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झारखंड में निर्दलीय: नॉमिनेशन में आगे जीत में पीछे, आखिर जनता के भरोसे पर क्यों नहीं उतर पाते - Lok Sabha Election 2024

Independent Candidates in LS Election. झारखंड में लोकसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी बड़े ही उत्साह से चुनाव लड़ते हैं, इनकी संख्या भी अधिक होती है, लेकिन इनमें से एक-दो ही संसद तक पहुंच पाते हैं.

Independent Candidates in LS Election
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 6, 2024, 7:55 PM IST

Updated : May 6, 2024, 9:35 PM IST

सीईओ और सेवानिवृत्त उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान (ईटीवी भारत)

रांची: झारखंड के चुनावी रण में बड़ी संख्या में निर्दलीय अपना किस्मत आजमाते रहे हैं. इस बार भी लोकसभा चुनाव के दरमियान इनकी संख्या चौंकाने वाली आ रही है. अब तक पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए झारखंड में नामांकन प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है. तीसरे चरण के चुनाव के लिए नॉमिनेशन अभी जारी है.

झारखंड के 14 में से आधे सीटों पर नॉमिनेशन पूरे हो चुके हैं जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों की संख्या की तुलना में निर्दलीयों की संख्या कई गुणा अधिक है. पहले चरण के लिए 13 मई को होने वाले चुनाव में कुल 45 प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं जिसमें 28 निर्दलीय हैं. संसदीय क्षेत्र पर नजर दौड़ाएं तो इस चरण में पलामू में 09, लोहरदगा सीट पर 15, खूंटी सीट में 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, वहीं सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं.

Independent Candidates in LS Election
ग्राफिक्स (ईटीवी भारत)
2019 की तुलना में 2024 में कम प्रत्याशी के होने की संभावना

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के चुनाव में झारखंड में कुल 229 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 201 जमानत भी नहीं बचा पाये थे. सर्वाधिक 26 प्रत्याशी चतरा में थे जबकि सबसे कम 09 सिंहभूम में थे. इस बार पहले चरण में हो रहे चुनाव में सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है हालांकि पलामू में मात्र 09 प्रत्याशी हैं जो 2019 से 10 कम है.

पहले चरण में किस्मत आजमा रहे कुल 45 प्रत्याशियों में 28 निर्दलीय हैं जिसमें सर्वाधिक 11 लोहरदगा में है. आपको बता दें कि इस सीट से झामुमो के बागी विधायक चमरा लिंडा बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे चरण के चुनाव में नामांकन वापसी के बाद 6 मई को कुल 54 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जिसमें सर्वाधिक चतरा में 22, हजारीबाग में 17 और कोडरमा में 15 प्रत्याशी है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार चुनाव में सभी लोगों को खड़ा होने का अधिकार है चाहे वो दल विशेष से हों या निर्दलीय. झारखंड में निर्दलीय भी चुनाव जीतते रहे हैं.

अब तक दो ही निर्दलीय बने हैं झारखंड से सांसद

चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो लोकसभा-विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या बहुत रहती है. संख्या के अनुपात में इन्हें जनता का आशीर्वाद नहीं मिल पाता है. यही वजह है कि अधिकांश की जमानत जब्त हो जाती है. चुनाव में इनकी भूमिका अहम होने से इनकार नहीं किया जा सकता. खासकर वैसे चुनाव क्षेत्र में जहां जीत का आंकड़ा बेहद ही कम रहता है.

झारखंड के चुनावी इतिहास में लोकसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय दो ही सांसद बनने में सफल रहे. 2004 के लोकसभा चुनाव में इंदर सिंह नामधारी चतरा सीट से जीतने में सफल रहे थे उसी चुनाव में मधु कोड़ा सिंहभूम से जीतने में सफल रहे. सेवानिवृत्त उप निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कुमार वर्मा कहते हैं कि झारखंड में निर्दलीय की भूमिका खास रही है. यहां तो मुख्यमंत्री भी निर्दलीय के तौर पर मधु कोड़ा बनने में सफल रहे हैं. इसी तरह से जिन्हें बड़े राजनीतिक दल या क्षेत्रीय दल से टिकट नहीं मिल पाता है तो वो निर्दलीय के रुप में चुनाव मैदान में आ जाते हैं. अब जनता पर निर्भर करती है कि उसे किस रूप में देखती है. यदि कोई पसंद नहीं है तो आयोग ने नोटा का भी प्रावधान किया है.

