नई दिल्ली : भारत के कड़े विरोध की वजह से पाकिस्तान को ब्रिक्स की सदस्यता नहीं मिल सकी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 'हां' के बावजूद पाकिस्तान को लेकर अपना रूख साफ कर दिया. हाल ये हो गया कि पाकिस्तान को 'नए पार्टनर' देशों की सूची में भी जगह नहीं मिली.
यह बता दें कि पाकिस्तान ने पिछले साल ही ब्रिक्स की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. उसके आवेदन पर रूस और चीन ने सहमति भी जता दी थी. लेकिन भारत ने साफ कर दिया था कि पाकिस्तान की एंट्री सही कदम नहीं होगा.
Why Pakistan Could not apply For BRICS ?
— Dr. Qamar Cheema (@Qamarcheema) October 24, 2024
BRICS got 5 Members Last Year
This Year Another 13 Partner Countries added
Shall we Call this Pakistan’s Diplomatic Isolation ? pic.twitter.com/kTH9c61jux
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिक्स की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वह पार्टनर देशों की सूची में शामिल सभी देशों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए सर्वसम्मति जरूरी है. उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी फैसला तभी बेहतर होता है, जब संस्थापक देशों के बीच एक राय कायम हो.
अपनी बातों को दृढ़ता से रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद और आतंकियों को पनाह देने वाली ताकतों के लिए दोहरे मानदंड की कोई जगह नहीं हो सकती है. पीएम मोदी के इस स्पष्ट रूख से यह साफ हो गया था कि चीन और रूस के बैकअप के बावजूद पाकिस्तान को सदस्यता नहीं मिल सकती है.
JUST IN: Leaders from 36 countries pose together for a picture during BRICS summit:
— BRICS News (@BRICSinfo) October 24, 2024
🇮🇳 India
🇨🇳 China
🇷🇺 Russia
🇧🇷 Brazil
🇪🇬 Egypt
🇪🇹 Ethiopia
🇮🇷 Iran
🇸🇦 Saudi Arabia
🇿🇦 South Africa
🇦🇪 UAE
🇦🇲 Armenia
🇦🇿 Azerbaijan
🇧🇭 Bahrain
🇧🇩 Bangladesh
🇧🇾 Belarus
🇧🇴 Bolivia
🇨🇬 Congo
🇨🇺… pic.twitter.com/na2IdwMgo1
पाकिस्तानियों को लग रहा था कि चीन उसकी मदद करेगा और उसे ब्रिक्स की सदस्यता मिल जाएगी. उनके नेताओं ने पिछले कई महीनों से इसके लिए लॉबी भी की थी. पिछले साल जब चीन में शिखर सम्मेलन हुआ था, तब भी पाकिस्तान ने एक बयान जारी कर कहा था कि ब्रिक्स के एक सदस्य देश ने उनके आवेदन पर पानी फेर दिया. जाहिर है, पाकिस्तान ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन यह सबको पता है कि उसका इशारा भारत की ओर था.
इस बार पाकिस्तान की उम्मीदें उस वक्त बढ़ गई थीं, जब इसी साल रूस के उप प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक पाकिस्तान के दौरे पर थे. ओवरचुक ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया था कि वह ब्रिक्स की सदस्यता दिलाने को लेकर प्रयास करेंगे. उस वक्त मीडिया में ये खबरें आईं थी कि भारत-अमेरिका की बढ़ती नजदीकी का जवाब पाकिस्तान को सदस्यता दिलाकर दी जा सकती है. लेकिन पीएम मोदी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
Represented PM @narendramodi at the BRICS Outreach session in Kazan today.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) October 24, 2024
As the old order changes while inequities of the past continues, BRICS is a statement in itself and can make real difference. In this context, highlighted 5 key points:
1️⃣ Strengthening and expanding… pic.twitter.com/t0HhxTvuPe
भारत ब्रिक्स का संस्थापक देश है. ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और द. अफ्रीका शामिल है. उसके बाद इसमें चार अन्य देशों को शामिल किया गया. ये देश हैं - मिस्र, इथियोपिया, ईरान और यूएई. इन देशों को जोड़े जाने के बाद इसे ब्रिक्स प्लस का नाम दिया गया.
सर्वविदित है कि चीन अधिक से अधिक विकासशील देशों को ब्रिक्स में जगह दिलाना चाहता है, ताकि उसका प्रभाव बढ़ सके. जबकि दूसरी ओर भारत उन देशों की पैरवी करता है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था का पक्षधर हो. भारत यह कभी नहीं चाहता है कि इस संगठन में किसी एक देश की ताकत बढ़े और वह देश अपने इशारों पर संगठन को चलाए. भारत हमेशा से यह जोर देता रहा है कि किसी भी देश की आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण पर ध्यान देने के बाद ही उसे सदस्यता मिलनी चाहिए.
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