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चुनाव में प्रकृति और पर्यावरण भी हों राजनीतिक मुद्दा, जनता अब सरकार के काम पर देती है वोट- डॉ अनिल जोशी - Dr Anil Joshi Hesco

Dr Anil Joshi Interview डॉक्टर अनिल जोशी एक पर्यावरणविद्, हरित कार्यकर्ता और हिमालयन पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन यानी हेस्को (HESCO) के संस्थापक हैं. ईटीवी भारत ने लोकसभा चुनाव 2024 के परिपेक्ष्य में डॉ अनिल जोशी से चुनावी पारिस्थितिकी तंत्र, युवाओं की चुनावी सोच के साथ प्रकृति और पर्यावरण से रोजगार पर खास बातचीत की. पढ़िए पद्भूषण डॉ अनिल जोशी का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.

Dr Anil Joshi Interview
डॉक्टर अनिल जोशी का इंटरव्यू
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 30, 2024, 11:23 AM IST

Updated : Mar 30, 2024, 3:16 PM IST

डॉ अनिल जोशी का इंटरव्यू

देहरादून: उत्तराखंड राज्य में 19 अप्रैल को मतदान होना है. इसके लिए राजनीतिक दलों समेत निर्वाचन आयोग तैयारी में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. ऐसे में इस पर्वतीय राज्य पर पर्यावरण का मुद्दा एक बड़ा ज्वलंत मुद्दा है. बावजूद इसके प्रदेश की जनता इस ओर ध्यान नहीं दे पा रही है.

Dr Anil Joshi Interview
युवाओं की जिम्मेदारी

पद्मभूषण डॉ अनिल जोशी का इंटरव्यू: प्रदेश के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते युवाओं का ध्यान पर्यावरण की तरफ नहीं जा रहा है. ऐसे में पर्यावरण के क्षेत्र में जनता की कोई भागीदारी न होने के चलते चुनावों में पर्यावरण या जल-जंगल-जमीन का कोई मुद्दा नहीं रहता है. दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड राज्य बनाने का उद्देश्य जल-जंगल-जमीन को बचाना था. पर्यावरण के तमाम मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी से खास बातचीत की.

Dr Anil Joshi Interview
डॉ अनिल जोशी की वोटरों को सलाह

राज्य का पर्वतीय क्षेत्र खाली होने का ये है कारण: उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग इस वजह से भी उठी थी ताकि इस पर्वतीय क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार इस क्षेत्र का विकास हो सके. लेकिन जिस अवधारणा के साथ राज्य का गठन किया गया था, वह अवधारणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. या यों कहें कि इसके उलट पर्वतीय क्षेत्र लगातार खाली होते जा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न हो पाना है. भले ही उत्तराखंड के गठन के बाद मूल अवधारणा पूरी ना हो पाई हो, लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में राज्य गठन के बाद से ही बड़ा बदलाव देखने को मिलता रहा है. या फिर यूं कहें कि पहले के चुनाव और वर्तमान के चुनाव में काफी अंतर आ गया है.

Dr Anil Joshi Interview
युवाओं को डॉ अनिल जोशी की सलाह

अब चुनाव को लोग महत्वपूर्ण मानते हैं: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि पिछले कुछ चुनाव के बाद अब लोग चुनाव को काफी महत्वपूर्ण मानने लगे हैं. जिसकी मुख्य वजह यही है कि अब लोग इस बात पर गौर कर रहे हैं कि उनका निर्णय कितना असरदार है. साथ ही लोगों में अपने मतदान के प्रति जागरूकता भी आई है. प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीण भी अपनी भागीदारी पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, चुनाव में परिवर्तन आया है, लोगों की समझ चुनाव के प्रति बढ़ी है. साथ ही जनता अब सिर्फ नारों पर वोट नहीं देना चाहती, बल्कि अपने समाज और बदलाव को ध्यान में रखते हुए लीडर को चुनती है.

