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बस में खाली सीट है या नहीं, एक क्लिक से चलेगा पता, IIT रुड़की ने बनाया ट्रांजिट आई डिवाइस - IIT Roorkee Transit Eye Device

Transit Eye Device by IIT Roorkee भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में भीड़ की जानकारी देने की तकनीक विकसित की है. तकनीक को ट्रांजिट आई नाम दिया गया है.

IIT ROORKEE
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 24, 2024, 3:53 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 5:32 PM IST

IIT रुड़की ने बनाया ट्रांजिट आई डिवाइस. (VIDEO- ETV BHARAT)

रुड़की (उत्तराखंड): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की के शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में भीड़ की जानकारी देने की तकनीक विकसित की है. तकनीक को ट्रांजिट आई (Transit Eye) नाम दिया. इस ट्रांजिट आई की मदद से आपको घर से निकलने से पहले ही पता चल जाएगा कि आप जिस बस से सफर करने जा रहे हैं, उसमें सीट खाली है या नहीं? इससे आपको सहूलियत भी होगी और आपका समय भी बचेगा. इस ट्रांजिट आई का आविष्कार आईआईटी रुड़की के ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने किया है.

अगर आप परिवहन निगम की बस से सफर करते हैं और आपको बस में खाली सीट की जानकारी चाहिए, तो अब घर से निकलने से पहले ट्रांजिट आई तकनीक के जरिए ये जानकारी मोबाइल में तुरंत मिल जाएगी. आईआईटी रुड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने इस बात की पुष्टि की है. प्रोफेसर अमित अग्रवाल का कहना है कि इंदौर और भोपाल में उन्होंने 11 बसों में ट्रायल किया. इसके लिए उन्होंने प्रत्येक बस के प्रवेश और निकासी गेट पर एक-एक डिवाइस लगाई. ट्रायल सफल होने के बाद अब संस्थान इस सिस्टम को इंदौर की सिटी बसों में लगाने की तैयारी कर रहा है. अमित अग्रवाल का कहना है कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत निशुल्क तौर पर अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बसों में यह प्रणाली लगाने की तैयारी की जा रही है.

Transit Eye Device by IIT Roorkee
रुड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल द्वारा तैयार किया गया ट्रांजिट आई डिवाइस. (PHOTO- ETV BHARAT)

आईआईटी इंदौर के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (दृष्टि) की ओर से आईआईटी रुड़की को यह सिस्टम विकसित करने के लिए फंडिंग की गई. जिसके बाद आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने भुवनेश्वर, भोपाल और इंदौर में सैकड़ों बसों के रूट, बसों के स्टॉप, उनकी टाइमिंग, बसों में चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या और अन्य सर्वे किया है. इसके बाद यात्री सूचना प्रणाली विकसित की गई है जो रियल टाइम में बसों में भीड़ की स्थिति को सूचना के तौर पर आपके मोबाइल में मिलेगी.

भीड़ के बारे में बताएगी डीप लर्निंग: ट्रांजिट आई तकनीक से बस में भीड़ के बारे में डीप लर्निंग से पता चलता है. इसके साथ ही इस प्रणाली में कैमरे से लिए गए वीडियो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एल्गोरिदम आदि के जरिए यात्रियों की एंट्री और एग्जिट का आकलन भी किया जाता है. यह अनुमान रियल टाइम में लगाया जाता है.

टिकट का अंतर और यात्रियों की संख्या को भी करेगा खत्म: वहीं, एक रूट पर कितने यात्री बस में चढ़े हैं और कितने उतरे हैं ये भी ट्रांजिट आई से पता चल सकेगा. साथ ही अगर कडंक्टर ने टिकट कम काटे हैं तो वो जानकारी भी मिलेगी. चेकिंग के लिए रास्ते में खड़ी टीम के लिए यात्री और टिकट के बीच अंतर के आधार पर होने वाली राजस्व की चोरी का भी पता लगाना आसान हो जाएगा.

ट्रैकिंग के साथ 24 घंटे की रिकॉर्डिंग की भी सुविधा: परिवहन विभाग को (ट्रांजिट आई) रियल टाइम में बसों की मूवमेंट जानने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम के साथ 24 घंटे की रिकार्डिंग की सुविधा भी देगा. इसी के साथ दिन के अंत में रिकॉर्डिंग सर्वर पर ऑटोमेटिक सेव हो जाएगी. बताया गया है कि ट्रैकिंग के लिए इसमें भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम नाविक का उपयोग किया गया है.

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने बताया कि सार्वजनिक परिवहन में भीड़ एक बड़ा कारण है. इससे सड़क पर परिवहन करने वाले लोग प्राइवेट वाहनों को अपना रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे में यात्रियों को उनकी यात्रा प्लान करने के लिए ट्रांजिट आई को तैयार करने की रूपरेखा बनाई गई है. जिससे सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सकेगा.

