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आजीवन कारावास के दोषी को रिहा करने का आदेश, 'अवैध संबंध' के चलते पत्नी का किया था मर्डर!

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने छात्रा के साथ 'अवैध संबंध' के चलते पत्नी की हत्या करने वाले आजीवन कारावास के दोषी को रिहा करने का आदेश दिया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पत्नी की हत्या करने वाले आजीवन कारावास के दोषी कुलवंत सिंह मन्हास को रिहा करने का आदेश दिया है. 17 अक्टूबर, 2024 की एक अधिसूचना में, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नव अधिनियमित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 473 के तहत मीरान साहिब क्षेत्र के कुलवंत सिंह मन्हास को रिहा करने का आदेश दिया.

हालांकि, कुलवंत सिंह मन्हास की सशर्त रिहाई होगी. उन्हें रिहाई के बाद छह शर्तों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है, जिसमें शांति बनाए रखना, अच्छा व्यवहार करना और किसी भी गैरकानूनी गतिविधि से दूर रहना शामिल है. साथ ही मन्हास को छह महीने में एक बार स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए भी कहा गया है. उन्हें अपनी रिहाई से पहले व्यक्तिगत और जमानत बांड भी देने होंगे.

अधिसूचना में कहा गया है, "इन शर्तों का कोई भी उल्लंघन करने पर उनकी समयपूर्व रिहाई रद्द कर दी जाएगी."एलजी ने जेल और पुलिस अधिकारियों को मन्हास की रिहाई के बाद उनकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने का भी निर्देश दिया है.

57 वर्षीय मन्हास 2005 में अपनी पत्नी इंदु रानी की हत्या के मामले में रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धारा 302 और शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद पहले ही लगभग 16 साल जेल में बिता चुके हैं.

यह मामला मई 2005 का है, जब मन्हास, जो आरएस पुरा में एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान चला रहा था. उसका शादी के बाद भी किसी छात्रा के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को लेकर पत्नी से हुए विवाद में उसने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जैसा कि उसकी 2010 की जमानत याचिका के जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चलता है.

2010 में, जस्टिस गुलाम हसनैन मसूदी ने उसकी जमानत खारिज करते हुए कहा था, "याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर अपने आवासीय घर में अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी, इसलिए वह अदालत द्वारा किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है."

घरेलू सहायक सहित अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाहों की गवाही के बाद उसे आखिरकार दोषी ठहराया गया, भले ही बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि कुछ गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया, जिससे उसकी संलिप्तता पर संदेह पैदा हुआ. इसलिए कुलवंत की रिहाई के बाद छह शर्तों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है.

ये भी पढ़ें: सुरेश रैना के फूफा की हत्या के मामले में कोर्ट ने 12 आरोपियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पत्नी की हत्या करने वाले आजीवन कारावास के दोषी कुलवंत सिंह मन्हास को रिहा करने का आदेश दिया है. 17 अक्टूबर, 2024 की एक अधिसूचना में, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नव अधिनियमित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 473 के तहत मीरान साहिब क्षेत्र के कुलवंत सिंह मन्हास को रिहा करने का आदेश दिया.

हालांकि, कुलवंत सिंह मन्हास की सशर्त रिहाई होगी. उन्हें रिहाई के बाद छह शर्तों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है, जिसमें शांति बनाए रखना, अच्छा व्यवहार करना और किसी भी गैरकानूनी गतिविधि से दूर रहना शामिल है. साथ ही मन्हास को छह महीने में एक बार स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए भी कहा गया है. उन्हें अपनी रिहाई से पहले व्यक्तिगत और जमानत बांड भी देने होंगे.

अधिसूचना में कहा गया है, "इन शर्तों का कोई भी उल्लंघन करने पर उनकी समयपूर्व रिहाई रद्द कर दी जाएगी."एलजी ने जेल और पुलिस अधिकारियों को मन्हास की रिहाई के बाद उनकी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखने का भी निर्देश दिया है.

57 वर्षीय मन्हास 2005 में अपनी पत्नी इंदु रानी की हत्या के मामले में रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धारा 302 और शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद पहले ही लगभग 16 साल जेल में बिता चुके हैं.

यह मामला मई 2005 का है, जब मन्हास, जो आरएस पुरा में एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान चला रहा था. उसका शादी के बाद भी किसी छात्रा के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को लेकर पत्नी से हुए विवाद में उसने अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. जैसा कि उसकी 2010 की जमानत याचिका के जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट के रिकॉर्ड से पता चलता है.

2010 में, जस्टिस गुलाम हसनैन मसूदी ने उसकी जमानत खारिज करते हुए कहा था, "याचिकाकर्ता ने कथित तौर पर अपने आवासीय घर में अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से अपनी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी, इसलिए वह अदालत द्वारा किसी भी तरह की रियायत का हकदार नहीं है."

घरेलू सहायक सहित अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाहों की गवाही के बाद उसे आखिरकार दोषी ठहराया गया, भले ही बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि कुछ गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया, जिससे उसकी संलिप्तता पर संदेह पैदा हुआ. इसलिए कुलवंत की रिहाई के बाद छह शर्तों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है.

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