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हिंदुओं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाले भारत, अमेरिका और यूरोपीय संघ : सरमा - BANGLADESH CRISIS

Bangladesh Crisis, बांग्लादेश में हिंदुओंं की सुरक्षा के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाना चाहिए. उक्त बातें असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहीं. उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत के अलावा अमेरिका और यूरोपीय संघ को दबाव बनाना चाहिए.

Assam CM Himanta Biswa Sarma
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2024, 3:14 PM IST

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और अन्य देशों को हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बीच देश में रहने वाले हिंदू लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना चाहिए. असम के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे को पड़ोसी देश की सरकार के समक्ष उठाने और इस मुद्दे से निपटने के लिए उन पर दबाव बनाने का भी आग्रह किया.

उन्होंने शुक्रवार को बांग्लादेश की सीमा से लगती बराक घाटी की अपनी यात्रा के दौरान कहा कि बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत लाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. हमारा उद्देश्य उन्हें लाना नहीं है, एक या दो लोग आएंगे, लेकिन बाकी को रहना चाहिए. इसलिए प्रधानमंत्री से हमारा अनुरोध है कि हमें चर्चा करनी चाहिए और बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि वहां हिंदुओं की सुरक्षा हो सके. सरमा ने कहा कि मान लीजिए हम 10 लोगों को यहां ले आए, लेकिन बाकी 20 का क्या होगा? और जब वे यहां आएंगे तो उनके पास वो ज़मीन नहीं होगी जो उनके पास पहले थी, जब वे वापस लौटेंगे तो उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा.

अमेरिका-यूरोपीय संघ को बांग्लादेश पर दबाव डालना चाहिए : डॉ. सरमा ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की भी मांग की कि वह बांग्लादेश में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे, जो अत्याचारों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त जिम्मेदारी है. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री इस दिशा में काम कर रहे हैं.

हिंदुओं को भारत लाना समाधान नहीं : सरमा ने आगे कहा कि भारत एक बड़ा देश है और थोड़े से प्रयास से हम बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा कर सकते हैं. इसलिए उन्हें यहां लाना प्राथमिकता नहीं है. पहली प्राथमिकता वहां के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. अगर हम उन्हें यहां लाएंगे तो हमें उन्हें शरणार्थी शिविर में रखना पड़ेगा. इसलिए हम नहीं चाहते कि वे शरणार्थी बनें. मैं चाहता हूं कि हिंदू लोग सम्मान के साथ जिएं. और मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री इस पर काम कर रहे हैं. बहुत जल्द हमें अच्छे नतीजे मिलेंगे.

बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में गिरावट से घुसपैठ को बढ़ावा मिल रहा : सरमा ने कहा कि ऐसे बहुत कम मामले हैं जब असम के रास्ते भारत में घुसने की कोशिश कर रहे कुछ बांग्लादेशियों को पकड़ा गया है, लेकिन उन प्रयासों को विफल कर दिया गया है. सरमा ने कहा कि मूल रूप से कपड़ा उद्योग खराब स्थिति में है और इसलिए उस उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी आजीविका के लिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने जिन लोगों को पकड़ा है, उन्होंने बताया है कि वे तमिलनाडु के कपड़ा उद्योग में काम करने के लिए भारत में आए थे.

राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से घुसपैठ पर रोक लगेगी : सरमा ने कहा कि कई घुसपैठिए असम को देश के अन्य भागों में जाने के लिए गलियारे के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि असम और त्रिपुरा सरकारें बीएसएफ के साथ मिलकर स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही हैं. सीएम सरमा ने कहा कि वे त्रिपुरा और करीमगंज के रास्ते से आते हैं, इसलिए असम सरकार, त्रिपुरा सरकार और बीएसएफ उन्हें हिरासत में ले रही है. अगर 3-4 सरकारें (सीमा साझा करने वाले राज्य) मजबूती से काम करें तो घुसपैठ रुक जाएगी.

