ETV Bharat / bharat

मानव-पशु टकराव रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत : केरल हाई कोर्ट

Kerala High Court : केरल हाई कोर्ट ने मानव-पशु के टकराव को रोकने के लिए संयुक्त प्रयासों की जरूरत पर जोर दिया है. कोर्ट ने इसके लिए केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक से एक संयुक्त कार्य योजना बनाने के लिए कहा है.

Kerala High Court
केरल हाई कोर्ट
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 21, 2024, 6:31 PM IST

कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि मानव द्वारा निर्मित क्षेत्रीय सीमाओं से मानव-पशु संघर्ष के हल में मदद नहीं मिलती और केवल ठोस प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने सुझाव दिया है कि वायनाड जिले में जंगली जानवरों के मुद्दे से निपटने के लिए केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक द्वारा एक संयुक्त कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए. कोर्ट ने इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को शामिल करने का भी सुझाव दिया.

इसको लेकर न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी की विशेष पीठ का कहना था कि उचित होगा कि राज्य सरकारें अतिरिक्त मुख्य सचिवों के स्तर पर संयुक्त चर्चा करे ताकि आवश्यक होने पर तत्काल निर्णय लिए जा सकें. साथ ही पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस दिशा में ऐसी संयुक्त समितियों का गठन किया जाएगा.

इसी क्रम में पीठ ने वायनाड के मुख्य वन संरक्षक को संबंधित क्षेत्र में खाइयों, बाधाओं और बाड़ का नक्शा तैयार करने का निर्देश दिया. उसने 19 फरवरी के अपने आदेश में निर्देश दिया कि 10 दिन के भीतर नक्शा तैयार कर लिया जाए और मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए पिछले साल मार्च में अदालत द्वारा गठित समिति के समक्ष उसे प्रस्तुत किया जाए.

वहीं हाई कोर्ट ने राज्यों के बीच भ्रम की स्थिति से बचने के लिए आदेश जारी किया क्योंकि हाथियों की आवाजाही सीमाओं के माध्यम से होती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि वन अधिकारियों को हाथी को गोली मारने का अधिकार नहीं है. अदालत ने वन्यजीव वार्डन को यह भी निर्देश दिया है कि वह अदालत को सूचित करें कि गर्मी के दौरान जानवरों को जंगल से बाहर आने से रोकने के लिए कृत्रिम जल निकाय कहां स्थापित किए गए हैं. जबकि जंगली हाथी को खोजने और शांत करने का बेलूर मखना मिशन अभी भी जारी है. मिशन शुरू हुए 12 दिन हो गए हैं. फिलहाल हाथी कर्नाटक वन रेंज में है.

ये भी पढ़ें

कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि मानव द्वारा निर्मित क्षेत्रीय सीमाओं से मानव-पशु संघर्ष के हल में मदद नहीं मिलती और केवल ठोस प्रयासों से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है. हाई कोर्ट ने सुझाव दिया है कि वायनाड जिले में जंगली जानवरों के मुद्दे से निपटने के लिए केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक द्वारा एक संयुक्त कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए. कोर्ट ने इसमें अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारियों को शामिल करने का भी सुझाव दिया.

इसको लेकर न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति गोपीनाथ पी की विशेष पीठ का कहना था कि उचित होगा कि राज्य सरकारें अतिरिक्त मुख्य सचिवों के स्तर पर संयुक्त चर्चा करे ताकि आवश्यक होने पर तत्काल निर्णय लिए जा सकें. साथ ही पीठ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस दिशा में ऐसी संयुक्त समितियों का गठन किया जाएगा.

इसी क्रम में पीठ ने वायनाड के मुख्य वन संरक्षक को संबंधित क्षेत्र में खाइयों, बाधाओं और बाड़ का नक्शा तैयार करने का निर्देश दिया. उसने 19 फरवरी के अपने आदेश में निर्देश दिया कि 10 दिन के भीतर नक्शा तैयार कर लिया जाए और मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए पिछले साल मार्च में अदालत द्वारा गठित समिति के समक्ष उसे प्रस्तुत किया जाए.

वहीं हाई कोर्ट ने राज्यों के बीच भ्रम की स्थिति से बचने के लिए आदेश जारी किया क्योंकि हाथियों की आवाजाही सीमाओं के माध्यम से होती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि वन अधिकारियों को हाथी को गोली मारने का अधिकार नहीं है. अदालत ने वन्यजीव वार्डन को यह भी निर्देश दिया है कि वह अदालत को सूचित करें कि गर्मी के दौरान जानवरों को जंगल से बाहर आने से रोकने के लिए कृत्रिम जल निकाय कहां स्थापित किए गए हैं. जबकि जंगली हाथी को खोजने और शांत करने का बेलूर मखना मिशन अभी भी जारी है. मिशन शुरू हुए 12 दिन हो गए हैं. फिलहाल हाथी कर्नाटक वन रेंज में है.

ये भी पढ़ें

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.