नई दिल्ली: गाजा संघर्ष के बाद अब ईरान द्वारा समर्थित लेबनानी मिलिशिया समूह हिजबुल्लाह और इजराइल के बीच तनाव जारी है. पिछले साल अक्टूबर से, हिजबुल्लाह और इजराइल ड्रोन और सीमा पार मिसाइल से एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं. इसके चलते सीमा के दोनों ओर हजारों नागरिकों को जबरन वहां से जाना पड़ा. इजराइल का दावा है कि वह अपनी उत्तरी सीमा की सुरक्षा के लिए कार्रवाई कर रहा है, जबकि हिजबुल्लाह का दावा है कि वह गाजा में हमास का समर्थन करने के लिए इजराइल पर हमले कर रहा है.
ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत में इजराइल के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन फारेस साएब (Fares Saeb) ने कहा, "हम यह युद्ध नहीं चाहते हैं, खासकर लेबनान के खिलाफ. लेबनान के खिलाफ हमारे मन में कुछ भी नहीं है. इसके विपरीत हम कई कारणों से लेबनान को एक पड़ोसी के रूप में देखते हैं, लेकिन लेबनान में ईरानी प्रॉक्सी के साथ ऐसा नहीं होगा."
फारेस साएब ने पश्चिमी एशिया में संघर्ष, इजराइल-भारत संबंध और अन्य मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. विस्तार से पढ़ें पूरी बातचीत.
सवाल: पश्चिम एशिया क्षेत्र में तनाव बढ़ रहा है. पहले गाजा की स्थिति और अब हिजबुल्लाह के साथ संघर्ष. इजराइल क्या कर रहा है? इजराइल इसे कैसे देखता है और इजराइल और लेबनान के बीच तनाव कम करने के लिए कौन से संभावित रास्ते मौजूद हैं? आपका क्या कहना है?
जवाब: जहां तक संघर्ष का सवाल है, हमारा रुख बिल्कुल साफ है. हमास ने अभी भी 101 बंधकों को बंधक बना रखा है और जब तक हम अपने बंधकों को वापस नहीं ले लेते, जब तक हम यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि हमास और उसकी सैन्य क्षमताएं पूरी तरह से खत्म हो गई हैं, हमास के खिलाफ युद्ध नहीं रुकेगा. यह साफ है.
जैसा कि आप सभी जानते हैं 8 अक्टूबर से हिजबुल्लाह ने हमास के आतंकी प्रयासों में शामिल होने का फैसला किया, क्योंकि दोनों ही ईरानी प्रॉक्सी हैं और उन्होंने इजराइल पर मिसाइलें दागनी शुरू कर दीं. 8 अक्टूबर से इजराइल की ओर से किसी भी उकसावे के बिना, हमने उस समय हिजबुल्लाह के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. बाद में इसमें यमन के हूती और इराक के मिलिशिया भी जुड़ गए और इजराइल के खिलाफ एक बहु-मोर्चा युद्ध जैसे हालात बन गए.
इसके बाद हमने फैसला किया, क्योंकि हम हमास के खिलाफ संघर्ष में अपने बंधकों को रिहा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे. हमने तय किया कि हम जवाब नहीं देंगे. हमने हाल ही में गोलान हाइट्स में ड्रूज गांवों पर मिसाइल से हुई त्रासदियों को देखा, जिसमें 12 बच्चे मारे गए. दुर्भाग्य से व्यक्तिगत रूप से उनमें से पांच मेरे परिवार से संबंधित हैं और फिर हिजबुल्लाह ने इजराइली नागरिकों पर गोलीबारी शुरू कर दीं.