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सीईओ और सेवानिवृत्त उप निर्वाचन पदाधिकारी का बयान (ईटीवी भारत)

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झारखंड के 14 में से आधे सीटों पर नॉमिनेशन पूरे हो चुके हैं जिसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के प्रत्याशियों की संख्या की तुलना में निर्दलीयों की संख्या कई गुणा अधिक है. पहले चरण के लिए 13 मई को होने वाले चुनाव में कुल 45 प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं जिसमें 28 निर्दलीय हैं. संसदीय क्षेत्र पर नजर दौड़ाएं तो इस चरण में पलामू में 09, लोहरदगा सीट पर 15, खूंटी सीट में 7 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं, वहीं सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं.

Independent Candidates in LS Election
ग्राफिक्स (ईटीवी भारत)
2019 की तुलना में 2024 में कम प्रत्याशी के होने की संभावना

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के चुनाव में झारखंड में कुल 229 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 201 जमानत भी नहीं बचा पाये थे. सर्वाधिक 26 प्रत्याशी चतरा में थे जबकि सबसे कम 09 सिंहभूम में थे. इस बार पहले चरण में हो रहे चुनाव में सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है हालांकि पलामू में मात्र 09 प्रत्याशी हैं जो 2019 से 10 कम है.

पहले चरण में किस्मत आजमा रहे कुल 45 प्रत्याशियों में 28 निर्दलीय हैं जिसमें सर्वाधिक 11 लोहरदगा में है. आपको बता दें कि इस सीट से झामुमो के बागी विधायक चमरा लिंडा बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरे चरण के चुनाव में नामांकन वापसी के बाद 6 मई को कुल 54 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. जिसमें सर्वाधिक चतरा में 22, हजारीबाग में 17 और कोडरमा में 15 प्रत्याशी है. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार के अनुसार चुनाव में सभी लोगों को खड़ा होने का अधिकार है चाहे वो दल विशेष से हों या निर्दलीय. झारखंड में निर्दलीय भी चुनाव जीतते रहे हैं.

अब तक दो ही निर्दलीय बने हैं झारखंड से सांसद

चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो लोकसभा-विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या बहुत रहती है. संख्या के अनुपात में इन्हें जनता का आशीर्वाद नहीं मिल पाता है. यही वजह है कि अधिकांश की जमानत जब्त हो जाती है. चुनाव में इनकी भूमिका अहम होने से इनकार नहीं किया जा सकता. खासकर वैसे चुनाव क्षेत्र में जहां जीत का आंकड़ा बेहद ही कम रहता है.

झारखंड के चुनावी इतिहास में लोकसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय दो ही सांसद बनने में सफल रहे. 2004 के लोकसभा चुनाव में इंदर सिंह नामधारी चतरा सीट से जीतने में सफल रहे थे उसी चुनाव में मधु कोड़ा सिंहभूम से जीतने में सफल रहे. सेवानिवृत्त उप निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कुमार वर्मा कहते हैं कि झारखंड में निर्दलीय की भूमिका खास रही है. यहां तो मुख्यमंत्री भी निर्दलीय के तौर पर मधु कोड़ा बनने में सफल रहे हैं. इसी तरह से जिन्हें बड़े राजनीतिक दल या क्षेत्रीय दल से टिकट नहीं मिल पाता है तो वो निर्दलीय के रुप में चुनाव मैदान में आ जाते हैं. अब जनता पर निर्भर करती है कि उसे किस रूप में देखती है. यदि कोई पसंद नहीं है तो आयोग ने नोटा का भी प्रावधान किया है.

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Last Updated : May 6, 2024, 9:35 PM IST
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