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कतर ने जासूसी के आरोप में जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा किया - कतर जासूसी आरोप जेल भारतीय नौसेना

Qatar frees Navy veterans espionage charges: कतर की खुफिया जांच एजेंसी ने 2022 में भारतीय नौसेना के 8 रिटायर्ड अधिकारियों को बगैर किसी कारण गिरफ्तार कर लिया था.

In major diplomatic triumph, Qatar frees Navy veterans jailed on 'espionage' charges
कतर ने जासूसी के आरोप में जेल में बंद भारतीय नौसेना के 8 दिग्गजों को रिहा किया
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By ANI

Published : Feb 12, 2024, 6:59 AM IST

Updated : Feb 12, 2024, 10:29 AM IST

नई दिल्ली: भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को दोहा ने सोमवार को रिहा कर दिया. नौसेना के दिग्गजों के चिंतित परिजनों द्वारा उनकी रिहाई और उनके देश में सुरक्षित वापसी की गुहार के बीच, विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि वह सभी राजनयिक चैनलों को जुटाएगा और उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करेगा.

भारत ने कतर के फैसले की सराहना की: विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक आधिकारिक बयान के माध्यम से जानकारी दी कि आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों में से सात पहले ही भारत लौट चुके हैं. केंद्र सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर अनुभवी अधिकारियों को रिहा करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है.'

उन 8 में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करने के कतर के फैसले की सराहना करते हैं. आठ भारतीय नागरिक अक्टूबर 2022 से कतर में कैद थे और उन पर पनडुब्बी कार्यक्रम में कथित रूप से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था.

मौत की सजा को उम्रकैद में बदला: सेवानिवृत्त नौसैनिकों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी जिन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है. विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस बयान में कहा, 'इससे पहले कतर की अदालत ने डहरा ग्लोबल मामले में पिछले साल गिरफ्तार किए गए आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों की मौत की सजा को कम कर दिया है.'

सजा को अब जेल की शर्तों में बदल दिया गया है. फैसले के बारे में बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं.' विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि मामले में विस्तृत फैसले का इंतजार है और वह कतर में कानूनी टीम के साथ निकट संपर्क में है. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है.

जारी रहेगी कानूनी लड़ाई: हम अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में हैं. कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में उपस्थित थे. हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे.

पीएम मोदी और कतर के अमीर शेख के बीच चर्चा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में सीओपी28 (COP28) शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की और द्विपक्षीय साझेदारी और कतर में रहने वाले भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की थी. इससे पहले विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता जयसवाल ने इस अवधि के अस्थायी महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'जहां तक मुद्दे का सवाल है, 60 दिनों का समय है.

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: इस दौरान इस मुद्दे पर कतर के सर्वोच्च न्यायालय में अपील की सकती है. विदेश मंत्रालय की कानूनी टीम के पास गोपनीय अदालती आदेश है जिसमें मौत की सजा को कारावास की शर्तों में बदलने का विवरण दिया गया है, जैसा कि 28 दिसंबर को अपील अदालत के फैसले के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है.

जयसवाल ने कहा,'हमने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें हमने आपको सूचित किया कि मौत की सजा, जो मूल रूप से मौत की सजा थी, उसे कारावास की सजा में बदल दिया गया है. अब हमारी कानूनी टीम के पास अदालत का आदेश है. मैं पुष्टि कर सकता हूं कि उन सभी को अलग-अलग अवधि की सजा मिली है और मृत्युदंड समाप्त कर दिया गया है.'

इसके अलावा, विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने भी उनके खिलाफ फैसला सुनाया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद के बीच हुई हालिया बैठक पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनके बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर अच्छी बातचीत हुई.

