नई दिल्ली: भारत ने सोमवार को घोषणा की कि वह प्रशांत क्षेत्र में मार्शल द्वीप समूह को 4 सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए वार्षिक अनुदान सहायता प्रदान करेगा. इस पहल के तहत एक सामुदायिक खेल केंद्र, हवाई अड्डा टर्मिनल और दो सामुदायिक केंद्रों का निर्माण शामिल है. भारत की वार्षिक अनुदान सहायता के लिए मार्शल द्वीप ने आज एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए.
हस्ताक्षर समारोह के अपने संबोधन में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत और मार्शल द्वीप समूह के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है, जिसका भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के तत्वावधान में पिछले कुछ सालों में और अधिक विस्तार हुआ है."
द्वीपसमूहों का सतत विकास भारत की जिम्मेदारी
उन्होंने तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कही गई बात को याद किया कि प्रशांत क्षेत्र के द्वीप 'छोटे द्वीप' नहीं बल्कि 'बड़े महासागरीय देश' हैं. जयशंकर ने कहा कि भारत प्रशांत द्वीपसमूहों को सतत विकास की दिशा में सहयोग देना अपनी जिम्मेदारी समझता है.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा ऐसी आम चुनौतियां हैं, जिनका अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर समाधान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत को प्रशांत द्वीपसमूहों का साझेदार बनने का सौभाग्य मिला है.
विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन में मदद
तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशांत द्वीप समूह के लिए ठोस प्रतिबद्धताओं की घोषणा की. जयशंकर ने कहा कि यह ध्यान देने योग्य है कि भारत मार्शल द्वीप समूह के लिए डिसेलिनेशन यूनिट और डायलिसिस मशीनों के प्रस्तावों पर भी काम कर रहा है. विदेश मंत्री ने बताया कि आज के समझौता ज्ञापन से चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि इन परियोजनाओं में ऐलुक एटोल में कम्युनिटी स्पोर्ट सेंटर, मेजिट द्वीप पर हवाई अड्डा टर्मिनल, अर्नो और वोत्जे एटोल में सामुदायिक केंद्र शामिल हैं. ये निश्चित रूप से मार्शल द्वीप के लोगों को बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगे."
जयशंकर ने आगे कहा कि भारत अपने इंडो-पैसिफिक भागीदारों के साथ और अधिक करने के लिए हमेशा तैयार है. भारत प्रशांत द्वीप देशों की प्राथमिकताओं और जरूरतों को समझता है. स्वास्थ्य सेवा और उससे संबंधित बुनियादी ढांचा, गुणवत्तापूर्ण और सस्ती दवाएं, स्वास्थ्य और जीवनशैली, उत्कृष्टता केंद्र, शिक्षा और क्षमता निर्माण, एसएमई क्षेत्र का विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और स्वच्छ जल सुविधाएं. ये सभी भारत-मार्शल द्वीप सहयोग के कुछ प्रमुख क्षेत्र हैं. इस दौरान उन्होंने पिछले महीने मार्शल द्वीप में 10वें माइक्रोनेशियन खेलों के सफल आयोजन के लिए भी बधाई दी.
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