नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होना है. इसको लेकर कांग्रेस और बीजेपी में सियासी लड़ाई छिड़ गई है. इस बीच, कांग्रेस ने बीजेपी पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है, साथ ही पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की टिप्पणियों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की जा रही है.
दरअसल, रविवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में आयोजित चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह लोगों की संपत्ति को मुसलमानों में बांट देगी. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक बयान का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इस मामले को लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से पीएम मोदी की शिकायत की है. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मोदी की टिप्पणियों पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है.
कांग्रेस पार्टी के अनुसार, यह निंदनीय है और देश के 140 करोड़ लोगों के प्रधानमंत्री के लिए पूरी तरह से अशोभनीय है. यदि प्रधानमंत्री इस स्तर तक गिर रहे हैं, तो यह उनके उच्च संवैधानिक पद पर बहुत खराब प्रभाव डालेगा. इस मामले पर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने ईटीवी भारत से कहा कि हिंदू-मुस्लिम के ये संदर्भ स्पष्ट रूप से चुनावों के ध्रुवीकरण के प्रयास हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को पीएम के ऐसे नफरत भरे भाषणों पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए. अन्यथा, लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थानों में लोगों का विश्वास हिल जाएगा.
पीएम मोदी के इस बयान पर जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस नेता और कांग्रेस मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा ने ईटीवी से कहा कि पीएम झूठ बोल रहे हैं. उन्हें ऐसी बातें करने की आदत है. किसी अन्य पूर्व प्रधानमंत्री ने ऐसा झूठ नहीं बोला. मैं पीएम को चुनौती देता हूं कि वह बताएं कि क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में हिंदू-मुस्लिम का कोई जिक्र है. हमारी सामाजिक कल्याण गारंटी समाज के सभी वंचित वर्गों के लिए है. हिंदू-मुस्लिम विभाजन पीएम के दिमाग में है.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रीय संसाधनों के वितरण के बारे में बात करते समय कभी भी धर्म का संदर्भ नहीं दिया. राज्यसभा सदस्य ने कहा कि पीएम की ऐसी विभाजनकारी टिप्पणियां 19 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव के बाद भाजपा के भीतर बेचैनी को दर्शाती हैं. जाहिर है कि उन्हें पहले चरण के मतदान में हार का एहसास हो गया है. इसलिए, प्रधानमंत्री बाकी चरणों की भरपाई के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का सहारा ले रहे हैं.
कांग्रेस नेता ने कहा कि कुछ समय पहले वह नॉनवेज खाने की बात कर रहे थे और अब मुसलमानों की बात कर रहे हैं. तन्खा ने कहा, प्रधानमंत्री कहीं भी अपनी सरकार द्वारा पिछले 10 वर्षों में किए गए कार्यों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं. प्रधानमंत्री हताश हैं क्योंकि लोग हमारे घोषणापत्र के बारे में बात कर रहे हैं जिसमें भाजपा की तुलना में सभी के लिए कल्याण का वादा किया गया है. ऐसी कोशिशें अब नहीं चलेंगी. ऐसा लगता है कि ये शब्द किसी पीएम के नहीं बल्कि घबराए हुए बीजेपी नेता के हैं.
तमिलनाडु के एआईसीसी प्रभारी अजय कुमार ने ईटीवी भारत से कहा कि यही कारण है कि हम संविधान और संवैधानिक संस्थानों की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए समान अवसर होना चाहिए. पक्ष और विपक्ष के नेताओं के द्वारा एक दूसरे की आलोचना की जा रही है