ETV Bharat / bharat

कनाडा सरकार के पास 10 साल से लंबित हैं 26 प्रत्यर्पण अनुरोध, चरमपंथियों पर लगाम लगाने में विफल रही ट्रूडो सरकार : विदेश मंत्रालय - MINISTRY OF EXTERNAL AFFAIRS

विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चरमपंथियों पर लगाम लगाने में ट्रूडो सरकार विफल रही है.साथ ही 26 प्रत्यर्पण अनुरोध 10 साल से लंबित हैं.

Foreign Ministry spokesperson Randhir Jaiswal
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (IANS)
author img

By IANS

Published : Oct 17, 2024, 7:38 PM IST

नई दिल्ली : भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में आई दरार के बीच विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को खुलासा किया कि पिछले 10 सालों से अधिक समय से कनाडा सरकार के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं, जिनमें कुछ कट्टर खालिस्तानी चरमपंथियों और अपराधियों के बारे में भी है जो भारत में वांछित हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "कनाडा के पास 26 ऐस प्रत्यर्पण अनुरोध हैं जो पिछले एक दशक या उससे भी ज्यादा समय से लंबित हैं. इसके साथ ही कई अपराधियों की अनंतिम गिरफ्तारी के कई अनुरोध भी कनाडाई पक्ष के पास लंबित हैं. आतंकवाद और उससे जुड़े अपराधों के आरोप में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल शामिल हैं. हमने सुरक्षा से जुड़ी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है."

प्रत्यर्पण अनुरोधों में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के लोग भी शामिल हैं. भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो सरकार से अनुरोध किया है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए या कानून के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "अभी तक कनाडा की ओर से हमारे अनुरोधों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह बहुत गंभीर है. साथ ही हमें यह बहुत अजीब लगता है कि जिन लोगों को हमने निर्वासित करने के लिए कहा था, जिन पर हमने कार्रवाई करने के लिए कहा था, आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) का आरोप है कि वे कनाडा में अपराध कर रहे हैं जिनके लिए भारत दोषी है. इसलिए यह एक विरोधाभास है जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं."

भारत ने कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ पर रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों पर हुए हमलों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की. ऋषि नागर, समीर कौशल और दीपक पुंज सहित इन भारतीय मूल के पत्रकारों पर खालिस्तान से जुड़ी हिंसा की रिपोर्टिंग या आलोचना करने के लिए हमला किया गया है. कनाडाई सांसद चंद्र आर्य के अनुसार, एक अन्य आतंकवाद-रोधी खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन को कनाडा में खालिस्तानी उग्रवाद पर उनकी निर्भीक रिपोर्टिंग के लिए मौत की धमकी मिली है. हालांकि, कनाडा में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों के मामले में ट्रूडो सरकार अब तक कोई कार्रवाई करने में विफल रही है.

जायसवाल ने कहा, "यह उन लोगों द्वारा डराने-धमकाने और हिंसा के स्पष्ट उदाहरण हैं जो खुले तौर पर चरमपंथी और अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं. यह इस बात का भी उदाहरण है कि आज कनाडा किस तरह से पीड़ित है और इस तरह की हिंसा के स्रोतों को उजागर करता है. दोष भारत पर मढ़ना किसी भी तरह से काम नहीं करता है." नई दिल्ली ने ट्रूडो की भारत के प्रति जारी "शत्रुता" के बाद सोमवार को कनाडा से अपने उच्चायुक्त और "अन्य राजनयिकों और अधिकारियों" को वापस लेने का फैसला किया है.

विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह के प्रारंभ में कहा था कि भारत ने कनाडा को बता दिया है कि वह ट्रूडो सरकार द्वारा भारत के विरुद्ध उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को समर्थन दिए जाने के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा, "भारत-कनाडा के आर्थिक संबंध मजबूत और सुदृढ़ हैं. कनाडा में हमारे बहुत से प्रवासी हैं. देश में अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे ज्यादा हमारे छात्र हैं. कई बड़े कनाडाई पेंशन फंडों ने भारत में निवेश किया है और कनाडा इन संबंधों का सबसे बड़ा लाभार्थी बना हुआ है. संबंधों में मौजूदा संकट ट्रूडो सरकार के निराधार आरोपों के कारण पैदा हुआ है."