Dr Anil Joshi Interview
चुनावों को लेकर जिम्मेदार हुए लोग

जनता अब सरकारों का कामकाज देखती है: उत्तराखंड राज्य में मौजूदा राजनीतिक समीकरण के सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि प्रदेश में दो ही मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस हैं. लेकिन इस चुनाव में वर्तमान सरकार के कामकाज का भी असर देखने को मिलेगा और यह हमेशा ही रहता है. उत्तराखंड में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस सरकार की परिपाटी रही है. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब जनता ने कामकाज को आधार बनाकर एक पार्टी को दोबारा सत्ता पर पहुंचाया है. हालांकि, यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर का है ऐसे में लोगों की समझ क्या है, ये तो आने वाला चुनाव परिणाम बताएगा. लेकिन इस चुनाव में लोग बढ़ चढ़कर मतदान करेंगे और अपने हिस्से का निर्णय लेंगे.

Dr Anil Joshi Interview
जागरूक हुए वोटर

सोच-समझकर करें मतदान: पहली बार मतदान करने के अनुभव को बताते हुए अनिल जोशी ने कहा कि जब वो पहली बार वोट देने गए थे, तो उन्हें यह समझ नहीं थी कि उनका मतदान कितना महत्वपूर्ण है. हालांकि, वर्तमान समय में भारत निर्वाचन आयोग लोगों को उनके मताधिकार की जानकारी देता है. लेकिन अभी भी तमाम लोग इसे मात्र छुट्टी का दिन मान लेते हैं, जिसके चलते मतदान प्रतिशत कम रह जाता है. साथ ही कहा कि उनके अंदर एक जोश था कि वो मतदान के अधिकारी हैं और यह जोश ही उन्हें मतदान के लिए ले जाता था. यही नहीं, उस समय माता-पिता ने या गांव के लोगों ने यह कह दिया कि इसको मतदान करना है तो उन्हीं को ही मतदान कर देते थे. क्योंकि उस दौरान कभी अपनी समझ तैयार नहीं करते थे.

Dr Anil Joshi Interview
चुनाव के लेकर परिवर्तन

अब मतदान को सब गंभीरता से लेते हैं: डॉ अनिल जोशी ने कहा कि पहले और अब में काफी अंतर आ गया है. क्योंकि अब लोग अपनी समझ से मतदान करते हैं और यह जरूरी नहीं है कि एक परिवार के सभी सदस्य एक ही प्रत्याशी को मतदान करें. ये एक अच्छी बात है कि लोग अपनी अपनी समझ से अपने नेता को चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं. जोशी ने कहा कि वो मतदान अधिकारी भी रहे हैं. ऐसे में पहले चुनाव के दौरान लोग मतदान को काफी हल्के में लेते थे, जिसके चलते तमाम तरह के विवाद चुनाव के दौरान होते थे. लेकिन अब न सिर्फ मतदान अधिकारी बल्कि सरकारें भी मतदान को गंभीरता से लेती हैं. हालांकि, अब के चुनाव में भी कुछ जगहों पर विवाद होते हैं लेकिन जहां समझ होती है वहां विवाद नहीं होते.

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सिर्फ नारे नहीं, काम भी चाहिए

वास्तविक पर्यावरणीय मुद्दों पर राजनीतिक दल ध्यान नहीं दे रहे: उत्तराखंड राज्य में चुनाव के दौरान तो राजनीतिक पार्टियों तमाम मुद्दों पर जोर देती हैं, लेकिन जो प्रदेश की वास्तविक पर्यावरण जैसे मुद्दे हैं उस पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. जिसके सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि मौजूदा समय में आम आदमी की समझ से ही पर्यावरण और प्रकृति बहुत दूर है. यही कारण है कि राजनीतिक दलों का जो केंद्रीय मुद्दा होता है वह विकास का होता है और जनता भी यही चाहती है. ऐसे में जब विकास पर ही जनता और राजनीतिक पार्टियां फोकस करेंगी तो फिर चुनाव के दौरान विकास ही अहम मुद्दा बनता है. ऐसे में जब तक जनता यह तय नहीं करेगी कि प्रकृति और पर्यावरण को मुद्दा बनाना चाहिए, तब तक यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पाएंगे.

