नई दिल्ली: लगभग एक साल के इंतजार के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया को अपना नियमित कुलपति मिल गया. जामिया की विजिटर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विश्वविद्यालय के एक्ट में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जेएनयू के स्कूल ऑफ लैंग्वेज के प्रोफेसर मजहर आसिफ को नया कुलपति नियुक्त किया. प्रोफेसर आसिफ की नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने से 5 साल या 70 साल की उम्र सीमा पूरी करने तक होगी. प्रोफेसर आसिफ जेएनयू के ही पूर्व छात्र हैं. साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मसौदा समिति के भी सदस्य रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि 12 नवंबर 2023 को जामिया की तत्कालीन कुलपति प्रो. नजमा अख्तर का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से कुलपति का पद खाली था. प्रो. मोहम्मद शकील ने 22 मई, 2024 से नए वीसी की नियुक्ति तक जामिया मिलिया इस्लामिया के कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला था. वे अभी तक कार्यवाहक कुलपति के रूप में कार्य कर रहे थे.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नियुक्ति आदेश में लिखा है कि प्रोफेसर आसिफ की सेवा के नियम और शर्तें जामिया के मौजूदा अधिनियम, क़ानून और अध्यादेशों के तहत होंगी. प्रोफेसर मजहर शिक्षा के लिए राष्ट्रीय निगरानी समिति और नेक सहकर्मी समीक्षा टीम का भी हिस्सा रहे हैं.
बता दें, जामिया के वाइस चांसलर के नामों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए गठित सर्च कमेटी ने 31 जनवरी को अपनी पहली बैठक की थी. 15 फरवरी को एक और बैठक आयोजित हुई, जिसमें प्रोफेसर मज़हर को शॉर्टलिस्ट किया गया था. उनके नाम को सॉफ्टवेयर लिस्ट करके राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया था. उसके बाद राष्ट्रपति द्वारा घोषणा का इंतजार किया जा रहा था.
बता दें, किसी विश्वविद्यालय के कुलपति को नियुक्त करने के लिए सामान्य तौर पर विजिटर (कुलाधिपति) द्वारा विधिवत गठित सर्च कम सेलेक्शन कमेटी द्वारा अनुशंसित तीन से पांच नामों के पैनल में से की जाती है. दिए गए पैनल से असंतुष्ट होने की स्थिति में विजिटर को नए नामों के सेट की मांग करने का अधिकार है, क्योंकि जामिया एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय के विजिटर राष्ट्रपति होते हैं.
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