लगभग 80,000 इजराइली नागरिक अपने घरों से बाहर हैं और हम उन्हें वापस लाना चाहते हैं. इसलिए, सवाल यह नहीं है कि हम इसे (युद्ध को) कहां ले जा रहे हैं. सवाल यह है कि हिजबुल्लाह के दूसरे पक्ष का अंतिम खेल क्या है? वे इसे कहां ले जाना चाहते हैं? हम यह युद्ध नहीं चाहते हैं. हम यह युद्ध नहीं चाहते हैं, खासकर लेबनान के खिलाफ. लेबनान के खिलाफ हमारे पास कुछ भी नहीं है. इसके विपरीत, हम कई कारणों से लेबनान को एक पड़ोसी के रूप में देखते हैं, लेकिन लेबनान में ईरानी प्रॉक्सी के साथ ऐसा नहीं होगा. मैं वास्तव में आशा करता हूं कि स्थिति शांत हो जाएगी और दूसरा पक्ष समझ जाएगा कि यह चीज कहां जा रही है, और वे समझ जाएंगे.
सवाल: गाजा संघर्ष शुरू हुए एक साल हो गया है. आगे का रास्ता क्या है? गाजा संघर्ष के मामले में इजराइल सरकार क्या कर रही है? क्या हम इस मामले में किसी तरह की शांति देखेंगे, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वास्तव में इस स्थिति को लेकर चिंतित है क्योंकि इस संघर्ष से कई भू-राजनीतिक चुनौतियां सामने आ रही हैं. आपका क्या कहना है?
जवाब: जब तक उनके पास बंधक हैं, हम शांति की बात कैसे कर सकते हैं? जब आपके पास एक आतंकवादी संगठन है. उनके पास केवल 101 इजराइली बंधक नहीं हैं. वे स्थानीय लोगों, गाजा की आबादी को बंधक बनाकर रखे हुए हैं, उन्हें मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, अपनी संपत्तियों की रक्षा के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे हैं. जब हमास वहां एक संगठन, एक शक्ति के रूप में मौजूद नहीं रहेगा. उस बिंदु के बाद हम चर्चा करना शुरू कर सकते हैं कि अगले दिन क्या होगा. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भागीदारी, उदारवादी अरब देशों की भागीदारी, उदारवादी फिलिस्तीनी नेतृत्व की भागीदारी. ऐसी कई चीजें हैं जो की जा सकती हैं, लेकिन यह दो एलिमेंट के बिना कुछ नहीं होगा. इनमें हमारे बंधकों को वापस लाना और गाजा में एक भयानक सैन्य शक्ति के रूप में हमास को खत्म करना शामिल है.
सवाल: आप भविष्य में भारत-इजराइल संबंधों को कैसे देखते हैं?
जवाब: मेरा डिप्टी चीफ ऑफ मिशन के रूप में इस पद के लिए आवेदन करने का एक कारण यह है कि अब भारत में एक इजराइली राजनयिक होने का यह एक शानदार अवसर है, क्योंकि हम लगभग सभी स्तरों पर और इतने सारे क्षेत्रों में अपने भारतीय समकक्षों के साथ काम कर रहे हैं, चर्चा कर रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं. जब से मैं यहां आया हूं, बस दो महीने से भी कम समय पहले, मुझे उन लोगों से मिलने का अवसर मिला है, जो यहां भारत में प्रौद्योगिकी और स्टार्ट-अप को संभाल रहे हैं.
बेशक, कृषि और पानी के शास्त्रीय क्षेत्र, और अब हम स्वास्थ्य और अकादमियों के बीच सहयोग, लोगों के बीच संबंध के बारे में बात कर रहे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है. दोनों देशों के पास भविष्य की एक दृष्टि है. यह 30 या 40 साल पहले का भारत नहीं है. यह एक ऐसा देश है जो चांद पर गया था. हमने भी कोशिश की, लेकिन निश्चित रूप से हमारे पास ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें हम सहयोग कर सकते हैं. मैं समझता हूं कि भारत के साथ अगला कदम यह होना चाहिए कि हमारे बीच जो भी संवाद हैं, हमारे देशों के बीच जो भी सकारात्मक ऊर्जा है, उसे वास्तविकता में बदला जाए, अधिक क्षेत्रों में अधिक समझौते किए जाएं और मैं समझता हूं कि हमारे देश का भविष्य बहुत उज्ज्वल है.
