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विश्व विरासत दिवस : ऐतिहासिक महत्व के धरोहरों को याद दिलाना जरूरी - Day for Monuments and Sites

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 18, 2024, 12:02 AM IST

International Day for Monuments and Sites : आज 'स्मारकों और स्थलों का अंतरर्राष्ट्रीय दिवस' व विश्व विरासत दिवस है. ये दोनों दिवस हमें ऐतिहासिक महत्व के धरोहरों के महत्व के बारे याद दिलाते हैं और उनके लिए जमीनी स्तर पर कदम उठाने के लिए प्रेरित करते हैं. पढ़ें पूरी खबर..

International Day for Monuments and sites
स्मारकों और स्थलों का अंतरर्राष्ट्रीय दिवस

हैदराबाद : हर साल 18 अप्रैल को 'स्मारकों और स्थलों का अंतरर्राष्ट्रीय दिवस' मनाया जाता है. कार्यक्रम का आयोजन स्मारकों और स्थलों के लिए अंतरर्राष्ट्रीय परिषद की ओर से मनाया जाता है. 1983 में यूनेस्को के 22वें आम सम्मेलन के दौरान मनाने की मंजूरी दी गई थी. इस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में स्थानीय समुदायों और व्यक्तियों को विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना है. उनके जीवन, पहचान और समुदायों के लिए सांस्कृतिक विरासत के महत्व को बढ़ावा देना है. इस दिवस का उद्देश्य स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जागरूकता पैदा कर आम लोगों को इसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है.

दिवस का इतिहास: इस दिन का प्रस्ताव 18 अप्रैल, 1982 को अंतरर्राष्ट्रीय स्मारक और साइट परिषद द्वारा रखा गया था. 1983 में यूनेस्को की महासभा की ओर से इसे अनुमोदित किया गया था. पहली बार इस दिवस का आयोजन 2001 में किया गया था, जिसका विषय -हमारे ऐतिहासिक गांवों को बचाएं तय किया गया था. यह दिवस यूनेस्को की ओर समर्थित है.

युद्ध से क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए सांस्कृतिक स्थल: पूरे इतिहास में, सभी प्रकार की सांस्कृतिक विरासतें संघर्ष से प्रभावित हुई हैं. इमारतें और स्मारक अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं कलाकृतियां व प्रतीकें लूट ली गई हैं. कुछ मामलों में सांस्कृतिक स्थलों और वस्तुओं को भी जानबूझकर लक्षित कर नष्ट किया गया है.

इन कारणों से स्मारकों और सांस्कृतिक स्थलों का संरक्षण है जरूरी

  1. सांस्कृतिक विरासत स्थल जीवन और प्रेरणा के अपूरणीय स्रोत हैं.
  2. मानव चेतना का विकास एक सतत प्रक्रिया है, इतिहास यहां एक के रूप में कार्य करता है
  3. प्रयोगशाला और अतीत क्षेत्रीय कानूनों को समझने के लिए एक सीमांकन के रूप में कार्य करता है
  4. सामाजिक संरचनाओं की समझ एक आदर्श समाज की दिशा में हमारी प्रगति में सहायक होती है.
  5. प्रत्येक ऐतिहासिक स्थल के पास बताने के लिए एक महत्वपूर्ण कहानी है.
  6. विरासत स्थल जीवित स्मारक और कुछ घटनाओं का रिकॉर्ड हैं और यही हमारी वास्तविकता है.
  7. स्मारकों और सांस्कृतिक स्थलों से हमारे अतीत का गहरा संबंध है.
  8. स्मारकों/ऐतिहासिक स्थलों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभदायक है.
  9. विरासत स्थल सभी उम्र के लोगों के लिए एक उत्कृष्ट शैक्षिक संसाधन हैं.