ये भी पढ़ें- आठ पूर्व नौसैनिकों से जुड़े मामले में कतर की अदालत के फैसले पर गौर करने के बाद अगला कदम : भारत

ये भी पढ़ें- कतर में मौत की सजा पाए 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को बड़ी राहत, कम की गई सजा

ये भी पढ़ें- कतर कोर्ट ने 8 पूर्व नौसेना कर्मियों को मौत की सजा के खिलाफ भारत की अपील स्वीकारी

नई दिल्ली: भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है. कतर में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को दोहा ने सोमवार को रिहा कर दिया. नौसेना के दिग्गजों के चिंतित परिजनों द्वारा उनकी रिहाई और उनके देश में सुरक्षित वापसी की गुहार के बीच, विदेश मंत्रालय ने आश्वासन दिया था कि वह सभी राजनयिक चैनलों को जुटाएगा और उन्हें वापस लाने के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करेगा.

भारत ने कतर के फैसले की सराहना की: विदेश मंत्रालय ने सोमवार को एक आधिकारिक बयान के माध्यम से जानकारी दी कि आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों में से सात पहले ही भारत लौट चुके हैं. केंद्र सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर अनुभवी अधिकारियों को रिहा करने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, 'भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है.'

उन 8 में से सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करने के कतर के फैसले की सराहना करते हैं. आठ भारतीय नागरिक अक्टूबर 2022 से कतर में कैद थे और उन पर पनडुब्बी कार्यक्रम में कथित रूप से जासूसी करने का आरोप लगाया गया था.

मौत की सजा को उम्रकैद में बदला: सेवानिवृत्त नौसैनिकों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी जिन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है. विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस बयान में कहा, 'इससे पहले कतर की अदालत ने डहरा ग्लोबल मामले में पिछले साल गिरफ्तार किए गए आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों की मौत की सजा को कम कर दिया है.'

सजा को अब जेल की शर्तों में बदल दिया गया है. फैसले के बारे में बताते हुए विदेश मंत्रालय ने कहा था, 'हमने दहरा ग्लोबल मामले में कतर की अपील अदालत के आज के फैसले पर गौर किया है, जिसमें सजाएं कम कर दी गई हैं.' विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि मामले में विस्तृत फैसले का इंतजार है और वह कतर में कानूनी टीम के साथ निकट संपर्क में है. विदेश मंत्रालय ने कहा, 'विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है.

जारी रहेगी कानूनी लड़ाई: हम अगले कदम पर निर्णय लेने के लिए कानूनी टीम के साथ-साथ परिवार के सदस्यों के साथ भी संपर्क में हैं. कतर में हमारे राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ आज अपील अदालत में उपस्थित थे. हम मामले की शुरुआत से ही उनके साथ खड़े हैं और हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे. हम इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे.

पीएम मोदी और कतर के अमीर शेख के बीच चर्चा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुबई में सीओपी28 (COP28) शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से मुलाकात की और द्विपक्षीय साझेदारी और कतर में रहने वाले भारतीय समुदाय की भलाई पर चर्चा की थी. इससे पहले विदेश मंत्रालय के नवनियुक्त प्रवक्ता जयसवाल ने इस अवधि के अस्थायी महत्व पर जोर देते हुए कहा, 'जहां तक मुद्दे का सवाल है, 60 दिनों का समय है.

फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: इस दौरान इस मुद्दे पर कतर के सर्वोच्च न्यायालय में अपील की सकती है. विदेश मंत्रालय की कानूनी टीम के पास गोपनीय अदालती आदेश है जिसमें मौत की सजा को कारावास की शर्तों में बदलने का विवरण दिया गया है, जैसा कि 28 दिसंबर को अपील अदालत के फैसले के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है.

जयसवाल ने कहा,'हमने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें हमने आपको सूचित किया कि मौत की सजा, जो मूल रूप से मौत की सजा थी, उसे कारावास की सजा में बदल दिया गया है. अब हमारी कानूनी टीम के पास अदालत का आदेश है. मैं पुष्टि कर सकता हूं कि उन सभी को अलग-अलग अवधि की सजा मिली है और मृत्युदंड समाप्त कर दिया गया है.'

इसके अलावा, विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार कतर की प्रथम दृष्टया अदालत ने भी उनके खिलाफ फैसला सुनाया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद के बीच हुई हालिया बैठक पर भी प्रकाश डाला और कहा कि उनके बीच समग्र द्विपक्षीय संबंधों पर अच्छी बातचीत हुई.

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Last Updated : Feb 12, 2024, 10:29 AM IST
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