ETV Bharat / bharat

धूल की 'यमराज मशीन'; जहरीले कणों को पलक झपकते करेगी हजम, फेफड़ों को रखेगी स्वस्थ

आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) ने रिसर्च के बाद वह तकनीक ईजाद कर ली है जिससे हवा में घुले धूल के सूक्ष्म कण हमारे फेफड़ों तक नहीं पहुंच सकेंगे. साथ ही यह भी पता चलेगा कि हवा में प्रदूषण का सोर्स क्या है. आइए जानते हैं इस Research के बारे में.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 7:23 AM IST

Updated : Mar 12, 2024, 7:38 AM IST

आईआईटी कानपुर ने वह तकनीक ईजाद कर ली है जिससे हवा में घुले धूल के सूक्ष्म कण हमारे फेफड़ों तक नहीं पहुंच सकेंगे.

कानपुर : यह जरूरी नहीं कि जो आपको दिखाई न देता हो, वह मौजूद न हो. अक्सर किसी साफ-सुथरी जगह पर हम यह मान लेते हैं कि यहां हवा भी शुद्ध होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. पार्टिकुलेटेड मैटर 2.5 (धूल के वह सूक्ष्म कण, जिनका आकार 2.5 माइक्रॉन या उससे कम होता है) को हम नहीं देख सकते. जबकि ये सीधे हमारे फेफड़े तक पहुंचते हैं और सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. गर्मी के मौसम में ये कण हवा में घुल-मिल जाते हैं और सर्दी में नमी होने के चलते कोहरे के रूप में सामने आते हैं. मगर, अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आईआईटी कानपुर ने लंबे चले शोध के बाद वह तकनीक विकसित कर ली है, जो न सिर्फ इन सूक्ष्म कणों की मात्रा बताएगी, बल्कि हवा को भी शुद्ध बनाएगी.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर  तरुण गुप्ता अपनी टीम के साथ.
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर तरुण गुप्ता अपनी टीम के साथ.

क्या है हाई वॉल्यूम एयर सैम्पलर मशीन

आईआईटी कानपुर ने हाई वॉल्यूम एयर सैम्पलर मशीन तैयार की है. इसकी क्षमता 1000 लीटर प्रति मिनट है. इस मशीन के इस्तेमाल से लोग आसानी से यह जान सकेंगे कि उनके आसपास कितने पीएम 2.5 के कण हैं. साथ ही इन कणों का सोर्स क्या है. आईआईटी कानपुर में प्रो. तरुण गुप्ता व उनकी टीम ने इस सैम्पलर मशीन को तैयार किया है. प्रो.तरुण गुप्ता ने बताया कि एक सामान्य व्यक्ति 10 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से कणों को इनहेल करता है, जबकि जो मशीन बनी है उसकी क्षमता इससे 100 गुना अधिक है.

इंडस्ट्रीयल एरिया, हॉस्पिटल, होटल में होगा उपयोग: प्रो.तरुण ने बताया कि इस सैम्पलर मशीन का प्रयोग बड़े हॉस्पिटल, होटलों, इंडस्ट्रीयल एरिया आदि सहित अन्य स्थानों पर किया जा सकेगा. क्योंकि यहां बहुत अधिक संख्या में लोगों का आना-जाना रहता है. यह मशीन कणों की संख्या बताने के साथ ही शुद्ध हवा भी प्रदान करेगी.

साल 2020 में तकनीक को दिया लाइसेंस, चार साल में डिवाइस तैयार: प्रो. तरुण गुप्ता ने बताया कि साल 2020 में जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी थी, तब हमने और हमारी टीम ने हाई वॉल्यूम सैम्पलर मशीन पर काम शुरू कर दिया था. चार साल के अंदर हमने तकनीक को विकसित किया और आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेशन कंपनी एयरशेड ने डिवाइस तैयार कर दी, जो जल्द बाजारों में दिखेगी. बताया कि इस डिवाइस में कई तरह के सेंसर लगे हैं. इस डिवाइस को चार से पांच घंटे तक बिना रोके आसानी से प्रयोग किया जा सकता है. फिर इसे चार्ज करने की जरूरत पड़ती है.

