जयपुर. जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने 13 मई, 2008 को शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम के मामले में तिहाड़ जेल में बंद दो आरोपियों आरिज खान और असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. पीठासीन अधिकारी रमेश कुमार जोशी ने अपने फैसले में कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ कई अन्य आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं और जिंदा बम मामले की ट्रायल चल रही है. इसके अलावा प्रकरण में अभी अनुसंधान भी बाकी है और दोनों आरोपियों पर गंभीर आरोप हैं. ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता. विशेष कोर्ट ने गत 30 जनवरी को आरोपियों और राज्य सरकार की बहस सुनने के बाद अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
आरोपियों ने दायर की अर्जी : दोनों आरोपियों की ओर से अर्जी में कहा गया था कि जांच अधिकारी घटना के कई सालों बाद उनके खिलाफ अपराध प्रमाणित मानकर गलत तरीके से अनुसंधान कर उन्हें गिरफ्तार करना चाहते हैं, जबकि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. जांच अधिकारी को यह जानकारी थी कि वे 2013 से ही तिहाड़ जेल में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने पुलिस थाना कोतवाली में दर्ज ब्लास्ट केस में कोई अनुसंधान नहीं किया और न ही उन्हें गिरफ्तार किया. वे जमानत की सभी शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार हैं, इसलिए उन्हें अग्रिम जमानत दी जाए.
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जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी आरिज उर्फ जुनैद ने अन्य आरोपी मिर्जा शादाब बेग, आतीफ अमीन व सैफुर्रहमान के मोबाइल नंबर पर बात की थी. ये आरोपी जयपुर बम ब्लास्ट के आपराधिक षड्यंत्र में शामिल रहे हैं. आरोपी आरिज ने 11 मई 2008 को जयपुर आकर रेकी की थी और एक जगह पर बम रखकर ब्लास्ट किया था, जबकि आरोपी असदुल्ला ने एनआईए के एक अन्य केस में मियापुर में दिए 164 के बयान में माना है कि देशभर में किए गए कई बम ब्लास्ट के साथ ही 2008 में जयपुर में हुए बम ब्लास्ट में भी वे सरवर आजमी, सैफुर्रहमान और शादाब बेग के साथ शामिल रहा था, इसलिए आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज की जाए. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.