बस्तर : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बस्तर में नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवार के परिजनों से मुलाकात की.इस दौरान गृहमंत्री ने पीड़ित परिवारों से सीधा संवाद किया. ये पहला मौका था जब कोई केंद्रीय गृहमंत्री शहीद स्मारक में उन परिवारों से उनका हालचाल जान रहा था,जिन्होंने अपनों को नक्सल हिंसा में खोया है.इस दौरान कई परिवारों ने अपनी स्थिति के बारे में शासन समेत केंद्रीय गृहमंत्री को अवगत कराया.साथ ही साथ वो भी लोग सामने आए जिन्हें सरकार ने सहायता देकर इस काबिल बनाया है कि वो अपने ऊपर हुए जुल्मों को भुलाकर अब भविष्य की ओर आगे बढ़े.
पीड़ित परिवारों से की मुलाकात : इस दौरान अमित शाह ने नक्सली हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की.अमित शाह ने कहा कि जो लोग नक्सल हिंसा में चले गए हैं उनकी क्षतिपूर्ति और परिवार का दर्द भगवान भी नहीं कर सकता.लेकिन हमारी ये कोशिश है कि उनके परिवारों के दर्द और दुख को कम करने में सहयोग करें. आज हमने नक्सल हिंसा में मारे गए पीड़ित परिवारों के परिजनों से मुलाकात करने के लिए अमर वाटिका में बुलाया था.मुझे खुशी है कि आज 88 परिवार के लोग यहां पहुंचे.जिनके परिवार ने अपनों को नक्सल हिंसा में खोया है.मैं उन लोगों को नमन करता हूं जिन्होंने अपनी जानें नक्सल हिंसा में गवाईं हैं.
हमारी सरकार ये कोशिश कर रही है कि नक्सलवाद का जो दंश जिन लोगों ने झेला है,उनकी आने वाली पीढ़ियों को मजबूती से आगे लाया जाए.हमारी ये कोशिश है कि साल 2026 तक हम नक्सलवाद का खात्मा कर दें.इस लक्ष्य के लिए हम आप सभी से समर्थन चाहते हैं.ताकि हमारे लक्ष्य को पूरा किया जा सके.प्रधानमंत्री मोदी ने नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में 15 हजार मकान बनाने को मंज़ूरी दी है. इसके साथ ही, नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में हर परिवार को एक गाय या भैंस देकर डेयरी कोऑपरेटिव बनाने की शुरूआत भी की जा रही है- अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री
9000 से अधिक लोगों ने छोड़े हथियार : इस दौरान केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि 2019 में कश्मीर, उत्तरपूर्व और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में देश के युवा हथियार लेकर अपना जीवन बर्बाद कर रहे थे. हिंसा कर रहे थे. जिससे देश का विकास बाधित हो रहा था. उस वक्त प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में ये तय किया गया था कि जो लोग हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें मौका दिया जाए. शाह ने कहा कि 2019 से 2024 तक सिर्फ नॉर्थईस्ट में ही 9000 से अधिक लोगों ने हथियार छोड़कर सरेंडर किया है. इसी प्रकार नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र में भी कई युवाओं ने सरेंडर किया है. अब भारत सरकार ऐसे लोगों और नक्सलवाद से पीड़ित लोगों के कल्याण के लिए समग्र योजना बना रही है.
युवाओं को मेनस्ट्रीम में वापस लाना है : केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के बाद नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प लिया गया था. हिंसा रास्ता नहीं है, बल्कि जिन लोगों ने हथियार उठा रखे हैं, उन्हें मेनस्ट्रीम में वापिस लाना है. छत्तीसगढ़ सरकार ने सबसे अच्छी सरेंडर पॉलिसी बनाई है. इसे पूरे देश में रेप्लिकेट करके हथियार छोड़ने वाले युवाओं को समाज में पुनर्स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने युवाओं से अपील की कि वे हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में आ जाएं. सरकार ने हिंसा छोड़ने के इच्छुक लोगों के पुन: एकीकरण की सुविधा के लिए नीतियां लागू कीं हैं. जिससे उन्हें मुख्यधारा के समाज में वापस आने का रास्ता मिल सके. सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले व्यक्तियों और नक्सली हिंसा से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए एक व्यापक योजना विकसित की है.