दावणगेरे: निजी स्कूलों का प्रभुत्व दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है. वहीं, माता-पिता भी अपने बच्चों का दाखिला निजी स्कूलों में करवाने को लेकर उत्सुक हैं. इसके चलते सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला दिन-ब-दिन कम हो रहा है. सरकारी स्कूलों में दाखिला बढ़ाने के लिए दावणगेरे जिले के चन्नागिरी तालुक के केंगापुरा नामक एक छोटे से गाँव में एक सरकारी निम्न प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक अभिनव तरीका अपना रहे हैं.
बच्चों और अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की ओर आकर्षित करने के लिए स्कूल 'डिपॉजिट' नामक अभिनव प्रयास गया है. प्रधान शिक्षक जीबी चंद्राचारी और साथी शिक्षक लक्ष्मी नारायण ने घोषणा की है कि 'शिक्षा मुफ्त जमा गारंटी' के तहत वर्ष 2024-25 के लिए इस सरकारी स्कूल में दाखिला लेने पर बच्चे के नाम पर डाकघर में 1,000 रुपये जमा कराए जाएंगे.
'सरकारी स्कूल को बचाने के लिए यह अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. प्रचार के लिए अभी से ही पर्चे बनाकर गांव-गांव बांटे जा रहे हैं. खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) ने इस अभिनव प्रयास को हरी झंडी दे दी है. स्वयं इस कार्यक्रम को लेकर सक्रिय हैं. केंगापुरा के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है.
शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग उन शिक्षकों को दूसरे सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर स्कूल बंद करने का निर्णय लेगा, जहां छात्र संख्या कम है. इसे देखते हुए केंगापुरा स्कूल के शिक्षकों ने दानदाताओं की मदद से बच्चे के नाम पर धन राशि जमा करने का एक नया प्रयोग शुरू किया है.
एक पुराने छात्र से दान: केंगापुरा गांव के निवासी हनुमा नाइक कराभारी के पुत्र गणेश नाइक ने उसी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में ससवेहल्ली कर्नाटक पब्लिक स्कूल के प्रभारी प्राचार्य के रूप में कार्यरत हैं. इस स्कूल के शिक्षकों के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए एच गणेश नाइक ने अपने पिता हनुमा नाइक के नाम पर स्कूल में 50,000 रुपये का दान देने का निर्णय लिया है. इस धन राशि से बच्चों के दाखिला लेने पर उनके नाम से एक हजार रुपये आसानी से जमा कराया जा सकेगा. साथ ही डॉ. राजनायक एस ने विद्यालय मैदान के विकास हेतु लगभग 2 लाख की लागत से कार्य करने की पेशकश की है. शिक्षक लक्ष्मीनारायण ने बताया कि शिवा नाइक ने स्कूल के विकास के लिए 25 हजार देने पर सहमति जताई है.
दाता गणेश नाइक की प्रतिक्रिया: गणेश नाइक ने फोन पर ईटीवी भारत से कहा, 'मैं इस स्कूल का पुराना छात्र हूं. हम अपने गांव के इसी स्कूल में पढ़े हैं. इस स्कूल में बच्चों का दाखिला बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. मैं उनके पिता हनुमा नाइक कराभारी के नाम पर पचास हजार दान कर रहा हूं. मैं सरकारी स्कूल को पैसा दे रहा हूं. चूंकि सरकारी स्कूलों में आने वाले बच्चे अब निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं, इसलिए हमने एक नया प्रयास शुरू किया है.