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कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए हुर्रियत वार्ता के लिए तैयार, मीरवाइज उमर फारूक ने कहा

मीरवाइज ने कहा कि, कश्मीर मसले को बातचीत से हल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, हुर्रियत सरकार से वार्ता के लिए तैयार है.

Mirwaiz
मीरवाइज उमर फारूक, हुर्रियत प्रमुख (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

श्रीनगर: ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता दोहराई है. उन्होंने मुद्दे को बातचीत से हल करने पर बल दिया है. शुक्रवार को श्रीनगर की जामिया मस्जिद में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए मीरवाइज ने बदलती वैश्विक भू-राजनीति के बीच सार्थक वार्ता का आग्रह किया.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कि "यह हिंसा का नहीं बल्कि बातचीत और कूटनीति का युग है," मीरवाइज ने शांति और बातचीत के लिए हुर्रियत की प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने कहा, "अपनी स्थापना के बाद से ही हुर्रियत ने बल और हिंसा के बजाय बातचीत के ज़रिए विवादों को सुलझाने की वकालत की है." उन्होंने आगे कहा कि, "हमने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ-साथ पाकिस्तान के दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ़ के साथ कई दौर की बातचीत की थी.

मीरवाइज उमर फारूक, हुर्रियत प्रमुख कश्मीर मुद्दे पर क्या कहा, जानें (ETV Bharat)

मीरवाइज ने कहा कि, "हम इस लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत के लिए अभी भी तैयार हैं." अगस्त 2019 के बाद से चार साल से अधिक समय तक नजरबंद रहने वाले मीरवाइज ने हाल ही में प्रोफेसर अब्दुल गनी भट, बिलाल गनी लोन और मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी सहित प्रमुख हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने याद करते हुए, सैयद अली शाह गिलानी, मौलाना मुहम्मद अब्बास अंसारी, मुहम्मद अशरफ सेहराई और मुसद्दिक आदिल जैसे नेताओं की अनुपस्थिति का उल्लेख किया, जिनका उनकी नजरबंदी के दौरान निधन हो गया था.

बैठक में यासीन मलिक, शब्बीर अहमद शाह, आसिया अंद्राबी, शाहिद-उल-इस्लाम, नईम अहमद खान, मोहम्मद कासिम फक्तू, मसरत आलम, पीर हाफिजुल्लाह और अयाज अकबर सहित राजनीतिक कैदियों की निरंतर हिरासत पर भी चिंता व्यक्त की गई.

1993 में हुर्रियत की उत्पत्ति पर विचार करते हुए, मीरवाइज ने कहा कि उस समय जब उग्रवाद अपने चरम पर था, हुर्रियत कश्मीर संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करने पर अडिग रहा. “उन कठिन दिनों के दौरान भी, हमने बातचीत के माध्यम से शांति की वकालत की. उन्होंने कहा, 30 सालों के बाद भी, हमारी स्थिति अपरिवर्तित है. हिंसा या बल नहीं, बल्कि सार्थक बातचीत ही एकमात्र समाधान है."गांदरबल के गगनगीर और गुलमर्ग के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में हत्याओं सहित हाल के रक्तपात को स्वीकार करते हुए, मीरवाइज ने इन गंभीर घटनाओं की गहन जांच की आवश्यकता पर बल दिया.

ये भी पढ़ें: कश्मीर में कैसे आएगी शांति? 5 साल बाद मीरवाइज उमर फारूक ने 'एक्स' पर पोस्ट किया

श्रीनगर: ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने लंबे समय से चले आ रहे कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता दोहराई है. उन्होंने मुद्दे को बातचीत से हल करने पर बल दिया है. शुक्रवार को श्रीनगर की जामिया मस्जिद में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए मीरवाइज ने बदलती वैश्विक भू-राजनीति के बीच सार्थक वार्ता का आग्रह किया.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कि "यह हिंसा का नहीं बल्कि बातचीत और कूटनीति का युग है," मीरवाइज ने शांति और बातचीत के लिए हुर्रियत की प्रतिबद्धता व्यक्त की. उन्होंने कहा, "अपनी स्थापना के बाद से ही हुर्रियत ने बल और हिंसा के बजाय बातचीत के ज़रिए विवादों को सुलझाने की वकालत की है." उन्होंने आगे कहा कि, "हमने पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के साथ-साथ पाकिस्तान के दिवंगत जनरल परवेज मुशर्रफ़ के साथ कई दौर की बातचीत की थी.

मीरवाइज उमर फारूक, हुर्रियत प्रमुख कश्मीर मुद्दे पर क्या कहा, जानें (ETV Bharat)

मीरवाइज ने कहा कि, "हम इस लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत के लिए अभी भी तैयार हैं." अगस्त 2019 के बाद से चार साल से अधिक समय तक नजरबंद रहने वाले मीरवाइज ने हाल ही में प्रोफेसर अब्दुल गनी भट, बिलाल गनी लोन और मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी सहित प्रमुख हुर्रियत नेताओं से मुलाकात की. उन्होंने याद करते हुए, सैयद अली शाह गिलानी, मौलाना मुहम्मद अब्बास अंसारी, मुहम्मद अशरफ सेहराई और मुसद्दिक आदिल जैसे नेताओं की अनुपस्थिति का उल्लेख किया, जिनका उनकी नजरबंदी के दौरान निधन हो गया था.

बैठक में यासीन मलिक, शब्बीर अहमद शाह, आसिया अंद्राबी, शाहिद-उल-इस्लाम, नईम अहमद खान, मोहम्मद कासिम फक्तू, मसरत आलम, पीर हाफिजुल्लाह और अयाज अकबर सहित राजनीतिक कैदियों की निरंतर हिरासत पर भी चिंता व्यक्त की गई.

1993 में हुर्रियत की उत्पत्ति पर विचार करते हुए, मीरवाइज ने कहा कि उस समय जब उग्रवाद अपने चरम पर था, हुर्रियत कश्मीर संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत करने पर अडिग रहा. “उन कठिन दिनों के दौरान भी, हमने बातचीत के माध्यम से शांति की वकालत की. उन्होंने कहा, 30 सालों के बाद भी, हमारी स्थिति अपरिवर्तित है. हिंसा या बल नहीं, बल्कि सार्थक बातचीत ही एकमात्र समाधान है."गांदरबल के गगनगीर और गुलमर्ग के उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में हत्याओं सहित हाल के रक्तपात को स्वीकार करते हुए, मीरवाइज ने इन गंभीर घटनाओं की गहन जांच की आवश्यकता पर बल दिया.

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