यह भी पढ़ें : यातायात प्रदूषण से मस्तिष्क में अल्जाइमर प्लाक होने की संभावना : रिसर्च

यह भी पढ़ें : हर बुखार में नहीं दी जाएगी एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, शोध में सामने आये चौकाने वाले फैक्ट

आईआईटी कानपुर ने वह तकनीक ईजाद कर ली है जिससे हवा में घुले धूल के सूक्ष्म कण हमारे फेफड़ों तक नहीं पहुंच सकेंगे.

कानपुर : यह जरूरी नहीं कि जो आपको दिखाई न देता हो, वह मौजूद न हो. अक्सर किसी साफ-सुथरी जगह पर हम यह मान लेते हैं कि यहां हवा भी शुद्ध होगी, लेकिन ऐसा नहीं है. पार्टिकुलेटेड मैटर 2.5 (धूल के वह सूक्ष्म कण, जिनका आकार 2.5 माइक्रॉन या उससे कम होता है) को हम नहीं देख सकते. जबकि ये सीधे हमारे फेफड़े तक पहुंचते हैं और सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. गर्मी के मौसम में ये कण हवा में घुल-मिल जाते हैं और सर्दी में नमी होने के चलते कोहरे के रूप में सामने आते हैं. मगर, अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. आईआईटी कानपुर ने लंबे चले शोध के बाद वह तकनीक विकसित कर ली है, जो न सिर्फ इन सूक्ष्म कणों की मात्रा बताएगी, बल्कि हवा को भी शुद्ध बनाएगी.

आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर  तरुण गुप्ता अपनी टीम के साथ.
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर तरुण गुप्ता अपनी टीम के साथ.

क्या है हाई वॉल्यूम एयर सैम्पलर मशीन

आईआईटी कानपुर ने हाई वॉल्यूम एयर सैम्पलर मशीन तैयार की है. इसकी क्षमता 1000 लीटर प्रति मिनट है. इस मशीन के इस्तेमाल से लोग आसानी से यह जान सकेंगे कि उनके आसपास कितने पीएम 2.5 के कण हैं. साथ ही इन कणों का सोर्स क्या है. आईआईटी कानपुर में प्रो. तरुण गुप्ता व उनकी टीम ने इस सैम्पलर मशीन को तैयार किया है. प्रो.तरुण गुप्ता ने बताया कि एक सामान्य व्यक्ति 10 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से कणों को इनहेल करता है, जबकि जो मशीन बनी है उसकी क्षमता इससे 100 गुना अधिक है.

इंडस्ट्रीयल एरिया, हॉस्पिटल, होटल में होगा उपयोग: प्रो.तरुण ने बताया कि इस सैम्पलर मशीन का प्रयोग बड़े हॉस्पिटल, होटलों, इंडस्ट्रीयल एरिया आदि सहित अन्य स्थानों पर किया जा सकेगा. क्योंकि यहां बहुत अधिक संख्या में लोगों का आना-जाना रहता है. यह मशीन कणों की संख्या बताने के साथ ही शुद्ध हवा भी प्रदान करेगी.

साल 2020 में तकनीक को दिया लाइसेंस, चार साल में डिवाइस तैयार: प्रो. तरुण गुप्ता ने बताया कि साल 2020 में जब पूरी दुनिया में कोरोना महामारी थी, तब हमने और हमारी टीम ने हाई वॉल्यूम सैम्पलर मशीन पर काम शुरू कर दिया था. चार साल के अंदर हमने तकनीक को विकसित किया और आईआईटी कानपुर की इंक्यूबेशन कंपनी एयरशेड ने डिवाइस तैयार कर दी, जो जल्द बाजारों में दिखेगी. बताया कि इस डिवाइस में कई तरह के सेंसर लगे हैं. इस डिवाइस को चार से पांच घंटे तक बिना रोके आसानी से प्रयोग किया जा सकता है. फिर इसे चार्ज करने की जरूरत पड़ती है.

यह भी पढ़ें : यातायात प्रदूषण से मस्तिष्क में अल्जाइमर प्लाक होने की संभावना : रिसर्च

यह भी पढ़ें : हर बुखार में नहीं दी जाएगी एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन, शोध में सामने आये चौकाने वाले फैक्ट

Last Updated : Mar 12, 2024, 7:38 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.