केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर में वि.स. चुनाव के आखिरी चरण के मतदान के बीच बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि इस बार पाकिस्तान की तरफ से कोई हड़ताल का आह्वान नहीं किया गया, ये बड़ी उपलब्धि है . उन्होंने कहा, 'मैं कहूंगा कि कई सालों के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर में इतनी बड़ी संख्या में मतदाता वोट देने के लिए निकल रहे हैं. यह लोकतंत्र का उत्सव है. सबसे पहले, आपको यह समझना होगा कि पिछले 30-35 सालों में पहली बार इस तरह के चुनाव हो रहे हैं. पाकिस्तान की तरफ से कोई हड़ताल का आह्वान नहीं था, न ही कोई बहिष्कार का आह्वान था, न ही पहले की तरह 8-10फीसदी मतदान हुआ. इसलिए मैंने कहा कि सही मायने में जम्मू-कश्मीर का लोकतंत्र भारत की मुख्यधारा से जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.'
जितेंद्र सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान से आए ये सभी शरणार्थी कांग्रेस पार्टी के प्रति बहुत सकारात्मक नहीं थे. वे हमेशा विभाजन के लिए कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार मानते थे. इसलिए जब वे यहां आकर बसे, तो उन्हें अनुच्छेद 370 और 35ए की आड़ में मतदान के अधिकार और यहां तक कि नागरिकता के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया. विडंबना यह है कि समाज के इसी वर्ग ने भारत को दो प्रधानमंत्री दिए, डॉ. मनमोहन सिंह और आईके गुजराल. अनुच्छेद 370 ने कभी आम आदमी की मदद नहीं की. अगर आप श्रीनगर या कश्मीर की गलियों में आम आदमी से पूछेंगे, तो वे भी अनुच्छेद 370 के निरस्त होने का समर्थन करेंगे.'