भारत के प्रसिद्ध स्मारक

  1. मैसूर पैलेस
  2. ताज महल
  3. हवा महल
  4. खजुराहो
  5. कुतुबमीनार
  6. सांची स्तूप
  7. लाल किला
  8. चारमीनार
  9. बृहदेश्वर मंदिर
  10. कोणार्क मंदिर
  11. श्रीहरमंदिर साहब
  12. गेटवे ऑफ इंडिया
  13. विक्टोरिया मेमोरियल
  14. बहाई मंदिर (कमल मंदिर)

भारत के लुप्त स्मारक:
वर्तमान में राष्ट्रीय महत्व के 3,693 स्मारक (एमएनआई) हैं. इनकी सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की है. बीते साल संस्कृति मंत्रालय ने कहा था कि 50 संरक्षित स्मारक गायब हो गए हैं, जिनमें से 11 उत्तर प्रदेश में हैं. हालांकि न तो संस्कृति मंत्रालय और न ही एएसआई ने स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है कि वास्तव में 'लापता' या 'पता न चल पाने' का क्या मतलब है. भले ही ऐसे मामले हर साल सुर्खियों में आते हैं. प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत एएसआई को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व वाले स्मारकों को संरक्षित करने का अधिकार है. राष्ट्रीय स्मारकों की सूची को अद्यतन करने की आवश्यकता सबसे पहले जनवरी 2023 में एक वर्किंग पेपर में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) द्वारा लायी गई थी. इसमें 'लापता' और छोटे स्मारकों को सूची से हटाने का आह्वान किया गया था.

सूची से हटाई जा चुकी 18 संरचनाएं हैं

  1. हरियाणा में कोस मीनारें.
  2. अरुणाचल प्रदेश में ताम्र मंदिर
  3. जयपुर के किले में एक शिलालेख.
  4. मध्य प्रदेश में बछौन के किले में शिलालेख.
  5. राजस्थान के बारां में 12वीं सदी का मंदिर.
  6. कुटुम्बरी क्षेत्र 13/16 नाली उत्तराखंड में.
  7. नई दिल्ली में बारा खंबा कब्रिस्तान और इंचला वाली गुमटी.

इसके अलावा सबसे ज्यादा 'लुप्त' स्मारक उत्तर प्रदेश से हैं. उनमें एक बरगद का बाग भी शामिल है. गाजीपुर, कटरा नाका बंद कब्रिस्तान, रंगून में गनर बर्किट का मकबरा, गऊघाट कब्रिस्तान, जहरैला रोड पर मील 6 और 8 पर कब्रिस्तान, लखनऊ-फिजाबाद पर मील 3, 4 और 5 पर कब्रें सड़क, तीन छोटे लिंग मंदिरों के अवशेष, तेलिया नाला बौद्ध खंडहर, और ट्रेजरी बिल्डिंग पर एक टैबलेट.

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हैदराबाद : हर साल 18 अप्रैल को 'स्मारकों और स्थलों का अंतरर्राष्ट्रीय दिवस' मनाया जाता है. कार्यक्रम का आयोजन स्मारकों और स्थलों के लिए अंतरर्राष्ट्रीय परिषद की ओर से मनाया जाता है. 1983 में यूनेस्को के 22वें आम सम्मेलन के दौरान मनाने की मंजूरी दी गई थी. इस दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में स्थानीय समुदायों और व्यक्तियों को विचार करने के लिए प्रोत्साहित करना है. उनके जीवन, पहचान और समुदायों के लिए सांस्कृतिक विरासत के महत्व को बढ़ावा देना है. इस दिवस का उद्देश्य स्मारकों और ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जागरूकता पैदा कर आम लोगों को इसकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्रोत्साहित करना है.

दिवस का इतिहास: इस दिन का प्रस्ताव 18 अप्रैल, 1982 को अंतरर्राष्ट्रीय स्मारक और साइट परिषद द्वारा रखा गया था. 1983 में यूनेस्को की महासभा की ओर से इसे अनुमोदित किया गया था. पहली बार इस दिवस का आयोजन 2001 में किया गया था, जिसका विषय -हमारे ऐतिहासिक गांवों को बचाएं तय किया गया था. यह दिवस यूनेस्को की ओर समर्थित है.

युद्ध से क्षतिग्रस्त या नष्ट हुए सांस्कृतिक स्थल: पूरे इतिहास में, सभी प्रकार की सांस्कृतिक विरासतें संघर्ष से प्रभावित हुई हैं. इमारतें और स्मारक अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं कलाकृतियां व प्रतीकें लूट ली गई हैं. कुछ मामलों में सांस्कृतिक स्थलों और वस्तुओं को भी जानबूझकर लक्षित कर नष्ट किया गया है.

