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जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी संबंधी समीक्षा आदेश प्रकाशित करें : सुप्रीम कोर्ट

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया है कि वह इंटरनेट पर पाबंदी संबंधी समीक्षा आदेश प्रकाशित करे. हालांकि कोर्ट ने कहा कि समीक्षा में पारित आदेशों को प्रकाशित करने की जरूरत है.

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सुप्रीम कोर्ट
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By PTI

Published : Feb 23, 2024, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वह केंद्र शासित प्रदेश में इंटरनेट सेवा बहाल करने को लेकर केंद्रीय गृह सचिव के तहत गठित विशेष समिति के समीक्षा आदेश को प्रकाशित करे. शीर्ष अदालत ने कहा कि समीक्षा महज औपचारिकता नहीं हो सकती. न्यायमूर्ति बी.आर.गवई, न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हालांकि, स्पष्ट किया कि समिति में हुई चर्चा सार्वजनिक नहीं की जाएगी.

पीठ ने कहा, 'इस बात को ध्यान में रखते हुए कि समीक्षा आदेश से भी पक्षकारों के अधिकार प्रभावित होंगे. हम अपनी प्रथम दृष्टया राय व्यक्त करते हैं कि भले ही समीक्षा को लेकर हुए विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं हो, समीक्षा में पारित आदेशों को प्रकाशित करने की आवश्यकता है.' जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालांकि समीक्षा आदेश एक आंतरिक तंत्र है, लेकिन इसे प्रकाशित करने में कोई बाधा नहीं है.

शीर्ष अदालत ने मई 2020 में केंद्र से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध की आवश्यकता का आकलन करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने को कहा था. याचिकाकर्ता 'फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स' की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि जिन राज्यों में कभी न कभी इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाए गए उन्होंने समीक्षा आदेश प्रकाशित किए लेकिन यह समझ से परे है कि केवल जम्मू और कश्मीर ऐसा क्यों नहीं कर रहा है.

ये भी पढ़ें - अदालतें राज्यों को विशेष योजनाएं लागू करने का निर्देश नहीं दे सकतीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर प्रशासन को निर्देश दिया कि वह केंद्र शासित प्रदेश में इंटरनेट सेवा बहाल करने को लेकर केंद्रीय गृह सचिव के तहत गठित विशेष समिति के समीक्षा आदेश को प्रकाशित करे. शीर्ष अदालत ने कहा कि समीक्षा महज औपचारिकता नहीं हो सकती. न्यायमूर्ति बी.आर.गवई, न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने हालांकि, स्पष्ट किया कि समिति में हुई चर्चा सार्वजनिक नहीं की जाएगी.

पीठ ने कहा, 'इस बात को ध्यान में रखते हुए कि समीक्षा आदेश से भी पक्षकारों के अधिकार प्रभावित होंगे. हम अपनी प्रथम दृष्टया राय व्यक्त करते हैं कि भले ही समीक्षा को लेकर हुए विचार-विमर्श को प्रकाशित करना आवश्यक नहीं हो, समीक्षा में पारित आदेशों को प्रकाशित करने की आवश्यकता है.' जम्मू-कश्मीर प्रशासन का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हालांकि समीक्षा आदेश एक आंतरिक तंत्र है, लेकिन इसे प्रकाशित करने में कोई बाधा नहीं है.

शीर्ष अदालत ने मई 2020 में केंद्र से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट पर प्रतिबंध की आवश्यकता का आकलन करने के लिए एक विशेष समिति गठित करने को कहा था. याचिकाकर्ता 'फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स' की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि जिन राज्यों में कभी न कभी इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाए गए उन्होंने समीक्षा आदेश प्रकाशित किए लेकिन यह समझ से परे है कि केवल जम्मू और कश्मीर ऐसा क्यों नहीं कर रहा है.

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