कन्नौज: इत्र और इतिहास की नगरी कन्नौज में अलग अलग स्थानों पर स्थित अति प्राचीन देवियों के मंदिरों में नवरात्र के दिनों में बड़ी संख्या में दूरदराज से आकर श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते है. इन प्राचीन मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है, जहां श्रद्धालुओं की अटूट आस्था देखने को मिलती है. बताया जाता है कि इस मंदिर में स्वयभू स्थापित माता को नहलाने वाले नीर से जहां आंखों की रोशनी बढ़ती है, वहीं त्वचा रोगों से भी छुटकारा मिलता है. इतना ही नहीं, जिन महिलाओं को औलाद नहीं होती, वह यहां आकर ईट रखकर औलाद की मनोकामना मांगती है. माता उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती है.
कहां स्थित है यह सिद्धपीठ देवी मंदिर: मंदिर का नाम सिद्धपीठ फूलमती माता मंदिर है. जो कन्नौज मुख्यालय से कुछ 3 किलोमीटर की दूरी पर विनोद दीक्षित चिकित्सालय के पीछे स्थित है. मंदिर में नवरात्र के दिनों में भारत के कई राज्यों से श्रद्धालु आकर अपनी मनोकामना मांगते है. मंदिर का एक अपना अति प्राचीन इतिहास भी है. मंदिर परिसर में कन्नौज के राजा वेणु और उनकी महारानी की तस्वीर विराजमान है. मंदिर परिसर में आशा मैय्या की भी मूर्ति विराजमान है. आपको एक एक करके बताते है माता फूलमती, राजा वेणु और आशा मैय्या से जुड़ा अति प्राचीन इतिहास.
माता फूलमती, राजा वेणु और आशा मैय्या से जुड़ा इतिहास: मंदिर के पुजारी शिखर मिश्रा बताते है, कि कन्नौज के राजा वेणु की सात पुत्रियां थीं, राजा इतने ईमानदार थे, कि वह राज कोस से एक भी मुद्रा नहीं लेते थे, राजा की रानी घर के बाहर कुंए से पानी निकालकर लोगों को दिया करती थी और खेतों में लगने वाले पतार से लकड़ी के सामान को बेचा करती थी. इन सबसे जो मुद्रा मिलती थी, उससे राजा अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. राजा की बेटियां जब विवाह लायक हुई, तो राजा को बेटियों के विवाह की चिंता सताने लगी. एक दिन राजा की सातों बेटियो ने अपने माता पिता की बातें सुन ली, उसके बाद बेटियों ने इतना तप किया, कि वह समाधि में लीन हो गई. बताया ये भी जाता है, कन्नौज में राजा वेणु की सातों बेटी क्षेमकली माता,फूलमती माता, नगरकोट माता,गोवर्धनी माता, सियरमऊ माता,शीतला देवी माता, मौरारी माता ने अलग अलग स्थानों पर तपस्या कर समाधि ले ली. तब से लेकर इन देवियों के अलग अलग स्थानों पर मंदिर स्थापित है. सिद्धपीठ माता फूलमती राजा की सबसे बेटी थी.
महिलाओं को होती है संतान सुख की प्राप्ति: शिखर मिश्रा बताते है, मंदिरों में मूर्ति स्थापित की जाती है. लेकिन, इस मंदिर में माता फूलमती की मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है. इसलिए यहां जो भी सच्चे मन से मनोकामना मांगता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. शिखर मिश्रा ये भी बताते है, मंदिर में आशा मैया का मंदिर है. माता का इतिहास ये है, कि जिन महिलाओं को औलाद नहीं होती है, ऐसी माता ईट लेकर आती है और 40 दिनों तक मंदिर में ईट रखती है. शिखर मिश्रा बताते है आज तक अधिकांश महिलाओं की मनोकामना पूर्ति हुई है. उन्हें संतान का सुख प्राप्त हुआ है.
त्वचा रोग से मिलता है छुटकारा: पुजारी शिखर मिश्रा ये भी बताते है, कि माता फूलमती को रोज सुबह गंगा जल और गुलाब जल से स्नान कराया जाता है. गंगा जल अपने आप में एक पवित्र औषधि होती है. माता के नहाए हुए जल का प्रयोग करने से लोगों को कई तरह की शारीरिक दिक्कतों से छुटकारा मिल जाता है. जिन लोगों के आंखों में लाल क्षण पड़ जाती है, नीर आंखो में डालने से फायदा मिलता है. इतना ही नहीं जिन लोगों को त्वचा से संबंधित कोई बीमारी हो जाती है, तो गुड़हल के फूल को जल में डूबो कर लगाने से त्वचा संबंधित बीमारी ठीक हो जाती है. माता फूलमती कई लोगों की कुल देवी है. इस कारण राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि कई राज्यों से लोग यहां दर्शन करने आते है और मनोकामना मांगते है. मनोकामना पूर्ति होने पर लोग यहां फिर से आते है.
(डिस्क्लेमरः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है, ईटीवी भारत किसी भी दावे या मान्यता की पुष्टि नहीं करता है)
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