सवाल: आप भारत के रुख को कैसे देखते हैं? भारत इस संघर्ष की निंदा करने वाला पहला देश था. नई दिल्ली की भूमिका के बारे में आपका क्या कहना है? इस मामले में हमारे इजराइल के साथ-साथ फिलिस्तीन के साथ भी अच्छे संबंध हैं.
जवाब: खैर, यह भारतीय नेतृत्व पर निर्भर करता है कि वे वैश्विक संघर्षों में भारत की भूमिका को कैसे देखते हैं, न कि केवल पश्चिम एशिया के बारे में. लेकिन हम भारत को अंतरराष्ट्रीय संगठन और समुदाय में एक बहुत ही उदारवादी आवाज के रूप में देखते हैं. बेशक, हम चाहते हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय संगठन का राजनीतिकरण न करने के प्रयास में हमारी मदद करे, क्योंकि यही अब हो रहा है.
हम देखते हैं कि फिलिस्तीन और कुछ अन्य देश ऐसे संगठनों का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं जो राजनीतिक नहीं हैं, जैसे अंतरराष्ट्रीय संचार संगठन, पेशेवर स्वास्थ्य संगठन. हम चाहते हैं कि भारत उन मामलों में हमारे साथ खड़ा हो. हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि अब इजराइल और भारत के बीच गहरी दोस्ती है, जिसे हम और भी आगे बढ़ा रहे हैं.
सवाल: इजराइल के अनुरोध पर भारत ने मजदूरों को इजराइल भेजा है, बहुत से लोग पहले ही जा चुके हैं और बाकी के जाने की उम्मीद है. ऐसी कई रिपोर्ट्स आ रही हैं कि भारतीय मजदूरों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इजराइल क्या कर रहा है?
जवाब: सबसे पहले हमारे पास अलग-अलग स्तर के समझौते हैं, व्यापार से व्यापार और सरकार से सरकार के बीच समझौते और सरकारी स्तर पर हमारे पास जो समझौते हैं, वे उन सभी मुद्दों को संभालने वाले हैं जो हाल ही में उठाए गए थे, खासकर मीडिया में. बेशक इस बारे में कुछ अतिशयोक्ति है, जो भारतीय मजदूर इजराइल आए, उनमें से कई उच्च स्तर के हैं. फिर भी उनकी निगरानी करना मुश्किल है, खासकर तब जब इजराइल में लगभग 10,000 भारतीय मजदूर हैं और बाकी आने वाले हैं. विचार यह है कि भारतीय कंपनियां बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के लिए इजराइल आएं. इजराइल में काम करने का तरीका भारत से अलग है. इसलिए, सिस्टम को नए विचारों, नए तरीकों, जैसी चीजों के अनुकूल होने में समय लगता है. आम राय बहुत सकारात्मक है. हम भारत से और अधिक श्रमिक चाहते हैं.
हम इजराइल में सभी विदेशी नागरिकों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, चाहे वे कामगार हों, छात्र हों या फिर अन्य इजराइली नागरिक. हमारे पास होम फ्रंट कमांड निर्देश विभिन्न भाषाओं में हैं, हिब्रू, अरबी, अंग्रेजी और अन्य भाषाएं जो इजराइल में अधिक प्रचलित हैं. वे जहां काम करते हैं, वहां सुरक्षित हैं. इजराइल में सभी विदेशी नागरिकों को हमारी सेना, सुरक्षा बल और IDF द्वारा सुरक्षित रखा जाता है.
सवाल: क्या क्षेत्र में संघर्ष को हल करने के लिए भारत के साथ किसी तरह की बैक-चैनल बातचीत चल रही है?