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पारिस्थितिकी से चलेगी आर्थिकी

पर्यावरण चुनावी मुद्दा नहीं बन सका: साथ ही कहा कि अगर सिर्फ राजनीतिक दल प्रकृति और पर्यावरण की बात करेंगे तो वह जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे. क्योंकि लोगों की दृष्टि में अभी तक यह चुनावी मुद्दा नहीं बना है. जबकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है. ऐसे में हो सकता है कि आने वाले चुनाव में केंद्रीय मुद्दा प्रकृति और पर्यावरण ही रहे. लेकिन आने वाले समय में हम एक ऐसा राज्य बनने जा रहे हैं, जहां जीडीपी के अलावा जीईपी (ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट) की भी बात शुरू हुई है. जिसको आने वाले समय में उत्तराखंड सरकार लॉन्च करेगी. ऐसे में यह उत्तराखंड का एक ऐसा प्रयोग होगा जो देश दुनिया में जाएगा, कि जहां एक तरफ विकास के लिए राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाएंगे. तो वही जीईपी को भी बताना होगा.

Dr Anil Joshi Interview
जीईपी पर बात होने लगी है

राजनीतिक दल ऐसे बदलेंगे मेनिफेस्टो: जनता के जागरूक होने से राजनीतिक दलों के मुद्दों में शामिल प्रकृति और पर्यावरण के सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि वो इस बात को ही आधार मानते हैं कि अगर जनता ही आवाज उठाने लगे कि उन्हें साफ पानी, स्वच्छ हवा चाहिए तो फिर राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो में यह बिंदु शामिल होते दिखाई देंगे. वर्तमान समय में जनता सिर्फ विकास के पीछे भाग रही है. राजनीतिक विकास पर जोर दे रहे हैं. लेकिन जब प्रकृति और पर्यावरण जनता के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगा तो फिर न सिर्फ यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा, बल्कि इसके साथ विकास का मुद्दा भी बराबरी से चलेगा.

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जल संचयन के लिए प्रयोग

पर्यावरण पर केंद्रित समझ बनानी होगी: उत्तराखंड राज्य में साल दर साल बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि प्रदेश का युवा प्रकृति और पर्यावरण से इतर रोजगार और विकास पर जोर दे रहा है. जिसके सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि अगर हम लोगों ने पर्यावरण पर केंद्रित समझ बनाई होती, तो फिर पर्यावरण ही एक रोजगार का जरिया बन सकता था. जिसके तहत, जंगल लगाना, पानी को जोड़ना, हवा को शुद्ध करना और मिट्टी को बेहतर करना, इसे रोजगार से जोड़ा जा सकता है. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते पहाड़ों पर उद्योगों को ज्यादा जगह नहीं दे सकते हैं. ऐसे में ऐसे उद्योगों पर काम करना चाहिए जो पारिस्थितिकीय हों. दुनिया को जंगल दें, दुनिया को पानी और हवा दें. जब दुनिया को यह सब देंगे तो यही हमारे रोजगार का जरिया बन जाएंगे. ऐसा तभी होगा जब नए प्रयोगों पर काम करेंगे.

Dr Anil Joshi Interview
पानी बचाने का संदेश

स्थानीय संसाधनों से हो रोजगार सृजन: साथ ही डॉ अनिल जोशी ने कहा कि युवाओं को भटकने ना दें. क्योंकि जिस तरह की शिक्षा हमने दी है, तो ऐसे में युवा रोजगार ढूंढेंगे ही. अगर शुरुआती दौर में ही उनको स्थानीय संसाधनों से आर्थिक रोजगार की जानकारी दें, जिससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि खाली हो रहे पहाड़ फिर से गुलज़ार हो जाएंगे. इन प्रयोगों से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे रोजगार पनपेंगे, जिसके चलते दूसरों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा. इस तरह का प्रयास उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश भर में करने की जरूरत है, ताकि युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध हो सके.

Dr Anil Joshi Interview
जंगलों को बचाने की अपील

इसलिए सूख रहे जलस्रोत: उत्तराखंड राज्य के सूख रहे नेचुरल रिसोर्सेस और स्प्रिंग्स को पुनर्जीवित करने में सरकारों के साथ ही जनता की भागीदारी के सवाल पर डॉ अनिल जोशी ने कहा कि पहले लोगों के बसने का आधार पानी का स्रोत ही था. अब आबादी को पाइपलाइन से जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते स्रोत सूख रहे हैं. होना यह चाहिए कि जो नेचुरल स्रोत हैं, उन पर काम किया जाए, जिससे पानी की किल्लत दूर हो जाएगी. साथ ही कहा कि पारंपरिक पानी की व्यवस्था से अलग जब एक विकल्प की तैयारी करते हैं, तो ना ही पारंपरिक पानी रहता है और ना ही विकल्प काम आता है. ऐसे में जो पारंपरिक पानी के स्रोत हैं, उनको पुनर्जीवित किया जाने की जरूरत है.

