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झारखंड में I.N.D.I.A. ब्लॉक का खेला बिगाड़ेंगे वामदल और ओवैसी की पार्टी, 2019 की राह पर राजद - Lok Sabha election 2024

Lok Sabha election in Jharkhandलोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड में अभी तक इंडिया ब्लॉक पूरी तरह से सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है. उधर वाम दल गठबंधन से अलग हो चुके हैं. लाख दावे कर लें इंडिया ब्लॉक के नेता लेकिन चुनावी नतीजो पर इन सबका असर जरूर पड़ेगा.

LOK SABHA ELECTION 2024
LOK SABHA ELECTION 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 2, 2024, 8:25 AM IST

रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर जहां एनडीए में प्रत्याशियों का नाम और उनका निर्वाचन क्षेत्र सबकुछ साफ हो गया है. वहीं इंडिया ब्लॉक में सस्पेंस बरकरार है. एक बात जो पिछले तीन दिनों में हुई, वो यह कि वाम दलों ने इंडिया ब्लॉक से अलग होकर कई लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी.

सीपीएम ने जहां राजमहल से गोपीन सोरेन और चतरा से जैनेंद्र कुमार के नाम की घोषणा कर दी है तो सीपीआई ने चार लोकसभा क्षेत्र पलामू, लोहरदगा, चतरा और दुमका से अपने उम्मीदवार क्रमश अभय भुइंया, महेंद्र उरांव, अर्जुन कुमार और राजेश कुमार किस्कू के नाम की घोषणा कर दी है. सीपीआई अभी तीन से चार और लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है. वहीं ओवैसी की पार्टी भी दो-तीन दिनों के अंदर 10 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगी.

इधर राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने भी पलामू के साथ साथ चतरा पर दावा ठोक दिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या सीपीआई, सीपीएम, एआईएमआईएम और यहां तक कि राजद ने भी इंडिया ब्लॉक को चुनावी नुकसान पहुंचाने की तैयारी कर ली है. यह सवाल इसलिए भी क्योंकि अलग अलग लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई, सीपीएम, राजद और ओवैसी की पार्टी के समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है.

वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव राज्य में लगभग एकतरफा रहा था. खूंटी और लोहरदगा लोकसभा सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी लोकसभा सीट पर एनडीए की जीत अच्छे वोट मार्जिन से हुई थी. ऐसे में अगर वहीं ट्रेंड रहा तो ये दल साथ रहें या अलग होकर चुनाव लड़ें, नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन अगर नजदीकी मुकाबला हुआ तो फिर इन छोटे छोटे दलों को मिले वोट ही इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों को जीत से कोसों दूर कर सकते हैं.

वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि जब चुनावी मुकाबला बेहद नजदीकी होता है तब थोड़े थोड़े वोट भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि 2004 से अबतक प्रायः हर चुनाव में राजमहल लोकसभा सीट पर सीपीएम के प्रत्याशी अच्छा खासा वोट लाते रहे हैं. इसी तरह हजारीबाग में तो सीपीआई के दो दो बार सांसद भी रहे हैं. सतेंद्र सिंह आगे कहते हैं कि ओवैसी की पार्टी को लेकर महागठबंधन या इंडिया ब्लॉक के नेता भले ही कुछ कहें लेकिन यह एक सच्चाई है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के युवाओं में एक आकर्षण ओवैसी को लेकर है. वह वोट में कितना बदलता है यह देखने वाली बात होगी.

राज्य में बिखरते इंडिया ब्लॉक में एक और नुकसान राजद की ओर से भी हो सकता है. उसे सीट शेयरिंग में ज्यादा हक चाहिए. 7-5-1-1 का फॉर्मूला को अमान्य बताने वाले राजद के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक संजय सिंह यादव ने दो सीट पर दावेदारी ठोक रखी है. राजद उसी रास्ते पर आगे पर आगे बढ़ता दिख रहा है. जैसा उसने 2019 लोकसभा चुनाव में किया था. महागठबंधन में राजद को 01 सीट पलामू की मिली थी लेकिन उसने चतरा से भी अपना उम्मीदवार उतार दिया था. 85 हजार से अधिक वोट पाकर राजद के प्रत्याशी खुद तीसरे स्थान पर रहे थे और कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज यादव को भाजपा के हाथों पराजय मिली थी.

