रांची: 2019 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर जीत के बावजूद हेमंत सोरेन और चंपाई सोरेन ने राजद को मंत्रिमंडल में जगह देकर सम्मान दिया. झामुमो के नेताओं ने शायद ही कभी राजद को लेकर कोई नकारात्मक बयानबाजी की हो. लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से पहले झारखंड राजद के नेताओं की जिद ने अब झामुमो के नेताओं को यह खुलकर बोलने को मजबूर कर दिया है. झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्या कहते हैं कि हमने तो एक विधायक होते हुए भी राष्ट्रीय जनता दल को मंत्रिमंडल में स्थान देकर उन्हें सम्मान दिया तो बदले में बिहार में हमें क्या मिला ?
बिहार में हमारे साथ क्या बर्ताव हुआ- सुप्रियो
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और सोरेन परिवार के बेहद करीबी सुप्रियो भट्टाचार्या कहते हैं कि झारखंड में राजद के अध्यक्ष पलामू के साथ साथ दो लोकसभा सीट मांग रहे हैं, लेकिन बिहार में उन्होंने हमें क्या दिया. हमने तो महागठबंधन की सरकार बनने से आज तक उन्हें (राजद को) मंत्रिमंडल में जगह दी. लेकिन क्या प्रदेश राजद अध्यक्ष ने कभी भी अपने नेतृत्व से इस संदर्भ में बताया कि पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर सहित बॉर्डर वाले इलाके में झामुमो का जनाधार है.
सुप्रियो ने कहा कि हम बिहार में चुनाव INDIA ब्लॉक के साथ मिलकर लड़ना चाहते थे, लेकिन बिहार में हमारे साथ क्या सलूक किया गया. सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि जिस दिन झारखंड राजद के नेता अपने सहयोगी झामुमो के हक की आवाज बिहार में उठाना शुरू ओर देंगे, उसी दिन से झारखंड में तीनों दलों का महागठबंधन और संबंध प्रगाढ़ हो जाएगा.
चतरा लोकसभा सीट को लेकर पहले से ही है राजद-कांग्रेस में खटपट
झारखंड I.N.D.I.A ब्लॉक में अभी तक 7-5-1-1 का फॉर्मूला ही तय माना जा रहा है, लेकिन लालू प्रसाद की पार्टी को यह मंजूर नहीं है. झारखंड में सीट शेयरिंग का जो फॉर्मूला लगभग तय है. उसके अनुसार कांग्रेस को रांची, लोहरदगा, हजारीबाग, धनबाद गोड्डा, खूंटी और चतरा मिलना है. झामुमो को राजमहल, दुमका, गिरिडीह, जमशेदपुर और सिंहभूम लोकसभा सीट मिलना है. राष्ट्रीय जनता दल को पलामू और सीपीआई माले को कोडरमा सीट मिला है. लेकिन राष्ट्रीय जनता दल को झारखंड में INDIA ब्लॉक में एक सीट पर तसल्ली नहीं है. ऐसे में वह पलामू के साथ साथ चतरा लोकसभा सीट पर भी दावा ठोके हुए है. यही वजह है कि राज्य में महागठबंधन के हिस्सा होने के बावजूद राजद महागठबंधन में भी अलग थलग पड़ते जा रहा है.
क्या, राजद की वजह से महागठबंधन में पड़ेगा दरार
झारखंड की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि जिस तरह से राजद लगातार पहले बिहार और अब झारखंड में सीट को लेकर अपनी बात मनवाने पर तुला हुआ है, ऐसे में महागठबंधन में राजद का अलग थलग पड़ना स्वभाविक है. वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि बावजूद इसके ये सभी दल लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में न चाहते हुए भी एक रहेंगे, क्योंकि इनका मुकाबला मजबूत भाजपा से है. ऐसे में झामुमो हो कांग्रेस हो या राजद हो,हर दल के नेता ये बखूबी जानते हैं कि अगर अलग अलग लड़ें तो भाजपा के राज्य की सत्ता में आते भी देर नहीं लगेगी.
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