Dr Anil Joshi Interview
गर्मी बढ़ेगी

इस साल बहुत सताएगी गर्मी: देश दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे तापमान के बीच सरकारों और जनता को किस तरह के कदम बढ़ाने की जरूरत है? इस सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि इस साल बहुत अधिक गर्मी होने वाली है, क्योंकि इस साल समुद्री तापक्रम बढ़ेगा तो यहां भी गर्मी बढ़ेगी. जब गर्मी बढ़ेगी तो जंगलों में आग लगने, जल स्रोतों के सूखने, ग्लेशियर पिघलने जैसे तमाम साइड इफेक्ट देखने को मिलेंगे. ग्लोबल स्तर पर यह मुद्दा जोर पकड़ चुका है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर कमर कसने की जरूरत है. जिसके तहत जल संग्रहण और जंगल पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही युवाओं को अभी से ही जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वो प्रकृति और पर्यावरण की बेहतरी के लिए काम करें.

Dr Anil Joshi Interview
पर्यावरण को बढ़ता खतरा

युवाओं को राजनीतिक दशा और दिशा पर काम करना होगा: युवा मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के सवाल पर डॉ अनिल जोशी ने कहा कि युवाओं को राजनीतिक दशा और दिशा पर काम करना चाहिए. ताकि उनका वोट किसी भी तरह से प्रभावित न हो. सिवाए इसके कि व्यक्ति विशेष स्थानीय रूप से कितना उपयोगी है, कितनी नैतिकता है, कितनी उनकी समझ है इस आधार पर वोट दें. अगर राजनीति में इस शैली की शुरुआत होगी तो फिर राजनीतिज्ञ भी इसको बेहतर तरीके से समझेंगे और इसी तरह से व्यवहार भी करेंगे. लिहाजा खासकर युवा मतदाताओं को अपने चयन करने की शैली के आधार को बदलना होगा, जो इससे पहले थे.
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डॉ अनिल जोशी का इंटरव्यू

देहरादून: उत्तराखंड राज्य में 19 अप्रैल को मतदान होना है. इसके लिए राजनीतिक दलों समेत निर्वाचन आयोग तैयारी में जुटे हुए हैं. उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते प्रदेश सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है. ऐसे में इस पर्वतीय राज्य पर पर्यावरण का मुद्दा एक बड़ा ज्वलंत मुद्दा है. बावजूद इसके प्रदेश की जनता इस ओर ध्यान नहीं दे पा रही है.

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युवाओं की जिम्मेदारी

पद्मभूषण डॉ अनिल जोशी का इंटरव्यू: प्रदेश के युवा बेरोजगारी से जूझ रहे हैं, जिसके चलते युवाओं का ध्यान पर्यावरण की तरफ नहीं जा रहा है. ऐसे में पर्यावरण के क्षेत्र में जनता की कोई भागीदारी न होने के चलते चुनावों में पर्यावरण या जल-जंगल-जमीन का कोई मुद्दा नहीं रहता है. दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड राज्य बनाने का उद्देश्य जल-जंगल-जमीन को बचाना था. पर्यावरण के तमाम मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरणविद् पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी से खास बातचीत की.

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डॉ अनिल जोशी की वोटरों को सलाह

राज्य का पर्वतीय क्षेत्र खाली होने का ये है कारण: उत्तराखंड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को हुआ था. एक अलग पर्वतीय राज्य की मांग इस वजह से भी उठी थी ताकि इस पर्वतीय क्षेत्र की परिस्थितियों के अनुसार इस क्षेत्र का विकास हो सके. लेकिन जिस अवधारणा के साथ राज्य का गठन किया गया था, वह अवधारणा अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. या यों कहें कि इसके उलट पर्वतीय क्षेत्र लगातार खाली होते जा रहे हैं. इसकी मुख्य वजह मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न हो पाना है. भले ही उत्तराखंड के गठन के बाद मूल अवधारणा पूरी ना हो पाई हो, लेकिन उत्तराखंड की राजनीति में राज्य गठन के बाद से ही बड़ा बदलाव देखने को मिलता रहा है. या फिर यूं कहें कि पहले के चुनाव और वर्तमान के चुनाव में काफी अंतर आ गया है.

