थपलियाल की मानें तो उनके भाई ही प्रेरणा स्रोत रहे हैं. जयंती ने 128वीं बोस्टन मैराथन में चयन होने पर खुशी जताई है.
कई दिग्गज खिलाड़ियों के साथ खेलने का मिला मौका: जयंती थपलियाल ने 12 साल की उम्र में ही त्यागराज स्टेडियम जाना शुरू कर दिया था. साल 1993 में राष्ट्रीय स्कूल खेलों में हिस्सा लिया. साल 1994 में जूनियर नेशनल कैंप का हिस्सा रहीं. जबकि, साल 1996 में सीनियर इंटर स्टेट में पीटी ऊषा, केएम बीनामोल जैसी अंतरराष्ट्रीय दिग्गजों के साथ खेलने का मौका मिला. वहीं, साल 1999 में स्पोर्ट्स कोटे से जयंती ने डिफेंस सेक्टर में ज्वाइन किया.
एक बेटी की मां है जयंती थपलियाल: वहीं, जयंती रक्षा मंत्रालय में कार्य करती हैं. उनके पति भी नौकरी पेशा करते हैं. उनका एक बेटा भी है. जयंती थपलियाल 6 बार की एडीएचएम स्वर्ण पदक विजेता हैं. वेदांता हाफ मैराथन (जिसे पहले हच, डॉल्फिन और एयरटेल के नाम से जाना जाता था) में जयंती ने अपनी एज कैटेगरी में पहला स्थान प्राप्त किया था. वहीं, स्थानीय लोगों ने पहाड़ की बेटी की इस उपलब्धि पर खुशी जताई है.
ये भी पढ़ें-
- पहाड़ की बेटी आरुषि नेगी ने पायलट बनकर भरी उड़ान, एस्ट्रोनॉट की राह बनाई आसान, देखिए वीडियो
- पहाड़ की बेटी हकीकत से हुई रूबरू तो लिख डाला पलायन पर उपन्यास
- उत्तराखंड की बेटी ने 'मायानगरी' में बनाई पहचान, फिल्मों में बिखेर रही जलवा
- Discovery India चैलेंज में उत्तराखंड की बेटी, हिमालयी नदियों में लगातीं हैं गोते
- उत्तराखंड की बेटी स्नेहा ISRO में बनीं वैज्ञानिक, बचपन में ही उठ गया था पिता का साया, संघर्ष से पाया मुकाम
- विपरीत परिस्थितियां भी नहीं तोड़ सकी पहाड़ की बेटी का हौसला, एवरेस्ट किया फतेह