मुजफ्फरनगर: यूपी के मुजफ्फरनगर में आज सियासी पारा चढ़ गया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया और विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा. जिस क्षेत्र में जनसभा आयोजित की गई है, वह बुढ़ाना विधानसभा क्षेत्र में आता है.
इसमें सर्वाधिक त्यागी, जाट और मुस्लिम मतदाता हैं. त्यागी बिरादरी भाजपा से नाराज भी नजर आ रही है. इसलिए भी जनसभा इस क्षेत्र में की गई. जयंत ने भी दुष्यंत त्यागी की कविता सुनाकर त्यागी बिरादरी को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया.
अमित शाह से पहले रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जनसभा को संबोधित किया. उन्होंने मंच से दुष्यंत त्यागी की शायरी पढ़ी- 'पांव ने बहुत कष्ट उठाए, पर पांव किसी तरह राह पर तो आए'. इसके साथ उन्होंने त्यागियों को साधने का प्रयास किया.
जयंत ने अखिलेश यादव पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि मैं पलटा नहीं हूं, इसको पटकनी देना कहते हैं. मल्ल विद्या वो थोड़ी बहुत जानते हैं और थोड़ी बहुत मैं भी जानता हूं. बोले कि सरकार जो चौधरी चरण सिंह को सम्मान दे सकती है, उसको हम भी सम्मान देंगे. इससे पहले भी सरकारें थीं लेकिन, उनके लिए इतना बड़ा फैसला अब तक कोई सरकार नहीं ले पाई.
यह साफ साफ दिखाता है कि भारत सरकार की प्राथमिकता किसान के लिए है और हमारी जवाबदेही भी आपके लिए है. मैं लोक दल के कार्यकर्ताओं से कहूंगा कि आपको और बड़ा दिल दिखाना होगा. पहले चरण में यहां चुनाव है. कहीं कोई कसर मत छोड़ना जो पहले थोड़ी कसर थी वो अब भाजपा रालोद के साथ आने पर खत्म हो गई है.
अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब मैं यहां आया था, उस समय कैराना, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर से पलायन चालू हो गया था. यूपी में आपने 2017 में भाजपा की सरकार बनाई और योगी सरकार ने यहां पर गुंडों का आतंक बंद करके यहां पलायन रोका है. लोगों को सुरक्षित किया है.
कहा कि घमंडिया गठबंधन, जिसमें अखिलेश यादव की पार्टी और कांग्रेस पार्टी है, वो कभी नहीं चाहते थे कि अयोध्या में राम मंदिर बने. कांग्रेस ने 70 साल तक राम जन्मभूमि के मुद्दे को अटका कर और भटका कर रखा. मोदी ने केस भी जीता, भूमि पूजना भी किया. 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी.
ये चुनाव पीएम मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का चुनाव है. मोदी ने गरीबों और किसानों के उत्थान के लिए बहुत सारे कार्य किए हैं. मोदी ने गुड़ और गन्ने के इस क्षेत्र में गन्ने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाकर ढेर सारे बदलाव किए हैं.
जब कांग्रेस की सरकार थी, तब गन्ने का मूल्य 210 रुपए प्रति क्विंटल था. आज इसे 340 रुपए प्रति क्विंटल करने का काम मोदी ने किया है. भुगतान की जहां तक बात है, आज दो लाख पचास हजार करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान करने का काम भाजपा की सरकार द्वारा किया गया है.
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