इन कारणों से स्मारकों और सांस्कृतिक स्थलों का संरक्षण है जरूरी

  1. सांस्कृतिक विरासत स्थल जीवन और प्रेरणा के अपूरणीय स्रोत हैं.
  2. मानव चेतना का विकास एक सतत प्रक्रिया है, इतिहास यहां एक के रूप में कार्य करता है
  3. प्रयोगशाला और अतीत क्षेत्रीय कानूनों को समझने के लिए एक सीमांकन के रूप में कार्य करता है
  4. सामाजिक संरचनाओं की समझ एक आदर्श समाज की दिशा में हमारी प्रगति में सहायक होती है.
  5. प्रत्येक ऐतिहासिक स्थल के पास बताने के लिए एक महत्वपूर्ण कहानी है.
  6. विरासत स्थल जीवित स्मारक और कुछ घटनाओं का रिकॉर्ड हैं और यही हमारी वास्तविकता है.
  7. स्मारकों और सांस्कृतिक स्थलों से हमारे अतीत का गहरा संबंध है.
  8. स्मारकों/ऐतिहासिक स्थलों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए लाभदायक है.
  9. विरासत स्थल सभी उम्र के लोगों के लिए एक उत्कृष्ट शैक्षिक संसाधन हैं.

भारत के प्रसिद्ध स्मारक

  1. मैसूर पैलेस
  2. ताज महल
  3. हवा महल
  4. खजुराहो
  5. कुतुबमीनार
  6. सांची स्तूप
  7. लाल किला
  8. चारमीनार
  9. बृहदेश्वर मंदिर
  10. कोणार्क मंदिर
  11. श्रीहरमंदिर साहब
  12. गेटवे ऑफ इंडिया
  13. विक्टोरिया मेमोरियल
  14. बहाई मंदिर (कमल मंदिर)

भारत के लुप्त स्मारक:
वर्तमान में राष्ट्रीय महत्व के 3,693 स्मारक (एमएनआई) हैं. इनकी सुरक्षा और रखरखाव की जिम्मेदारी संस्कृति मंत्रालय के अधीन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की है. बीते साल संस्कृति मंत्रालय ने कहा था कि 50 संरक्षित स्मारक गायब हो गए हैं, जिनमें से 11 उत्तर प्रदेश में हैं. हालांकि न तो संस्कृति मंत्रालय और न ही एएसआई ने स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है कि वास्तव में 'लापता' या 'पता न चल पाने' का क्या मतलब है. भले ही ऐसे मामले हर साल सुर्खियों में आते हैं. प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत एएसआई को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व वाले स्मारकों को संरक्षित करने का अधिकार है. राष्ट्रीय स्मारकों की सूची को अद्यतन करने की आवश्यकता सबसे पहले जनवरी 2023 में एक वर्किंग पेपर में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) द्वारा लायी गई थी. इसमें 'लापता' और छोटे स्मारकों को सूची से हटाने का आह्वान किया गया था.

सूची से हटाई जा चुकी 18 संरचनाएं हैं

  1. हरियाणा में कोस मीनारें.
  2. अरुणाचल प्रदेश में ताम्र मंदिर
  3. जयपुर के किले में एक शिलालेख.
  4. मध्य प्रदेश में बछौन के किले में शिलालेख.
  5. राजस्थान के बारां में 12वीं सदी का मंदिर.
  6. कुटुम्बरी क्षेत्र 13/16 नाली उत्तराखंड में.
  7. नई दिल्ली में बारा खंबा कब्रिस्तान और इंचला वाली गुमटी.

इसके अलावा सबसे ज्यादा 'लुप्त' स्मारक उत्तर प्रदेश से हैं. उनमें एक बरगद का बाग भी शामिल है. गाजीपुर, कटरा नाका बंद कब्रिस्तान, रंगून में गनर बर्किट का मकबरा, गऊघाट कब्रिस्तान, जहरैला रोड पर मील 6 और 8 पर कब्रिस्तान, लखनऊ-फिजाबाद पर मील 3, 4 और 5 पर कब्रें सड़क, तीन छोटे लिंग मंदिरों के अवशेष, तेलिया नाला बौद्ध खंडहर, और ट्रेजरी बिल्डिंग पर एक टैबलेट.

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