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तमिलनाडु: मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर बच्ची से मिल सकेगा अलग रह रहा पिता

तमिलनाडु में वैवाहिक विवाद से जुड़े एक मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने पति को अपनी बच्ची को देखने का रास्ता साफ कर दिया.

MHC underlined Hindu Marriage Act
मद्रास हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2024, 10:34 AM IST

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद के मामले में अलग रह रहे पति को राहत दी है. अदालत ने उसे उसकी बच्ची से मिलने का मौका प्रदान किया. पति-पत्नि विवाद के बाद अलग रह रहे हैं. इस मामले में बच्ची अपनी मां के साथ रह रही है और उसकी मां नहीं चाहती थी कि उसका पति बच्ची से मिले.

पेश मामले में चेन्नई की दंपत्ति की शादी 2011 में हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार हुई थी. बाद में 2013 में उनकी एक बेटी हुई. कुछ समय बाद महिला बीमार पड़ गई. स्वास्थ्य समस्याओं के कारण चिकित्सा उपचार के बाद वह घर लौट गई. इसके बाद पति ने उसके साथ असामान्य व्यवहार किया. इससे दोनों के बीच दरार पैदा हो गई. बाद में इससे नाराज होकर दोनों अलग-अलग रहने लगे.

बच्ची अपनी मां के साथ रहने लगी. बच्ची और खुद का खर्च चलाने में महिला को दिक्कत महसूस हुई. महिला ने अपने मेडिकल खर्च, बच्चे की शिक्षा और रहन-सहन के लिए पति के खिलाफ भरण-पोषण का मुकदमा किया क्योंकि वह अकेले ही बच्ची की देखभाल कर रही थी.

इस मामले में कोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए पति को मेडिकल खर्च, बच्चे की शिक्षा व अन्य खर्च को लेकर उसे 40 हजार रुपए प्रतिमाह देने का आदेश दिया. कोर्ट ने पति को महीने में एक बार बच्ची से मिलने की भी इजाजत दी. यह बात महिला को नागवार गुजरी और उसने इस फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी.

दायर अपील पर सुनवाई करने वाले जज लक्ष्मीनारायणन ने कहा, 'हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार पति को बच्चे को देखने का पूरा अधिकार है, भले ही वे अलग-अलग रह रहे हों. अदालत उस अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. बच्चे के लिए अपने पिता को जानना अच्छा है. साथ ही पिता को देखकर बड़ा होना उसके लिए और भी बेहतर है. इस तरह महिला की याचिका को खारिज कर दिया.

ये भी पढ़ें- 'तलाक सिर्फ कोर्ट से लिया जा सकता है, शरीयत काउंसिल अदालत...', हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने एक वैवाहिक विवाद के मामले में अलग रह रहे पति को राहत दी है. अदालत ने उसे उसकी बच्ची से मिलने का मौका प्रदान किया. पति-पत्नि विवाद के बाद अलग रह रहे हैं. इस मामले में बच्ची अपनी मां के साथ रह रही है और उसकी मां नहीं चाहती थी कि उसका पति बच्ची से मिले.

पेश मामले में चेन्नई की दंपत्ति की शादी 2011 में हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार हुई थी. बाद में 2013 में उनकी एक बेटी हुई. कुछ समय बाद महिला बीमार पड़ गई. स्वास्थ्य समस्याओं के कारण चिकित्सा उपचार के बाद वह घर लौट गई. इसके बाद पति ने उसके साथ असामान्य व्यवहार किया. इससे दोनों के बीच दरार पैदा हो गई. बाद में इससे नाराज होकर दोनों अलग-अलग रहने लगे.

बच्ची अपनी मां के साथ रहने लगी. बच्ची और खुद का खर्च चलाने में महिला को दिक्कत महसूस हुई. महिला ने अपने मेडिकल खर्च, बच्चे की शिक्षा और रहन-सहन के लिए पति के खिलाफ भरण-पोषण का मुकदमा किया क्योंकि वह अकेले ही बच्ची की देखभाल कर रही थी.

इस मामले में कोर्ट ने महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए पति को मेडिकल खर्च, बच्चे की शिक्षा व अन्य खर्च को लेकर उसे 40 हजार रुपए प्रतिमाह देने का आदेश दिया. कोर्ट ने पति को महीने में एक बार बच्ची से मिलने की भी इजाजत दी. यह बात महिला को नागवार गुजरी और उसने इस फैसले को मद्रास हाईकोर्ट में चुनौती दी.

दायर अपील पर सुनवाई करने वाले जज लक्ष्मीनारायणन ने कहा, 'हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार पति को बच्चे को देखने का पूरा अधिकार है, भले ही वे अलग-अलग रह रहे हों. अदालत उस अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. बच्चे के लिए अपने पिता को जानना अच्छा है. साथ ही पिता को देखकर बड़ा होना उसके लिए और भी बेहतर है. इस तरह महिला की याचिका को खारिज कर दिया.

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