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कहां बनती है वोटिंग के दिन उंगली पर लगने वाली स्याही? 90 देशों में होती है सप्लाई, 1960 से हो रहा है इस्तेमाल - Indelible Ink

Indelible Ink: वोट डालने के दौरान पूलिंग बूथ पर बैठा अधिकारी वोटर की उंगली पर स्याही लगाता है. यह स्याही इस बात का प्रमाण होती है कि वोटर ने अपने वोट डाल दिया है. यह स्याही भारत में ही बनती है. आइये जानते हैं कि यह स्याही कहां बनती है.

indelible ink
जानिए कहां बनती है वोटिंग दिन उंगली पर लगने वाले स्याही (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 15, 2024, 11:29 AM IST

नई दिल्ली: भारत में लोकसभा चुनाव 2024 चल रहे हैं. इस बार देशभर में 7 चरण में वोटिंग होनी है. अब तक चार चरण का मतदान हो चुका है, जबकि अंतिम तीन फेज की वोटिंग अभी होना बाकी है. लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में लोग बढ़-चढ़ भाग ले रहे हैं और पोलिंग बूथ पर वोट डालने जा रहे हैं.

वोट डालने के दौरान पूलिंग बूथ पर बैठा अधिकारी वोटर की उंगली पर स्याही लगा देता है. यह स्याही इस बात का प्रमाण होती है कि वोटर ने अपने वोट डाल दिया है. इस स्याही की खास बात यह है कि इसका दाग जल्दी नहीं मिटता. इतना ही नहीं शुरू में यह बैंगनी कलर की दिखती है, लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ ही यह काले रंग की हो जाती है.

इसे स्याही को इंडेलिबल इंक के नाम से जाना जाता है. भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वोटिंग के बाद उंगली पर स्याही लगाकर यह चिन्हित किया जाता है कि कोई भी वोटर एक बार मतदान करने के बाद दोबारा वोट न डाल सके. खास बात यह है कि भारत दुनियाभर के अधिकांश देशों में इस स्याही को सप्लाई करता है.

भारत में कहां बनती स्याही?
वोटिंग के दिन यूज होने वाली यह स्याही तेलंगाना के हैदराबाद की रायुडू लेबोरेटरी और कर्नाटक के मैसूर स्थित मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी बनाती है.भारत का इलेक्शन कमीशन मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड में बनी स्याही का इस्तेमाल करता है, जबकि रायुडू लेबोरेटरी में बनी स्याही दूसरे देशों में भेजी जाती है

कितने देशों में होता है स्याही का इस्तेमाल?
दुनियाभर के करीब 90 देश इस स्याही का इस्तेमाल करते हैं. शुरुआत में इस स्याही को छोटी बोतलों में भरकर एक्सपोर्ट किया जाता था, लेकिन अब इस अमिट स्याही से बने मार्कर को निर्यात किया जा रहा है. इस स्याही का इस्तेमाल 1960 के दशक से हो रहा है.

यह भी पढ़ें- नेहरू से लेकर नरेंद्र मोदी तक, जानें किस प्रधानमंत्री ने कौन सी सीट से लड़ा चुनाव?

नई दिल्ली: भारत में लोकसभा चुनाव 2024 चल रहे हैं. इस बार देशभर में 7 चरण में वोटिंग होनी है. अब तक चार चरण का मतदान हो चुका है, जबकि अंतिम तीन फेज की वोटिंग अभी होना बाकी है. लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में लोग बढ़-चढ़ भाग ले रहे हैं और पोलिंग बूथ पर वोट डालने जा रहे हैं.

वोट डालने के दौरान पूलिंग बूथ पर बैठा अधिकारी वोटर की उंगली पर स्याही लगा देता है. यह स्याही इस बात का प्रमाण होती है कि वोटर ने अपने वोट डाल दिया है. इस स्याही की खास बात यह है कि इसका दाग जल्दी नहीं मिटता. इतना ही नहीं शुरू में यह बैंगनी कलर की दिखती है, लेकिन वक्त गुजरने के साथ-साथ ही यह काले रंग की हो जाती है.

इसे स्याही को इंडेलिबल इंक के नाम से जाना जाता है. भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. वोटिंग के बाद उंगली पर स्याही लगाकर यह चिन्हित किया जाता है कि कोई भी वोटर एक बार मतदान करने के बाद दोबारा वोट न डाल सके. खास बात यह है कि भारत दुनियाभर के अधिकांश देशों में इस स्याही को सप्लाई करता है.

भारत में कहां बनती स्याही?
वोटिंग के दिन यूज होने वाली यह स्याही तेलंगाना के हैदराबाद की रायुडू लेबोरेटरी और कर्नाटक के मैसूर स्थित मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड कंपनी बनाती है.भारत का इलेक्शन कमीशन मैसूर पेंट्स और वार्निश लिमिटेड में बनी स्याही का इस्तेमाल करता है, जबकि रायुडू लेबोरेटरी में बनी स्याही दूसरे देशों में भेजी जाती है

कितने देशों में होता है स्याही का इस्तेमाल?
दुनियाभर के करीब 90 देश इस स्याही का इस्तेमाल करते हैं. शुरुआत में इस स्याही को छोटी बोतलों में भरकर एक्सपोर्ट किया जाता था, लेकिन अब इस अमिट स्याही से बने मार्कर को निर्यात किया जा रहा है. इस स्याही का इस्तेमाल 1960 के दशक से हो रहा है.

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