जवाब: कूटनीतिक दुनिया में होने वाली हर बात को साझा नहीं जा सकता, लेकिन हम भारत को एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं. हम भारत को एक उदारवादी देश के रूप में देखते हैं. बेशक, भारत के उन देशों और संगठनों के साथ भी संबंध हैं, जिनका इजराइल हिस्सा नहीं है. इसलिए हम चाहते हैं कि हमारे भारतीय मित्र आवाज बनें. मुझे लगता है कि भारत एक भूमिका निभा सकता है.
सवाल: कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि भारतीय हथियार इजराइल पहुंच रहे हैं और इजराइल इसका इस्तेमाल गाजा के खिलाफ कर रहा है. क्या यह सच है?
जवाब: मैं आपको बता सकता हूं कि इजराइल का एकमात्र गुप्त हथियार उसके लोग हैं. जब संघर्ष शुरू हुआ, तो 30,000 से अधिक इजराइली विदेश यात्राएं, पढ़ाई और वर्कप्लेस छोड़कर हमारे देश की रक्षा करने के लिए इजराइल चले आए. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे दोस्तों के साथ जो कुछ भी है, वह निश्चित रूप से हम अपने और अपने दोस्तों के लिए रखते हैं. हम किसी भी सरकार, किसी भी देश का शुक्रिया अदा करते हैं, जो हमारा समर्थन करता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किस स्तर पर है. जैसा कि मैंने कहा, इजराइल न केवल प्रॉक्सी के खिलाफ युद्ध में है, बल्कि हमारे खिलाफ एक बहुत बड़ा अंतरराष्ट्रीय अभियान चल रहा है, इसमें अंतरराष्ट्रीय संगठन भी शामिल हैं और वहां हमें अपने दोस्तों की जरूरत है.
सवाल: भारत मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर का क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और जहां तक चीन की सड़क और बेल्ट पहल का सवाल है, क्या इस परियोजना पर कोई प्रगति हुई है?
जवाब: जैसा कि मैंने कहा, यह परियोजना अपने आप में सार्थक है. भारत के लिए समुद्र और जमीन के जरिये यूरोप से जुड़ना सार्थक है. इजराइल के लिए एशिया से जुड़ना सार्थक है, क्योंकि कई सालों तक हम इसका हिस्सा नहीं थे. हमें यूरोप की ओर धकेला गया, जमीन पर कुछ चीजें हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अब कुछ नहीं होगा. नेतृत्व इसे आगे बढ़ाने का फैसला लेगा और निश्चित रूप से हमें अपने क्षेत्र में किसी तरह की कमी को पूरा करने की जरूरत है. हम इसके बारे में बहुत गंभीर हैं, हम इसे समझते हैं. हम चाहते हैं कि यह परियोजना आगे बढ़े. हम चाहते हैं कि हमारे पड़ोसी देश भी इसका हिस्सा बनें. हम चाहते हैं कि भारत भी इसका नेतृत्व करें. हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत इस परियोजना के अग्रणी देशों में से एक हो. यह वास्तव में दोनों क्षेत्रों को जोड़ने में योगदान देगा. इस परियोजना को संभव बनाने में भारत की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. मैं आशावादी हूं. इजराइली होने के नाते, आशावाद हमारे स्वभाव में है. यही कारण है कि हमारे साथ जो कुछ भी हो रहा है, उसके बावजूद हम आगे बढ़ते हैं.
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत का एक रुख है, खासकर जब बात अधिनायकवादी शासन (Totalitarian Regimes ) की आती है, जैसे कि हमारे पड़ोस के कुछ देशों में है. मुझे लगता है कि इस मामले में, भारत को इस क्षेत्र का मोराल कैंपस बनने की आवश्यकता है. मुझे पता है कि भारत के प्रशांत और हिंद महासागर में पड़ोसियों के साथ बहुत अच्छे संबंध और संपर्क हैं. भारत इस क्षेत्र में स्थिरता और उचित भू-राजनीति की लीडिंग वॉइस बनने की कोशिश कर रहा है. मैं भारत के भविष्य को लेकर आशावादी हूं और दोनों देशों के बीच संबंधों के भविष्य लेकर भी आशावादी हूं.
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