कुशीनगर : नेबुआ नौरंगीया इलाके में हुई एक अनोखी शादी लोगों के लिए नजीर बन गई. बैंक कर्मी दूल्हे ने संविधान को साक्षी मानकर युवती के साथ सात फेरे लिए. दोनों संविधान को हाथ में लिए स्टेज पर बैठे रहे. इसके बाद दूल्हे ने दहेज में ससुरालियों से 11 पौधे मांगे. बारात बिहार से आई थी. दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद देने वालों की भीड़ लगी रही.
बिहार के देवीपुर निवासी रिटायर सरकारी कर्मी फेंकू चौधरी का बेटा प्रदीप एक बैंक में कैशियर है. उसकी शादी के लिए कई भारी भरकम दहेज वाले रिश्ते आ रहे थे. प्रदीप और उसके पिता दहेज प्रथा के खिलाफ थे. वे सिर्फ संस्कारी परिवार से रिश्ता जोड़ना चाहते थे. बाद में प्रदीप की शादी कुशीनगर के नेबुआ नौरंगीया इलाके के सुरजनगर के रहने वाले बिल्डिंग मैटेरियल कारोबारी सुरेंद्र चौधरी की पुत्री जानकी से तय हो गई.
तय हुआ कि शादी में युवक वधू पक्ष से दहेज के रूप में पीपल, नीम सहित अन्य प्रजाति के महज 11 पौधे ही लेगा. इसके बाद रविवार को प्रदीप बारात लेकर बिहार से कुशीनगर पहुंचा. इसके बाद प्रदीप और जानकी की शादी वैदिक मंत्रों की जगह देश के संविधान व डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर कराई गई. दोनों ने संविधान हाथ में लेकर सात फेरे लिए. जिसने भी दूल्हा-दुल्हन का यह अंदाज देखा वह हैरान रह गया.
दूल्हा प्रदीप ने बताया कि मौजूदा समय में दहेज का चलन बढ़ा है. दहेज के चलते लोग गर्भ में ही बेटियों को मार डालते हैं. अगर दहेज के दानव को समाप्त कर दिया जाए तो यह सामाजिक बुराई अपने आप समाप्त हो जाएगी. इसलिए उन्होंने अपनी शादी में ससुराल पक्ष से पीपल व नीम सहित 11 पौधे देने की बात कही थी. पीपल और नीम सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है. वातावरण को शुद्ध करता है.
प्रदीप ने बताया कि वे अपनी शादी के जरिए लोगों को दहेज से दूर रहने का संदेश देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी शादी की प्लानिंग उसी हिसाब से की. प्रतिवर्ष शादी की सालगिरह पर वह चाहे जहां रहेंगे, पीपल व नीम का पौधा लगाकर अपने मित्रों और सहयोगियों को भी दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. वहीं समारोह में देवी जागरण का आयोजन भी कराया गया.
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