देहरादून(उत्तराखंड): साल 2014 में बीजेपी कांग्रेस मुक्त नारे के साथ लोकसभा चुनाव में उतरी. जिसका बीजेपी को खूब फायदा हुआ. 2014 में बीजेपी ने बंपर जीत दर्ज की. इसके बाद केंद्र में मोदी सरकार बनी. आज केंद्र में बीजेपी की मोदी सरकार 10 साल पूरे हो गये हैं. इन 10 सालों में देश को कांग्रेस मुक्त नारे के साथ बढ़ती बीजेपी अब कांग्रेस युक्त होती जा रही है. साल 2014 से लेकर अब तक कांग्रेस के कई कद्दावर नेता बीजेपी में शामिल होकर माननीय बने हैं. यही हाल उत्तराखंड का भी है. उत्तराखंड में भी 2014 के बाद कांग्रेस के कई हैवीवेट नेताओं ने बीजेपी ज्वाइन की.
इसमें साल 2016 कांग्रेस के लिए काला काल है. साल 2016 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार रहते हुए हाईप्रोफोइल नेताओं ने पार्टी को दगा दी. साल 2016 में कांग्रेस के 9 बागी विधायक बीजेपी में शामिल हुये. इन नेताओं में हरक सिंह रावत, विजय बहुगुणा, रेखा आर्य, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन, कुंवर प्रणव सिंह, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, शैला रानी रावत और उमेश शर्मा शामिल थे.
बात अगर कांग्रेस के इन बागियों की करें को इनमें से हरक सिंह रावत की घर वापसी हो गई है. हरक सिंह रावत 2022 विधानसभा से पहले कांग्रेस में शामिल हो गये थे. इसके अलावा बात अगर सुबोध उनियाल की करें तो उनकी गिनती आज बीजेपी के कद्दावर नेताओं में होती है. वे अभी धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. विजय बहुगुणा भी बीजेपी के हाईप्रोफोइल नेताओं में गिने जाते हैं. कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन भी बीजेपी के दंबग नेता के तौर पर गिने जाते हैं. प्रदीप बत्रा, शैला रानी रावत और उमेश शर्मा भी अपने जनाधार के साथ कमल को मजबूत कर रहे हैं.
साल 2017 में कांग्रेस को यशपाल आर्य ने दगा दी. उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने बेटे के साथ बीजेपी ज्वाइन की. इसके बाद यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य ने बीजेपी ने निशान पर चुनाव लड़ा. साल 2017 से 2022 तक यशपाल आर्य बीजेपी की राज्य सरकार में मंत्रीपद पर रहे. इन पांच सालों में यशपाल आर्य ने कांग्रेस को खूब कोसा. इसके बाद साल 2022 विधानसभा चुनाव से पहले उनकी भी कांग्रेस में वापसी हो गई. वहीं, 2022 चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे किशोर उपाध्याय ने भी पार्टी का बाय बाय कहा. किशोर उपाध्याय ने 2022 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. वे टिहरी से विधायक बने.
अब एक बार फिर से देशभर में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. ऐसे में राजनीतिक दलों में नेताओं की एंट्री और एग्जिट शुरू हो गई है. ऐसे में कांग्रेस में टूट का सिलसिला जारी है. हाल ही में कांग्रेस से पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत ने पार्टी से इस्तीफा दिया. उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की. इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक वर्मा ने भी अपने बेटे के साथ पार्टी को लोकसभा चुनाव से पहले अलविदा कहा. अशोक वर्मा नगर निगम में नेता नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखंड राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अशोक वर्मा के झटके से कांग्रेस निकल पाती की आज उसे एक और बड़ा झटका लगा है.आज ही उत्तराखंड कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. साल 2019 में कांग्रेस के टिकट से पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके मनीष खंडूडी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.मनीष खंडूडी की भी बीजेपी में जाने की चर्चाएं तेज हैं.
पढे़ं- लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, वरिष्ठ नेता अशोक वर्मा ने बेटे के साथ छोड़ी पार्टी
पढे़ं-ये हैं भाजपा के टिकट टू लोकसभा के 'पैरामीटर', परफॉर्मेंस, एंटी इनकंबेंसी से लेकर सर्वे पर जोर
पढ़ें- लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट जारी, उत्तराखंड से तीन नाम हुए फाइनल
पढ़ें- खास है गढ़वाल लोकसभा सीट का सियासी गणित, यहां समझिए चुनावी समीकरण से लेकर वोटों का हिसाब किताब
पढ़ें-अल्मोड़ा लोकसभा सीट के सियासी समीकरण का गुणा भाग, देखिए हमारी खास रिपोर्ट