सीपीआई, सीपीएम अलग लड़ें, कोई दिक्कत नहींः सुप्रियो

राज्य में इंडिया ब्लॉक के मजबूत होने का दावा करते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सभी पार्टियों के नेता एकजुट हैं. रामलीला मैदान में वामदलों के शीर्षस्थ नेता मंच पर थे. इंडिया ब्लॉक में कई राज्यों जैसे केरल में सीपीएम और कांग्रेस के बीच मुकाबला है, प. बंगाल में टीएमसी और वाम दल आमने सामने हैं. ऐसे में अगर यहां पर सीपीआई, सीपीएम अलग चुनाव लड़ते हैं तब भी कोई परेशानी नहीं है. वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि कहीं कोई परेशानी नहीं है. राज्य में एक मजबूत गठजोड़ के साथ इंडिया ब्लॉक न सिर्फ एनडीए का मुकाबला करेगा बल्कि 14 की 14 लोकसभा सीट पर जीत भी दर्ज करेगा.

हमें भी अपनी राजनीति करनी है, राष्ट्रीय दल की मान्यता बनाये रखना हैः प्रकाश विप्लव

झारखंड में दो सीट पर सीपीएम उम्मीदवार उतारने वाली पार्टी सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद हमने तो सिर्फ एक लोकसभा सीट मांगी थी लेकिन राज्य की प्रमुख पार्टी झामुमो-कांग्रेस ने हमें तवज्जों नहीं दी. हमारी राष्ट्रीय पार्टी है और आगे भी यह दर्जा बरकरार रहे, इसके लिए उम्मीदवार तो उतारना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बाकी के 12 सीट जहां से हमारा उम्मीदवार नहीं होगा, वहां वहां हम उस प्रत्याशी की मदद और समर्थन करेंगे जो एनडीए को हराता दिखेगा.

वहीं सीपीआई के नेता अजय सिंह ने कहा कि सीपीआई को कम करके आंकने की भूल झामुमो-कांग्रेस के नेताओं ने की है. हमारा हर जगह आधार वोटर है और अपने वोट को ट्रांसफर कराने की क्षमता भी हममें है. झारखंड बनने के बाद हमने ही हजारीबाग में दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा को हराया है. उन्होंने कहा कि लोहरदगा हो या पलामू, खूंटी, हजारीबाग हर लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई का वोटर है, क्योंकि हम सालों भर किसान, मजदूर की मांगों को लेकर संघर्षशील रहते हैं.

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रांची: झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर जहां एनडीए में प्रत्याशियों का नाम और उनका निर्वाचन क्षेत्र सबकुछ साफ हो गया है. वहीं इंडिया ब्लॉक में सस्पेंस बरकरार है. एक बात जो पिछले तीन दिनों में हुई, वो यह कि वाम दलों ने इंडिया ब्लॉक से अलग होकर कई लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी.

सीपीएम ने जहां राजमहल से गोपीन सोरेन और चतरा से जैनेंद्र कुमार के नाम की घोषणा कर दी है तो सीपीआई ने चार लोकसभा क्षेत्र पलामू, लोहरदगा, चतरा और दुमका से अपने उम्मीदवार क्रमश अभय भुइंया, महेंद्र उरांव, अर्जुन कुमार और राजेश कुमार किस्कू के नाम की घोषणा कर दी है. सीपीआई अभी तीन से चार और लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है. वहीं ओवैसी की पार्टी भी दो-तीन दिनों के अंदर 10 लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर देगी.

इधर राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने भी पलामू के साथ साथ चतरा पर दावा ठोक दिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या सीपीआई, सीपीएम, एआईएमआईएम और यहां तक कि राजद ने भी इंडिया ब्लॉक को चुनावी नुकसान पहुंचाने की तैयारी कर ली है. यह सवाल इसलिए भी क्योंकि अलग अलग लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई, सीपीएम, राजद और ओवैसी की पार्टी के समर्थकों की अच्छी खासी संख्या है.

वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि 2019 का लोकसभा चुनाव राज्य में लगभग एकतरफा रहा था. खूंटी और लोहरदगा लोकसभा सीट को छोड़ दें तो बाकी सभी लोकसभा सीट पर एनडीए की जीत अच्छे वोट मार्जिन से हुई थी. ऐसे में अगर वहीं ट्रेंड रहा तो ये दल साथ रहें या अलग होकर चुनाव लड़ें, नतीजों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन अगर नजदीकी मुकाबला हुआ तो फिर इन छोटे छोटे दलों को मिले वोट ही इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवारों को जीत से कोसों दूर कर सकते हैं.

वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि जब चुनावी मुकाबला बेहद नजदीकी होता है तब थोड़े थोड़े वोट भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि 2004 से अबतक प्रायः हर चुनाव में राजमहल लोकसभा सीट पर सीपीएम के प्रत्याशी अच्छा खासा वोट लाते रहे हैं. इसी तरह हजारीबाग में तो सीपीआई के दो दो बार सांसद भी रहे हैं. सतेंद्र सिंह आगे कहते हैं कि ओवैसी की पार्टी को लेकर महागठबंधन या इंडिया ब्लॉक के नेता भले ही कुछ कहें लेकिन यह एक सच्चाई है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समाज के युवाओं में एक आकर्षण ओवैसी को लेकर है. वह वोट में कितना बदलता है यह देखने वाली बात होगी.

राज्य में बिखरते इंडिया ब्लॉक में एक और नुकसान राजद की ओर से भी हो सकता है. उसे सीट शेयरिंग में ज्यादा हक चाहिए. 7-5-1-1 का फॉर्मूला को अमान्य बताने वाले राजद के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक संजय सिंह यादव ने दो सीट पर दावेदारी ठोक रखी है. राजद उसी रास्ते पर आगे पर आगे बढ़ता दिख रहा है. जैसा उसने 2019 लोकसभा चुनाव में किया था. महागठबंधन में राजद को 01 सीट पलामू की मिली थी लेकिन उसने चतरा से भी अपना उम्मीदवार उतार दिया था. 85 हजार से अधिक वोट पाकर राजद के प्रत्याशी खुद तीसरे स्थान पर रहे थे और कांग्रेस के उम्मीदवार मनोज यादव को भाजपा के हाथों पराजय मिली थी.

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राज्य में इंडिया ब्लॉक के मजबूत होने का दावा करते हुए झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सभी पार्टियों के नेता एकजुट हैं. रामलीला मैदान में वामदलों के शीर्षस्थ नेता मंच पर थे. इंडिया ब्लॉक में कई राज्यों जैसे केरल में सीपीएम और कांग्रेस के बीच मुकाबला है, प. बंगाल में टीएमसी और वाम दल आमने सामने हैं. ऐसे में अगर यहां पर सीपीआई, सीपीएम अलग चुनाव लड़ते हैं तब भी कोई परेशानी नहीं है. वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि कहीं कोई परेशानी नहीं है. राज्य में एक मजबूत गठजोड़ के साथ इंडिया ब्लॉक न सिर्फ एनडीए का मुकाबला करेगा बल्कि 14 की 14 लोकसभा सीट पर जीत भी दर्ज करेगा.

हमें भी अपनी राजनीति करनी है, राष्ट्रीय दल की मान्यता बनाये रखना हैः प्रकाश विप्लव

झारखंड में दो सीट पर सीपीएम उम्मीदवार उतारने वाली पार्टी सीपीएम के राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी होने के बावजूद हमने तो सिर्फ एक लोकसभा सीट मांगी थी लेकिन राज्य की प्रमुख पार्टी झामुमो-कांग्रेस ने हमें तवज्जों नहीं दी. हमारी राष्ट्रीय पार्टी है और आगे भी यह दर्जा बरकरार रहे, इसके लिए उम्मीदवार तो उतारना ही पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बाकी के 12 सीट जहां से हमारा उम्मीदवार नहीं होगा, वहां वहां हम उस प्रत्याशी की मदद और समर्थन करेंगे जो एनडीए को हराता दिखेगा.

वहीं सीपीआई के नेता अजय सिंह ने कहा कि सीपीआई को कम करके आंकने की भूल झामुमो-कांग्रेस के नेताओं ने की है. हमारा हर जगह आधार वोटर है और अपने वोट को ट्रांसफर कराने की क्षमता भी हममें है. झारखंड बनने के बाद हमने ही हजारीबाग में दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा को हराया है. उन्होंने कहा कि लोहरदगा हो या पलामू, खूंटी, हजारीबाग हर लोकसभा क्षेत्र में सीपीआई का वोटर है, क्योंकि हम सालों भर किसान, मजदूर की मांगों को लेकर संघर्षशील रहते हैं.

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