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दिल्ली सरकार ठप है, CM पद पर बैठा आदमी लंबे समय तक गैरहाजिर ना हो, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी - delhi high court - DELHI HIGH COURT

Delhi High Court: एमसीडी स्कूलों में बच्चों को किताबें उपलब्ध न होने के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लताड़ लगाते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के कारण सरकार ठप पड़ी हुई है. साथ ही यह भी कहा है कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला अरविंद केजरीवाल का अपना फैसला है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 29, 2024, 6:17 PM IST

Updated : Apr 29, 2024, 6:54 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में बच्चों को किताबें उपलब्ध न होने के मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. सोमवार को सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है. मुख्यमंत्री को किसी भी संकट या प्राकृतिक आपदा जैसे मामले से निपटने के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहना पड़ता है. राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित इसी में है कि इस पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक गैरहाजिर न हो.

हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला केजरीवाल का अपना फैसला है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, तो छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा. उन्हें निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म के बिना रहना पड़ेगा. दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के इस बयान में सच्चाई है कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त की वित्तीय शक्ति में किसी भी तरह की बढ़ोतरी के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी की आवश्यकता होगी. यह बयान इस बात को स्वीकार करने के बराबर है कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के कारण दिल्ली सरकार ठप पड़ी है.

हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया कि वो रुपये की सीमा से बाधित हुए बिना बच्चों को दी जाने वाली सामग्री को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए. साथ ही साथ वह 14 मई तक इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. हाईकोर्ट इस मामले पर 15 मई को सुनवाई करेगी.

यह भी पढ़ें-केजरीवाल को सिर्फ सत्ता का मोह, निजी हित को ऊपर रखा; जानिए- दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों करनी पड़ी ऐसी टिप्पणी

इससे पहले मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि केजरीवाल व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रख रहे हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार की रुचि केवल सत्ता हथियाने में है और मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर वे अपने व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रख रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि स्कूलों में किताबों और यूनिफॉर्म का वितरण कोर्ट का काम नहीं है. हम ये काम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसे करने वाले नहीं कर रहे हैं.

दिल्ली के लिए काला दिनः कोर्ट की टिप्पणी पर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि आज दिल्ली के इतिहास का काला दिन है. दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अव्यवस्था से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने तीन दिन में दूसरी बार सरकार एवं दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाई है. साथ ही नगर निगम के स्कूलों में अव्यवस्था के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं मंत्री सौरभ भारद्वाज को दोषी मानते हुए उनके व्यवहार पर कड़ी टिपण्णी की.

सचदेवा ने कि अब यह स्पष्ट है कि केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी की हठधर्मी के कारण विकास एवं रख-रखाव कार्य ठप हो गए हैं. या तो "AAP" दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति का चुनाव करवाये या जनविरोध का सामना करने को तैयार रहे. कोर्ट की आज की टिप्पणी के बाद केजरीवाल एवं सौरभ भारद्वाज को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली हाईकोर्ट ने जेलों में भीड़भाड़ के कारण विचाराधीन कैदियों की रिहाई की जनहित याचिका की खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में बच्चों को किताबें उपलब्ध न होने के मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. सोमवार को सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है. मुख्यमंत्री को किसी भी संकट या प्राकृतिक आपदा जैसे मामले से निपटने के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहना पड़ता है. राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित इसी में है कि इस पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक गैरहाजिर न हो.

हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला केजरीवाल का अपना फैसला है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अगर मुख्यमंत्री उपलब्ध नहीं हैं, तो छोटे बच्चों के मौलिक अधिकारों का हनन होगा. उन्हें निःशुल्क पाठ्य पुस्तकें और यूनिफॉर्म के बिना रहना पड़ेगा. दिल्ली के शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के इस बयान में सच्चाई है कि दिल्ली नगर निगम के आयुक्त की वित्तीय शक्ति में किसी भी तरह की बढ़ोतरी के लिए मुख्यमंत्री की मंजूरी की आवश्यकता होगी. यह बयान इस बात को स्वीकार करने के बराबर है कि मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति के कारण दिल्ली सरकार ठप पड़ी है.

हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया कि वो रुपये की सीमा से बाधित हुए बिना बच्चों को दी जाने वाली सामग्री को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए. साथ ही साथ वह 14 मई तक इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें. हाईकोर्ट इस मामले पर 15 मई को सुनवाई करेगी.

यह भी पढ़ें-केजरीवाल को सिर्फ सत्ता का मोह, निजी हित को ऊपर रखा; जानिए- दिल्ली हाईकोर्ट को क्यों करनी पड़ी ऐसी टिप्पणी

इससे पहले मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केजरीवाल पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि केजरीवाल व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रख रहे हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार की रुचि केवल सत्ता हथियाने में है और मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर वे अपने व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हितों से ऊपर रख रहे हैं. कोर्ट ने कहा था कि स्कूलों में किताबों और यूनिफॉर्म का वितरण कोर्ट का काम नहीं है. हम ये काम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसे करने वाले नहीं कर रहे हैं.

दिल्ली के लिए काला दिनः कोर्ट की टिप्पणी पर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि आज दिल्ली के इतिहास का काला दिन है. दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में अव्यवस्था से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने तीन दिन में दूसरी बार सरकार एवं दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाई है. साथ ही नगर निगम के स्कूलों में अव्यवस्था के लिए सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं मंत्री सौरभ भारद्वाज को दोषी मानते हुए उनके व्यवहार पर कड़ी टिपण्णी की.

सचदेवा ने कि अब यह स्पष्ट है कि केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी की हठधर्मी के कारण विकास एवं रख-रखाव कार्य ठप हो गए हैं. या तो "AAP" दिल्ली नगर निगम की स्थाई समिति का चुनाव करवाये या जनविरोध का सामना करने को तैयार रहे. कोर्ट की आज की टिप्पणी के बाद केजरीवाल एवं सौरभ भारद्वाज को पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है.

यह भी पढ़ें-दिल्ली हाईकोर्ट ने जेलों में भीड़भाड़ के कारण विचाराधीन कैदियों की रिहाई की जनहित याचिका की खारिज

Last Updated : Apr 29, 2024, 6:54 PM IST
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