Dr Anil Joshi Interview
युवाओं को डॉ अनिल जोशी की सलाह

अब चुनाव को लोग महत्वपूर्ण मानते हैं: ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए पद्मभूषण डॉ अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि पिछले कुछ चुनाव के बाद अब लोग चुनाव को काफी महत्वपूर्ण मानने लगे हैं. जिसकी मुख्य वजह यही है कि अब लोग इस बात पर गौर कर रहे हैं कि उनका निर्णय कितना असरदार है. साथ ही लोगों में अपने मतदान के प्रति जागरूकता भी आई है. प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे ग्रामीण भी अपनी भागीदारी पर जोर दे रहे हैं. हालांकि, चुनाव में परिवर्तन आया है, लोगों की समझ चुनाव के प्रति बढ़ी है. साथ ही जनता अब सिर्फ नारों पर वोट नहीं देना चाहती, बल्कि अपने समाज और बदलाव को ध्यान में रखते हुए लीडर को चुनती है.

Dr Anil Joshi Interview
चुनावों को लेकर जिम्मेदार हुए लोग

जनता अब सरकारों का कामकाज देखती है: उत्तराखंड राज्य में मौजूदा राजनीतिक समीकरण के सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि प्रदेश में दो ही मुख्य पार्टियां भाजपा और कांग्रेस हैं. लेकिन इस चुनाव में वर्तमान सरकार के कामकाज का भी असर देखने को मिलेगा और यह हमेशा ही रहता है. उत्तराखंड में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस सरकार की परिपाटी रही है. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ जब जनता ने कामकाज को आधार बनाकर एक पार्टी को दोबारा सत्ता पर पहुंचाया है. हालांकि, यह चुनाव राष्ट्रीय स्तर का है ऐसे में लोगों की समझ क्या है, ये तो आने वाला चुनाव परिणाम बताएगा. लेकिन इस चुनाव में लोग बढ़ चढ़कर मतदान करेंगे और अपने हिस्से का निर्णय लेंगे.

Dr Anil Joshi Interview
जागरूक हुए वोटर

सोच-समझकर करें मतदान: पहली बार मतदान करने के अनुभव को बताते हुए अनिल जोशी ने कहा कि जब वो पहली बार वोट देने गए थे, तो उन्हें यह समझ नहीं थी कि उनका मतदान कितना महत्वपूर्ण है. हालांकि, वर्तमान समय में भारत निर्वाचन आयोग लोगों को उनके मताधिकार की जानकारी देता है. लेकिन अभी भी तमाम लोग इसे मात्र छुट्टी का दिन मान लेते हैं, जिसके चलते मतदान प्रतिशत कम रह जाता है. साथ ही कहा कि उनके अंदर एक जोश था कि वो मतदान के अधिकारी हैं और यह जोश ही उन्हें मतदान के लिए ले जाता था. यही नहीं, उस समय माता-पिता ने या गांव के लोगों ने यह कह दिया कि इसको मतदान करना है तो उन्हीं को ही मतदान कर देते थे. क्योंकि उस दौरान कभी अपनी समझ तैयार नहीं करते थे.

Dr Anil Joshi Interview
चुनाव के लेकर परिवर्तन

अब मतदान को सब गंभीरता से लेते हैं: डॉ अनिल जोशी ने कहा कि पहले और अब में काफी अंतर आ गया है. क्योंकि अब लोग अपनी समझ से मतदान करते हैं और यह जरूरी नहीं है कि एक परिवार के सभी सदस्य एक ही प्रत्याशी को मतदान करें. ये एक अच्छी बात है कि लोग अपनी अपनी समझ से अपने नेता को चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं. जोशी ने कहा कि वो मतदान अधिकारी भी रहे हैं. ऐसे में पहले चुनाव के दौरान लोग मतदान को काफी हल्के में लेते थे, जिसके चलते तमाम तरह के विवाद चुनाव के दौरान होते थे. लेकिन अब न सिर्फ मतदान अधिकारी बल्कि सरकारें भी मतदान को गंभीरता से लेती हैं. हालांकि, अब के चुनाव में भी कुछ जगहों पर विवाद होते हैं लेकिन जहां समझ होती है वहां विवाद नहीं होते.

