हैदराबाद: चीनी साइबर क्रिमिनल्स द्वारा तस्करी करके कंबोडिया लाई गईं कई भारतीय महिलाओं को न्यूड कॉल करके अनजान लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. इस बात का खुलासा तेलंगाना निवासी मुंशी प्रकाश ने किया, जो चीनी फ्रॉड का शिकार हुए थे.
सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक ग्रेजुएट प्रकाश हैदराबाद में एक आईटी फर्म में काम कर रहे थे और उन्होंने विदेश में नौकरी की तलाश में जॉब्स साइट्स पर अपना प्रोफाइल पोस्ट किया. महबूबाबाद के बय्याराम मंडल के मूल निवासी ने कहा, "कंबोडिया में एक एजेंट विजय ने मुझे फोन किया और ऑस्ट्रेलिया में नौकरी का प्रस्ताव दिया. उसने कहा कि ऑस्ट्रेलिया जाने से पहले मुझे अपनी ट्रैवल हिस्ट्री बतानी होगी. उसने मुझे मलेशिया के लिए टिकट भी दिया."
नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने ट्रेनिंग
उन्होंने बताया, "कुआलालंपुर से मुझे 12 मार्च को नोम पेन्ह ले जाया गया. विजय के एक स्थानीय प्रतिनिधि ने मुझसे 85,000 रुपये की कीमत के अमेरिकी डॉलर लिए. इसके बाद चीनी नागरिकों ने मेरा पासपोर्ट जब्त कर लिया और मुझे क्रोंग बावेट ले गए, जहां टावरों वाला एक बड़ा कम्पाउंड था. मुझे अन्य भारतीयों के साथ टावर सी में रखा गया. हमें तेलुगु और अन्य भाषाओं में लड़कियों के नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाने और उनका इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी गई."
प्रकाश ने बताया कि उन्होंने मुझे एक हफ्ते तक एक डार्क कमरे में रखा और मुझे प्रताड़ित किया. जब मैं बीमार पड़ गया, तो उन्होंने मुझे बाहर निकाल दिया. इस दौरान मैं अपने दर्दनाक अनुभवों को बयान करते हुए एक वीडियो रिकॉर्ड करने में कामयाब रहा. मैंने तमिलनाडु में अपनी बहन को एक ईमेल भेजा, जिसने अधिकारियों को सूचित किया.
जेल में बिताए 12 दिन
इसके बाद भारतीय दूतावास, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सरकारों ने उन्हें रेस्क्यू करने फैसला किया. इससे पहले प्रकाश को 16 अप्रैल को कंबोडियाई पुलिस ने तस्करों से बचाया था, लेकिन चीनी गिरोह ने उस पर फर्जी आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया था. इस दौरान उन्होंने 12 दिन जेल में बिताए.
प्रकाश ने कहा, "जब अधिकारियों को पता चला कि आरोप फर्जी हैं, तो मुझे 5 जुलाई को दिल्ली भेज दिया." उनके साथ नौ अन्य लोगों को भी बचाया गया. उन्होंने कहा कि 3,000 भारतीय, जिनमें से कई आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से हैं, कंबोडिया में फंसे हुए हैं. इनमें वे लड़कियां भी शामिल हैं, जिन्हें अपने डिटेंशन कैंप से न्यूड कॉल करने के लिए मजबूर किया जाता है.
जानकारी के मुताबिक चीनी गिरोह इन साइबर गुलामों से जो पैसा कमाता है, उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल देता है और फिर अमेरिकी डॉलर में और अंत में चीनी युआन में बदल दिया जाता है.
यह भी पढ़ें- Phishing : अमीरी का लालच देकर फंसाने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल हो रहा है ज्यादा