ये भी पढ़ेंः आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने खोज निकाले 'नागराज वासुकी'! इनके आगे एनाकोंडा भी फेल, बस के बराबर लंबाई

IIT रुड़की ने बनाया ट्रांजिट आई डिवाइस. (VIDEO- ETV BHARAT)

रुड़की (उत्तराखंड): भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) रुड़की के शोधकर्ताओं ने सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में भीड़ की जानकारी देने की तकनीक विकसित की है. तकनीक को ट्रांजिट आई (Transit Eye) नाम दिया. इस ट्रांजिट आई की मदद से आपको घर से निकलने से पहले ही पता चल जाएगा कि आप जिस बस से सफर करने जा रहे हैं, उसमें सीट खाली है या नहीं? इससे आपको सहूलियत भी होगी और आपका समय भी बचेगा. इस ट्रांजिट आई का आविष्कार आईआईटी रुड़की के ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने किया है.

अगर आप परिवहन निगम की बस से सफर करते हैं और आपको बस में खाली सीट की जानकारी चाहिए, तो अब घर से निकलने से पहले ट्रांजिट आई तकनीक के जरिए ये जानकारी मोबाइल में तुरंत मिल जाएगी. आईआईटी रुड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने इस बात की पुष्टि की है. प्रोफेसर अमित अग्रवाल का कहना है कि इंदौर और भोपाल में उन्होंने 11 बसों में ट्रायल किया. इसके लिए उन्होंने प्रत्येक बस के प्रवेश और निकासी गेट पर एक-एक डिवाइस लगाई. ट्रायल सफल होने के बाद अब संस्थान इस सिस्टम को इंदौर की सिटी बसों में लगाने की तैयारी कर रहा है. अमित अग्रवाल का कहना है कि प्रोजेक्ट के अंतर्गत निशुल्क तौर पर अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड की बसों में यह प्रणाली लगाने की तैयारी की जा रही है.

Transit Eye Device by IIT Roorkee
रुड़की के शोधकर्ता प्रोफेसर अमित अग्रवाल द्वारा तैयार किया गया ट्रांजिट आई डिवाइस. (PHOTO- ETV BHARAT)

आईआईटी इंदौर के टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (दृष्टि) की ओर से आईआईटी रुड़की को यह सिस्टम विकसित करने के लिए फंडिंग की गई. जिसके बाद आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं की टीम ने भुवनेश्वर, भोपाल और इंदौर में सैकड़ों बसों के रूट, बसों के स्टॉप, उनकी टाइमिंग, बसों में चढ़ने वाले यात्रियों की संख्या और अन्य सर्वे किया है. इसके बाद यात्री सूचना प्रणाली विकसित की गई है जो रियल टाइम में बसों में भीड़ की स्थिति को सूचना के तौर पर आपके मोबाइल में मिलेगी.

भीड़ के बारे में बताएगी डीप लर्निंग: ट्रांजिट आई तकनीक से बस में भीड़ के बारे में डीप लर्निंग से पता चलता है. इसके साथ ही इस प्रणाली में कैमरे से लिए गए वीडियो को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एल्गोरिदम आदि के जरिए यात्रियों की एंट्री और एग्जिट का आकलन भी किया जाता है. यह अनुमान रियल टाइम में लगाया जाता है.

टिकट का अंतर और यात्रियों की संख्या को भी करेगा खत्म: वहीं, एक रूट पर कितने यात्री बस में चढ़े हैं और कितने उतरे हैं ये भी ट्रांजिट आई से पता चल सकेगा. साथ ही अगर कडंक्टर ने टिकट कम काटे हैं तो वो जानकारी भी मिलेगी. चेकिंग के लिए रास्ते में खड़ी टीम के लिए यात्री और टिकट के बीच अंतर के आधार पर होने वाली राजस्व की चोरी का भी पता लगाना आसान हो जाएगा.

ट्रैकिंग के साथ 24 घंटे की रिकॉर्डिंग की भी सुविधा: परिवहन विभाग को (ट्रांजिट आई) रियल टाइम में बसों की मूवमेंट जानने के लिए ट्रैकिंग सिस्टम के साथ 24 घंटे की रिकार्डिंग की सुविधा भी देगा. इसी के साथ दिन के अंत में रिकॉर्डिंग सर्वर पर ऑटोमेटिक सेव हो जाएगी. बताया गया है कि ट्रैकिंग के लिए इसमें भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम नाविक का उपयोग किया गया है.

आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर अमित अग्रवाल ने बताया कि सार्वजनिक परिवहन में भीड़ एक बड़ा कारण है. इससे सड़क पर परिवहन करने वाले लोग प्राइवेट वाहनों को अपना रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे में यात्रियों को उनकी यात्रा प्लान करने के लिए ट्रांजिट आई को तैयार करने की रूपरेखा बनाई गई है. जिससे सार्वजनिक वाहनों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सकेगा.

ये भी पढ़ेंः आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने खोज निकाले 'नागराज वासुकी'! इनके आगे एनाकोंडा भी फेल, बस के बराबर लंबाई

Last Updated : Jun 24, 2024, 5:32 PM IST
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