हजीरा (गुजरात): भारतीय सेना के लिए विकसित किए जा रहे स्वदेशी हल्के टैंक जोरावर की झलक सामने आई है. पहाड़ों पर चढ़ने में सक्षम यह उन्नत और अत्याधुनिक टैंक भारतीय सेना के लिए कारगर साबित हो सकता है. इससे भारत को चीन पर रणनीतिक बढ़त मिलेगी. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और निजी कंपनी एलएंडटी जोरावर टैंक को विकसित कर रहे हैं. फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है. डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर कामत ने शनिवार 6 जुलाई को गुजरात के हजीरा में एलएंडटी के संयंत्र में परियोजना की प्रगति की समीक्षा की.
#WATCH | Exclusive footage of the light tank Zorawar developed jointly by DRDO and Larsen and Toubro. The tank project being developed for the Indian Army was reviewed by DRDO chief Dr Samir V Kamat in Hazira, Gujarat today. The tank has been developed by the DRDO to meet the… pic.twitter.com/bkJHdWkoWo
— ANI (@ANI) July 6, 2024
डीआरडीओ और एलएंडटी ने रूस और यूक्रेन संघर्ष से सीखते हुए टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन में यूएसवी को जोड़ा है. लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए इस दो साल के रिकॉर्ड समय में स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है. 25 टन वजन का यह टैंक परीक्षण के लिए तैयार है. भारत में यह पहली बार है कि इतने कम समय में नया टैंक डिजाइन किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में 59 जोरावर टैंक सेना को मिलेंगे. बाद में 295 और बख्तरबंद जोरावर सेना में शामिल किए जाने की योजना है.
भारतीय वायु सेना सी-17 श्रेणी के परिवहन विमान में एक बार में दो टैंकों की आपूर्ति कर सकती है क्योंकि यह टैंक हल्का है और इसे पहाड़ी क्षेत्रों में उच्च गति से चलाया जा सकता है. जोरावर टैंक का परीक्षण अगले 12-18 महीनों में पूरा होने और इसे सेना में शामिल किए जाने के लिए की उम्मीद है.
2027 तक सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद...
निरीक्षण करने के बाद समीर कामथ ने कहा कि स्वदेशी लाइट टैंक जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद वर्ष 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है. डीआरडीओ प्रमुख ने एएनआई से कहा कि लाइट टैंक को एक्शन में देखना हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. यह गौरवान्वित करने वाला पल है. यह वास्तव में मिसाल है. दो साल से ढाई साल की छोटी अवधि में हमने न केवल इस टैंक को डिजाइन किया है, बल्कि इसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया है. अब पहला प्रोटोटाइप अगले छह महीनों में विकास परीक्षणों से गुजरेगा, और फिर हम इसे सेना को परीक्षणों के लिए पेश करने के लिए तैयार होंगे.
इस अवसर पर एलएंडटी के कार्यकारी उपाध्यक्ष अरुण रामचंदानी ने कहा कि आज एलएंडटी के लिए बड़ा दिन है. दो साल के भीतर हमने टैंक को आंतरिक परीक्षणों के लिए विकसित कर लिया है. यह डीआरडीओ और एलएंडटी की टीमों की बड़ी उपलब्धि है. दुनिया में कहीं भी इतने कम समय में कोई नया उत्पाद तैनात नहीं किया गया है.
वहीं, डीआरडीओ टैंक लैब के निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि वजन के आधार पर टैंक की तीन श्रेणियां होती हैं. भारी टैंक, मध्यम टैंक और हल्के टैंक. हर एक की अपनी भूमिका होती है. एक सुरक्षा के लिए होता है, एक आक्रमण के लिए होता है और हल्के टैंक दोनों के लिए मिश्रित भूमिका निभाते हैं. आजकल दुनिया के कई देश और कंपनियां हल्के टैंक बना रही हैं. पश्चिमी टैंक हैं, रूसी टैंक हैं, चीनी टैंक हैं... इस टैंक के बारे में जो खास बात है, वह है इसका वजन और साथ ही टैंक के मूलभूत मापदंडों का संयोजन, जो कि आग, शक्ति, गतिशीलता और सुरक्षा है.
यह भी पढ़ें- दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगा AK-203! पीएम मोदी के दौरे से पहले रूस ने भारत को सौंपी 35 हजार असॉल्ट राइफल