ये भी पढ़ें- असम में 2023 तक 1,59,353 विदेशियों की पहचान की गई, सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दी जानकारी

गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने इस बात पर जोर दिया है कि भारत और अन्य देशों को हालिया राजनीतिक उथल-पुथल के बीच देश में रहने वाले हिंदू लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना चाहिए. असम के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे को पड़ोसी देश की सरकार के समक्ष उठाने और इस मुद्दे से निपटने के लिए उन पर दबाव बनाने का भी आग्रह किया.

उन्होंने शुक्रवार को बांग्लादेश की सीमा से लगती बराक घाटी की अपनी यात्रा के दौरान कहा कि बांग्लादेशी हिंदुओं को भारत लाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. हमारा उद्देश्य उन्हें लाना नहीं है, एक या दो लोग आएंगे, लेकिन बाकी को रहना चाहिए. इसलिए प्रधानमंत्री से हमारा अनुरोध है कि हमें चर्चा करनी चाहिए और बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना चाहिए ताकि वहां हिंदुओं की सुरक्षा हो सके. सरमा ने कहा कि मान लीजिए हम 10 लोगों को यहां ले आए, लेकिन बाकी 20 का क्या होगा? और जब वे यहां आएंगे तो उनके पास वो ज़मीन नहीं होगी जो उनके पास पहले थी, जब वे वापस लौटेंगे तो उन्हें कुछ भी नहीं मिलेगा.

अमेरिका-यूरोपीय संघ को बांग्लादेश पर दबाव डालना चाहिए : डॉ. सरमा ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की भी मांग की कि वह बांग्लादेश में रहने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करे, जो अत्याचारों का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालना अमेरिका और यूरोपीय संघ की संयुक्त जिम्मेदारी है. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री इस दिशा में काम कर रहे हैं.

हिंदुओं को भारत लाना समाधान नहीं : सरमा ने आगे कहा कि भारत एक बड़ा देश है और थोड़े से प्रयास से हम बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा कर सकते हैं. इसलिए उन्हें यहां लाना प्राथमिकता नहीं है. पहली प्राथमिकता वहां के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. अगर हम उन्हें यहां लाएंगे तो हमें उन्हें शरणार्थी शिविर में रखना पड़ेगा. इसलिए हम नहीं चाहते कि वे शरणार्थी बनें. मैं चाहता हूं कि हिंदू लोग सम्मान के साथ जिएं. और मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री इस पर काम कर रहे हैं. बहुत जल्द हमें अच्छे नतीजे मिलेंगे.

बांग्लादेश के कपड़ा उद्योग में गिरावट से घुसपैठ को बढ़ावा मिल रहा : सरमा ने कहा कि ऐसे बहुत कम मामले हैं जब असम के रास्ते भारत में घुसने की कोशिश कर रहे कुछ बांग्लादेशियों को पकड़ा गया है, लेकिन उन प्रयासों को विफल कर दिया गया है. सरमा ने कहा कि मूल रूप से कपड़ा उद्योग खराब स्थिति में है और इसलिए उस उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी आजीविका के लिए भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने जिन लोगों को पकड़ा है, उन्होंने बताया है कि वे तमिलनाडु के कपड़ा उद्योग में काम करने के लिए भारत में आए थे.

राज्य सरकारों के संयुक्त प्रयास से घुसपैठ पर रोक लगेगी : सरमा ने कहा कि कई घुसपैठिए असम को देश के अन्य भागों में जाने के लिए गलियारे के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि असम और त्रिपुरा सरकारें बीएसएफ के साथ मिलकर स्थिति पर कड़ी निगरानी रख रही हैं. सीएम सरमा ने कहा कि वे त्रिपुरा और करीमगंज के रास्ते से आते हैं, इसलिए असम सरकार, त्रिपुरा सरकार और बीएसएफ उन्हें हिरासत में ले रही है. अगर 3-4 सरकारें (सीमा साझा करने वाले राज्य) मजबूती से काम करें तो घुसपैठ रुक जाएगी.

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