Dr Anil Joshi Interview
सिर्फ नारे नहीं, काम भी चाहिए

वास्तविक पर्यावरणीय मुद्दों पर राजनीतिक दल ध्यान नहीं दे रहे: उत्तराखंड राज्य में चुनाव के दौरान तो राजनीतिक पार्टियों तमाम मुद्दों पर जोर देती हैं, लेकिन जो प्रदेश की वास्तविक पर्यावरण जैसे मुद्दे हैं उस पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. जिसके सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि मौजूदा समय में आम आदमी की समझ से ही पर्यावरण और प्रकृति बहुत दूर है. यही कारण है कि राजनीतिक दलों का जो केंद्रीय मुद्दा होता है वह विकास का होता है और जनता भी यही चाहती है. ऐसे में जब विकास पर ही जनता और राजनीतिक पार्टियां फोकस करेंगी तो फिर चुनाव के दौरान विकास ही अहम मुद्दा बनता है. ऐसे में जब तक जनता यह तय नहीं करेगी कि प्रकृति और पर्यावरण को मुद्दा बनाना चाहिए, तब तक यह राजनीतिक मुद्दा नहीं बन पाएंगे.

Dr Anil Joshi Interview
पारिस्थितिकी से चलेगी आर्थिकी

पर्यावरण चुनावी मुद्दा नहीं बन सका: साथ ही कहा कि अगर सिर्फ राजनीतिक दल प्रकृति और पर्यावरण की बात करेंगे तो वह जनता को लुभाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे. क्योंकि लोगों की दृष्टि में अभी तक यह चुनावी मुद्दा नहीं बना है. जबकि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है. ऐसे में हो सकता है कि आने वाले चुनाव में केंद्रीय मुद्दा प्रकृति और पर्यावरण ही रहे. लेकिन आने वाले समय में हम एक ऐसा राज्य बनने जा रहे हैं, जहां जीडीपी के अलावा जीईपी (ग्रॉस एनवायरमेंट प्रोडक्ट) की भी बात शुरू हुई है. जिसको आने वाले समय में उत्तराखंड सरकार लॉन्च करेगी. ऐसे में यह उत्तराखंड का एक ऐसा प्रयोग होगा जो देश दुनिया में जाएगा, कि जहां एक तरफ विकास के लिए राजनीतिक दल अपना दमखम दिखाएंगे. तो वही जीईपी को भी बताना होगा.

Dr Anil Joshi Interview
जीईपी पर बात होने लगी है

राजनीतिक दल ऐसे बदलेंगे मेनिफेस्टो: जनता के जागरूक होने से राजनीतिक दलों के मुद्दों में शामिल प्रकृति और पर्यावरण के सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि वो इस बात को ही आधार मानते हैं कि अगर जनता ही आवाज उठाने लगे कि उन्हें साफ पानी, स्वच्छ हवा चाहिए तो फिर राजनीतिक दलों के मेनिफेस्टो में यह बिंदु शामिल होते दिखाई देंगे. वर्तमान समय में जनता सिर्फ विकास के पीछे भाग रही है. राजनीतिक विकास पर जोर दे रहे हैं. लेकिन जब प्रकृति और पर्यावरण जनता के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगा तो फिर न सिर्फ यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनेगा, बल्कि इसके साथ विकास का मुद्दा भी बराबरी से चलेगा.

Dr Anil Joshi Interview
जल संचयन के लिए प्रयोग

पर्यावरण पर केंद्रित समझ बनानी होगी: उत्तराखंड राज्य में साल दर साल बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि प्रदेश का युवा प्रकृति और पर्यावरण से इतर रोजगार और विकास पर जोर दे रहा है. जिसके सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि अगर हम लोगों ने पर्यावरण पर केंद्रित समझ बनाई होती, तो फिर पर्यावरण ही एक रोजगार का जरिया बन सकता था. जिसके तहत, जंगल लगाना, पानी को जोड़ना, हवा को शुद्ध करना और मिट्टी को बेहतर करना, इसे रोजगार से जोड़ा जा सकता है. उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते पहाड़ों पर उद्योगों को ज्यादा जगह नहीं दे सकते हैं. ऐसे में ऐसे उद्योगों पर काम करना चाहिए जो पारिस्थितिकीय हों. दुनिया को जंगल दें, दुनिया को पानी और हवा दें. जब दुनिया को यह सब देंगे तो यही हमारे रोजगार का जरिया बन जाएंगे. ऐसा तभी होगा जब नए प्रयोगों पर काम करेंगे.

