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इंदौर के धन्वंतरि मंदिर में लगता है डॉक्टरों का मेला, धनतेरस पर होती है दवाइयों की सिद्धि - INDORE LORD DHANVANTARI TEMPLE

स्वास्थ्य के देवता हैं भगवान धन्वंतरि, मान्यता है कि इंदौर के मंदिर में सिद्ध की गई जड़ी बूटी बीमारी में कारगर होती है.

INDORE LORD DHANVANTARI TEMPLE
भगवान धन्वंतरि के मंदिर में लगती है डॉक्टरों का मेला (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 29, 2024, 7:40 PM IST

इंदौर: सिर दर्द, पेट दर्द से लेकर गंभीर बीमारियों की स्थिति में मरीजों को डॉक्टर की शरण लेनी पड़ती है. मरीज अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों की सलाह लेते हैं. वहीं, इंदौर के सांठा बाजार स्थित भगवान धन्वंतरि के मंदिर में डॉक्टर अपनी जड़ी बूटी और दवाइयों की सिद्धि के लिए पहुंचते हैं. धनतेरस के दिन जड़ी बूटी सिद्ध करने के लिए इस मंदिर में डॉक्टरों का मेला लगता रहता है.

स्वास्थ्य के देवता हैं भगवान धन्वंतरि

भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य का देवता कहा जाता है. 185 साल पुराने इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यदि यहां धनतेरस की पूजा में रखी हुई जड़ी बूटी से मरीज का इलाज किया जाए तो यह मरीज की जटिल से जटिल बीमारी के इलाज में कारगर सिद्ध होती है. यही वजह है कि यहां धनतेरस के दिन डॉक्टर और मरीज दवाइयों की सिद्धि के लिए काफी संख्या में पहुंचते हैं.

धन्वंतरि मंदिर में जड़ी बूटियों के सिद्धि की है अनूठी परंपरा (ETV Bharat)

दवाओं को किया जाता है सिद्ध

धनतेरस से पहले मंदिर में पूजा पाठ की विशेष तैयारी की जाती हैं. होलकर परंपरा की मान्यता के अनुसार, मंदिर के परिसर में बैठने की व्यवस्था की जाती है. जहां दूर-दूर से आने वाले मरीज और डॉक्टर अपनी दवाइयां सिद्ध करने के लिए पूजा और अभिषेक में शामिल होते हैं. मंदिर के पुजारी मानवेंद्र त्रिवेदी बताते हैं कि "धनतेरस के दिन गंभीर बीमारी की दवाइयां भगवान धन्वंतरि के समक्ष रखकर उन्हें सिद्ध किया जाता है. इस प्रक्रिया में न केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर बल्कि एलोपैथी के डॉक्टर भी शामिल होते हैं. बड़े पैमाने पर लोग यहां स्वास्थ्य की कामना के लिए आते हैं."

ये भी पढ़ें:

मध्यप्रदेश में यहां विराजमान हैं कुबेर, गुप्तकाल से जुड़ा इस मंदिर का रोचक इतिहास

दिनार और डॉलर से सजा महालक्ष्मी का दरबार, कुबेर के खजाने में 6 करोड़ की संपत्ति आई

करोड़ों मरीजों और डॉक्टरों के आस्था का केंद्र

इंदौर के धन्वंतरि मंदिर की स्थापना होलकर स्टेट के राज्य वैध दिवंगत लक्ष्मी नारायण त्रिवेदी द्वारा आचार्य विनोबा भावे के मार्गदर्शन में की गई थी. जहां उन्होंने संगमरमर की करीब 3 फीट ऊंची भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित की थी. यह प्रतिमा आज करोड़ों मरीज और डॉक्टरों की आस्था का केंद्र है. धनतेरस के दिन सुबह 7 बजे से ही पूजा की तैयारी शुरू हो जाती हैं और धन्वंतरी की प्रतिमा का जड़ी बूटी से अभिषेक और पूजन किया जाता है.

इंदौर: सिर दर्द, पेट दर्द से लेकर गंभीर बीमारियों की स्थिति में मरीजों को डॉक्टर की शरण लेनी पड़ती है. मरीज अपने बेहतर स्वास्थ्य के लिए डॉक्टरों की सलाह लेते हैं. वहीं, इंदौर के सांठा बाजार स्थित भगवान धन्वंतरि के मंदिर में डॉक्टर अपनी जड़ी बूटी और दवाइयों की सिद्धि के लिए पहुंचते हैं. धनतेरस के दिन जड़ी बूटी सिद्ध करने के लिए इस मंदिर में डॉक्टरों का मेला लगता रहता है.

स्वास्थ्य के देवता हैं भगवान धन्वंतरि

भगवान धन्वंतरि को स्वास्थ्य का देवता कहा जाता है. 185 साल पुराने इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यदि यहां धनतेरस की पूजा में रखी हुई जड़ी बूटी से मरीज का इलाज किया जाए तो यह मरीज की जटिल से जटिल बीमारी के इलाज में कारगर सिद्ध होती है. यही वजह है कि यहां धनतेरस के दिन डॉक्टर और मरीज दवाइयों की सिद्धि के लिए काफी संख्या में पहुंचते हैं.

धन्वंतरि मंदिर में जड़ी बूटियों के सिद्धि की है अनूठी परंपरा (ETV Bharat)

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धनतेरस से पहले मंदिर में पूजा पाठ की विशेष तैयारी की जाती हैं. होलकर परंपरा की मान्यता के अनुसार, मंदिर के परिसर में बैठने की व्यवस्था की जाती है. जहां दूर-दूर से आने वाले मरीज और डॉक्टर अपनी दवाइयां सिद्ध करने के लिए पूजा और अभिषेक में शामिल होते हैं. मंदिर के पुजारी मानवेंद्र त्रिवेदी बताते हैं कि "धनतेरस के दिन गंभीर बीमारी की दवाइयां भगवान धन्वंतरि के समक्ष रखकर उन्हें सिद्ध किया जाता है. इस प्रक्रिया में न केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर बल्कि एलोपैथी के डॉक्टर भी शामिल होते हैं. बड़े पैमाने पर लोग यहां स्वास्थ्य की कामना के लिए आते हैं."

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करोड़ों मरीजों और डॉक्टरों के आस्था का केंद्र

इंदौर के धन्वंतरि मंदिर की स्थापना होलकर स्टेट के राज्य वैध दिवंगत लक्ष्मी नारायण त्रिवेदी द्वारा आचार्य विनोबा भावे के मार्गदर्शन में की गई थी. जहां उन्होंने संगमरमर की करीब 3 फीट ऊंची भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा स्थापित की थी. यह प्रतिमा आज करोड़ों मरीज और डॉक्टरों की आस्था का केंद्र है. धनतेरस के दिन सुबह 7 बजे से ही पूजा की तैयारी शुरू हो जाती हैं और धन्वंतरी की प्रतिमा का जड़ी बूटी से अभिषेक और पूजन किया जाता है.

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