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LAC Dispute: देपसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी !

India China Border Dispute: पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक से भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की प्रकिया लगभग पूरी हो चुका है.

India China troops disengagement in Depsang and Demchok of eastern Ladakh almost completed report
पसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी ! (File Photo - ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 29, 2024, 7:24 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर देपसांग और डेमचोक इलाकों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं. रक्षा सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रमुख टकराव वाले बिंदुओं देपसांग और डेमचोक से भारतीय और चीन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष अब इन क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों और बुनियादी ढांचे को हटाने की क्रॉस-चेकिंग कर रहे हैं.

एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की समय सीमा 29 अक्टूबर थी. पिछले सप्ताह दोनों देशों ने पेट्रोलिंग समझौते पर सहमति जताई थी. जिससे उम्मीद की जा रही है कि इस समझौते से जून 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प से दोनों देशों के बीच जारी सैन्य और कूटनीतिक तनाव समाप्त हो जाएगा. इस हिंसक झड़प में दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे.

पेट्रोलिंग समझौते के तहत दोनों पक्ष सीमा पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे. हालांकि, भारत और चीन दोनों के पास देपसांग और डेमचोक में निगरानी विकल्प जारी रहेंगे और वे किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए गश्त पर निकलने से पहले एक-दूसरे को सूचित करेंगे. सूत्रों ने बताया कि जमीनी सैन्य कमांडर नियमित बैठकें करते रहेंगे.

विश्वास बहाल करने की कोशिश

सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बीते दिनों कहा कि भारतीय सेना चीनी समकक्ष के साथ विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि विश्वास का पुनर्निर्माण तब होगा जब हम एक-दूसरे को आश्वस्त कर पाएंगे कि हम सीमा पर बनाए गए बफर जोन में घुसपैठ नहीं कर रहे हैं.

हाल ही में मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि देपसांग और डेमचोक में गश्त और पीछे हटने पर आम सहमति बन गई है. उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि इसे (समझौते को) लागू करने में समय लगेगा. हमारी सेनाएं एक-दूसरे के बहुत करीब आ गई थीं और अब वे अपने ठिकानों पर वापस चली जाएंगी. हमें उम्मीद है कि 2020 की स्थिति बहाल हो जाएगी."

यह भी पढ़ें- भारत में पहली बार बनेगी टेंडर कोकोनट वाइन, चीन से जीती कानूनी लड़ाई, खत्म होगा 20 साल का इंतजार

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर देपसांग और डेमचोक इलाकों से दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं. रक्षा सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रमुख टकराव वाले बिंदुओं देपसांग और डेमचोक से भारतीय और चीन सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्ष अब इन क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों और बुनियादी ढांचे को हटाने की क्रॉस-चेकिंग कर रहे हैं.

एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की समय सीमा 29 अक्टूबर थी. पिछले सप्ताह दोनों देशों ने पेट्रोलिंग समझौते पर सहमति जताई थी. जिससे उम्मीद की जा रही है कि इस समझौते से जून 2020 में गलवान घाटी में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प से दोनों देशों के बीच जारी सैन्य और कूटनीतिक तनाव समाप्त हो जाएगा. इस हिंसक झड़प में दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे.

पेट्रोलिंग समझौते के तहत दोनों पक्ष सीमा पर अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे. हालांकि, भारत और चीन दोनों के पास देपसांग और डेमचोक में निगरानी विकल्प जारी रहेंगे और वे किसी भी गलतफहमी से बचने के लिए गश्त पर निकलने से पहले एक-दूसरे को सूचित करेंगे. सूत्रों ने बताया कि जमीनी सैन्य कमांडर नियमित बैठकें करते रहेंगे.

विश्वास बहाल करने की कोशिश

सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पर सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बीते दिनों कहा कि भारतीय सेना चीनी समकक्ष के साथ विश्वास बहाल करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि विश्वास का पुनर्निर्माण तब होगा जब हम एक-दूसरे को आश्वस्त कर पाएंगे कि हम सीमा पर बनाए गए बफर जोन में घुसपैठ नहीं कर रहे हैं.

हाल ही में मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि देपसांग और डेमचोक में गश्त और पीछे हटने पर आम सहमति बन गई है. उन्होंने कहा, "यह स्पष्ट है कि इसे (समझौते को) लागू करने में समय लगेगा. हमारी सेनाएं एक-दूसरे के बहुत करीब आ गई थीं और अब वे अपने ठिकानों पर वापस चली जाएंगी. हमें उम्मीद है कि 2020 की स्थिति बहाल हो जाएगी."

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