Dr Anil Joshi Interview
पानी बचाने का संदेश

स्थानीय संसाधनों से हो रोजगार सृजन: साथ ही डॉ अनिल जोशी ने कहा कि युवाओं को भटकने ना दें. क्योंकि जिस तरह की शिक्षा हमने दी है, तो ऐसे में युवा रोजगार ढूंढेंगे ही. अगर शुरुआती दौर में ही उनको स्थानीय संसाधनों से आर्थिक रोजगार की जानकारी दें, जिससे न सिर्फ युवाओं को रोजगार मिलेगा बल्कि खाली हो रहे पहाड़ फिर से गुलज़ार हो जाएंगे. इन प्रयोगों से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में ऐसे रोजगार पनपेंगे, जिसके चलते दूसरों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा. इस तरह का प्रयास उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि देश भर में करने की जरूरत है, ताकि युवाओं को स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध हो सके.

Dr Anil Joshi Interview
जंगलों को बचाने की अपील

इसलिए सूख रहे जलस्रोत: उत्तराखंड राज्य के सूख रहे नेचुरल रिसोर्सेस और स्प्रिंग्स को पुनर्जीवित करने में सरकारों के साथ ही जनता की भागीदारी के सवाल पर डॉ अनिल जोशी ने कहा कि पहले लोगों के बसने का आधार पानी का स्रोत ही था. अब आबादी को पाइपलाइन से जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते स्रोत सूख रहे हैं. होना यह चाहिए कि जो नेचुरल स्रोत हैं, उन पर काम किया जाए, जिससे पानी की किल्लत दूर हो जाएगी. साथ ही कहा कि पारंपरिक पानी की व्यवस्था से अलग जब एक विकल्प की तैयारी करते हैं, तो ना ही पारंपरिक पानी रहता है और ना ही विकल्प काम आता है. ऐसे में जो पारंपरिक पानी के स्रोत हैं, उनको पुनर्जीवित किया जाने की जरूरत है.

Dr Anil Joshi Interview
गर्मी बढ़ेगी

इस साल बहुत सताएगी गर्मी: देश दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग एक गंभीर समस्या बनी हुई है. ऐसे में लगातार बढ़ रहे तापमान के बीच सरकारों और जनता को किस तरह के कदम बढ़ाने की जरूरत है? इस सवाल पर अनिल जोशी ने कहा कि इस साल बहुत अधिक गर्मी होने वाली है, क्योंकि इस साल समुद्री तापक्रम बढ़ेगा तो यहां भी गर्मी बढ़ेगी. जब गर्मी बढ़ेगी तो जंगलों में आग लगने, जल स्रोतों के सूखने, ग्लेशियर पिघलने जैसे तमाम साइड इफेक्ट देखने को मिलेंगे. ग्लोबल स्तर पर यह मुद्दा जोर पकड़ चुका है. ऐसे में स्थानीय स्तर पर कमर कसने की जरूरत है. जिसके तहत जल संग्रहण और जंगल पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही युवाओं को अभी से ही जागरूक होने की जरूरत है, ताकि वो प्रकृति और पर्यावरण की बेहतरी के लिए काम करें.

Dr Anil Joshi Interview
पर्यावरण को बढ़ता खतरा

युवाओं को राजनीतिक दशा और दिशा पर काम करना होगा: युवा मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक करने के सवाल पर डॉ अनिल जोशी ने कहा कि युवाओं को राजनीतिक दशा और दिशा पर काम करना चाहिए. ताकि उनका वोट किसी भी तरह से प्रभावित न हो. सिवाए इसके कि व्यक्ति विशेष स्थानीय रूप से कितना उपयोगी है, कितनी नैतिकता है, कितनी उनकी समझ है इस आधार पर वोट दें. अगर राजनीति में इस शैली की शुरुआत होगी तो फिर राजनीतिज्ञ भी इसको बेहतर तरीके से समझेंगे और इसी तरह से व्यवहार भी करेंगे. लिहाजा खासकर युवा मतदाताओं को अपने चयन करने की शैली के आधार को बदलना होगा, जो इससे पहले थे.
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Last Updated : Mar 30, 2024, 3:16 PM IST
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