ये भी पढ़ें - भारत ने की ट्रूडो की आलोचना, कहा- खराब संबंधों के लिए सिर्फ कनाडाई पीएम जिम्मेदार

नई दिल्ली : भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में आई दरार के बीच विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को खुलासा किया कि पिछले 10 सालों से अधिक समय से कनाडा सरकार के पास 26 प्रत्यर्पण अनुरोध लंबित हैं, जिनमें कुछ कट्टर खालिस्तानी चरमपंथियों और अपराधियों के बारे में भी है जो भारत में वांछित हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, "कनाडा के पास 26 ऐस प्रत्यर्पण अनुरोध हैं जो पिछले एक दशक या उससे भी ज्यादा समय से लंबित हैं. इसके साथ ही कई अपराधियों की अनंतिम गिरफ्तारी के कई अनुरोध भी कनाडाई पक्ष के पास लंबित हैं. आतंकवाद और उससे जुड़े अपराधों के आरोप में जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें गुरजीत सिंह, गुरजिंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, लखबीर सिंह लांडा और अर्शदीप सिंह गिल शामिल हैं. हमने सुरक्षा से जुड़ी जानकारी कनाडा सरकार के साथ साझा की है."

प्रत्यर्पण अनुरोधों में लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के लोग भी शामिल हैं. भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो सरकार से अनुरोध किया है कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए या कानून के अनुसार उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "अभी तक कनाडा की ओर से हमारे अनुरोधों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. यह बहुत गंभीर है. साथ ही हमें यह बहुत अजीब लगता है कि जिन लोगों को हमने निर्वासित करने के लिए कहा था, जिन पर हमने कार्रवाई करने के लिए कहा था, आरसीएमपी (रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस) का आरोप है कि वे कनाडा में अपराध कर रहे हैं जिनके लिए भारत दोषी है. इसलिए यह एक विरोधाभास है जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं."

भारत ने कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथ पर रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों पर हुए हमलों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की. ऋषि नागर, समीर कौशल और दीपक पुंज सहित इन भारतीय मूल के पत्रकारों पर खालिस्तान से जुड़ी हिंसा की रिपोर्टिंग या आलोचना करने के लिए हमला किया गया है. कनाडाई सांसद चंद्र आर्य के अनुसार, एक अन्य आतंकवाद-रोधी खोजी पत्रकार मोचा बेजिरगन को कनाडा में खालिस्तानी उग्रवाद पर उनकी निर्भीक रिपोर्टिंग के लिए मौत की धमकी मिली है. हालांकि, कनाडा में हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ और हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों के मामले में ट्रूडो सरकार अब तक कोई कार्रवाई करने में विफल रही है.

जायसवाल ने कहा, "यह उन लोगों द्वारा डराने-धमकाने और हिंसा के स्पष्ट उदाहरण हैं जो खुले तौर पर चरमपंथी और अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं. यह इस बात का भी उदाहरण है कि आज कनाडा किस तरह से पीड़ित है और इस तरह की हिंसा के स्रोतों को उजागर करता है. दोष भारत पर मढ़ना किसी भी तरह से काम नहीं करता है." नई दिल्ली ने ट्रूडो की भारत के प्रति जारी "शत्रुता" के बाद सोमवार को कनाडा से अपने उच्चायुक्त और "अन्य राजनयिकों और अधिकारियों" को वापस लेने का फैसला किया है.

विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह के प्रारंभ में कहा था कि भारत ने कनाडा को बता दिया है कि वह ट्रूडो सरकार द्वारा भारत के विरुद्ध उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद को समर्थन दिए जाने के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कहा, "भारत-कनाडा के आर्थिक संबंध मजबूत और सुदृढ़ हैं. कनाडा में हमारे बहुत से प्रवासी हैं. देश में अंतरराष्ट्रीय छात्रों में सबसे ज्यादा हमारे छात्र हैं. कई बड़े कनाडाई पेंशन फंडों ने भारत में निवेश किया है और कनाडा इन संबंधों का सबसे बड़ा लाभार्थी बना हुआ है. संबंधों में मौजूदा संकट ट्रूडो सरकार के निराधार आरोपों के कारण पैदा हुआ है."

ये भी पढ़ें - भारत ने की ट्रूडो की आलोचना, कहा- खराब संबंधों के लिए सिर्फ कनाडाई पीएम जिम्मेदार

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.