नई दिल्ली: भारत ने कनाडा सरकार को तीखा जवाब देते हुए खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों के 'हितधारक' होने के आरोपों को खारिज कर दिया और उन्हें बेतुका करार दिया है.
कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जून 2023 में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसके बाद से ही भारत और कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं. भारत ने इन दावों को बार-बार बेतुका और प्रेरित बताते हुए खारिज किया है. भारत ने ट्रूडो की सरकार पर कनाडा के भीतर खालिस्तान समर्थक तत्वों को बढ़ावा देकर वोट बैंक की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया है.
Our response to diplomatic communication from Canada:https://t.co/TepgpVVPxp
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 14, 2024
राजनयिक विवाद तब और गहरा हो गया, जब कनाडा ने कथित तौर पर निज्जर हत्याकांड की जांच में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को 'हितधारक' के रूप में नामित किया. भारत ने तुरंत पलटवार करते हुए कनाडा पर आरोप लगाया कि वह बिना सबूत के भारतीय अधिकारियों को बदनाम कर रहा है और अपनी धरती पर खालिस्तानी आतंकवाद को रोकने में अपनी विफलता को सही ठहराने के लिए बेतुके दावों का सहारा ले रहा है.
भारत में कड़े शब्दों में कनाडा के राजनयिक संचार की निंदा की है. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, "हमें कल (रविवार) कनाडा से एक राजनयिक संचार प्राप्त हुआ है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उनके देश में एक जांच से संबंधित मामले में 'हितधारक' हैं. भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और उन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है."
भारत को बदनाम करने की रणनीति...
बयान में कहा गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य भारतीय राजनयिकों को संवेदनशील जांच में फंसाया गया है. विदेश मंत्रालय ने कहा, कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, इसलिए कनाडा सरकार ने हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया है. यह ताजा कदम उन बातचीत के बाद आया है, जिसमें फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए हैं."
बयान में कहा गया है कि इससे इस बात में कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रणनीति बनाई जा रही है.
भारतीय उच्चायुक्त पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद...
भारत सरकार ने कहा, "उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा भारत के सबसे वरिष्ठ सेवारत राजनयिक हैं, जिनका 36 वर्षों का शानदार करियर रहा है. वे जापान और सूडान में राजदूत रह चुके हैं, जबकि इटली, तुर्की, वियतनाम और चीन में भी सेवा दे चुके हैं. कनाडा सरकार द्वारा उन पर लगाए गए आरोप हास्यास्पद हैं और उन्हें तिरस्कारपूर्ण तरीके से देखा जाना चाहिए."
लाओस में पीएम मोदी से मिले थे ट्रूडो
हाल ही में लाओस में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के बीच हुई संक्षिप्त मुलाकात के बाद यह ताजा बातचीत हुई है. नई दिल्ली में सूत्रों ने इस मुलाकात को महत्वहीन बताया, जबकि ट्रूडो ने इसे 'संक्षिप्त बातचीत' बताया, जिसमें उन्होंने कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा और कानून के शासन को बनाए रखने के बारे में अपनी चिंताओं को दोहराया.
ट्रूडो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "हमने जो बात की, उसके बारे में मैं विस्तार से नहीं बताऊंगा... कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा किसी भी कनाडाई सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है."
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "भारत के प्रति प्रधानमंत्री ट्रूडो की शत्रुता लंबे समय से देखी जा रही है. 2018 में, वोट बैंक को लुभाने के उद्देश्य से भारत की उनकी यात्रा ने उन्हें असहज कर दिया. उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े रहे हैं. दिसंबर 2020 में भारतीय आंतरिक राजनीति में उनके खुले हस्तक्षेप से पता चलता है कि वे इस संबंध में किस हद तक जाने को तैयार थे. उनकी सरकार राजनीतिक दल पर निर्भर थी, जिसके नेता भारत के संबंध में खुले तौर पर अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामले और बिगड़ गए."
यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से लाओस में की मुलाकात