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हिंदी में पढ़ सकेंगे सिविल इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम, पढ़िए- क्या है कमलेश कमल का मातृभाषा के लिए विशेष योगदान - Hindi Day Special

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 14, 2024, 6:45 AM IST

Updated : Sep 14, 2024, 8:44 AM IST

Hindi Day Special: हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिंदी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी, क्योंकि भारत के ज्यादातार हिस्सों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का फैसला किया गया. इस मौके पर ईटीवी भारत ने मशहूर लेखक कमलेश कमल से बात की है, जो सिविल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रम को हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं.

HINDI DIWAS 2024
हिंदी दिवस विशेष (SOURCE: ETV BHARAT)

नई दिल्ली: अगर कोई अच्छी अंग्रेजी जानता है तो ये उसके लिए अच्छी बात है. अगर आप अच्छी हिंदी जानते हैं तो आपके लिए अच्छी बात है. आप हिंदी भाषी हैं इस पर गर्व कीजिए. ये बातें कही हैं हिंदी व अंग्रेजी के साहित्यकार व हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने. वो सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए साहित्यकार और हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने कहा कि हिंदी भाषा किसी भाषा से हीन नहीं है, हिंदी बहुत ही समृद्ध भाषा है. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता हिंदी के लिए खतरा हो सकती है. हिंदी में काम करें, हिंदी में हस्ताक्षर करें. अपने हिंदी को संवारें, शब्द भंडार व व्याकरण अच्छा करें, आपकी भाषा दोषरहित हो.

सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे कमलेश कमल
सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे कमलेश कमल (ETV Bharat)

ईटीवी भारत से बात करते हुए साहित्यकार और हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने कहा कि हिंदी भाषा किसी भाषा से हीन नहीं है, हिंदी बहुत ही समृद्ध भाषा है. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता हिंदी के लिए खतरा हो सकती है. हिंदी में काम करें, हिंदी में हस्ताक्षर करें. अपने हिंदी को संवारें, शब्द भंडार व व्याकरण अच्छा करें, आपकी भाषा दोषरहित हो.

हिंदी दिवस पर साहित्यकार कमलेश कमल से विशेष बातचीत (SOURCE: ETV BHARAT)

सिविल इंजीनियरिंग के इंगलिश पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं कमलेश कमल
कमलेश कमल वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के साथ मिलकर सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं. जिससे भविष्य में इंजीनियरिंग की पढाई हिंदी में हो सके. उनकी लिखी भाषा संशय शोधन नामक किताब भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में पढ़ने के लिए सरकार की तरफ से दी गई है, जिससे कर्मचारी अपनी भाषा, वर्तनी, व्याकरण आदि का सुधार कर सकें. इतना ही नहीं कमलेश कमल हिंदी में 2000 से अधिक लेख लिख चुके हैं. आइये जानते हैं कमलेश कमल से बातचीत के कुछ हिस्से

सवाल : आपको हिंदी व्याकरण पर काम करने की प्रेरणा कैसे मिली और क्या-क्या काम कर चुके हैं ?
जवाबः भाषा कोई बुरी नहीं होती है. हमें अंग्रेजी से भी कोई बैर नहीं है. हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों के प्रति बचपन से ही आकर्षण था. दो शब्दों के बीच जो विभेद होते हैं उसे समझने के लिए उत्सुकता थी. उदाहरण के लिए डेट ऑफ बर्थ अंग्रेजी का शब्द है, लेकिन इसे हिंदी में जन्मतिथि कहें या जन्मदिन कहें. तिथि पंचांग के अनुसार होता है और दिन कैलेंडर के हिसाब से होता है. साल में 365 दिन होते हैं लेकिन तिथि महीने में दो बार बदलती है. शब्दों को लेकर सामान्य जन में एक सही समझ विकसित नहीं है. मेरा प्रयास यही है कि धीरे-धीरे लोगों के अंदर हिंदी के शब्दों की सही समझ विकसित हो. इसके लिए प्रयास कर रहा हूं.

सवाल : सिविल इंजीनियरिंग के कोर्स का हिंदी अनुवाद कर रहे हैं. ये जिम्मेदारी कैसे मिली ?
जवाब : सरकार की तरफ से ये काम वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग को दिया गया है. यहां पर सिविल इंजीनियरिंग का शब्दकोश तैयार किया जा रहा है. इसमें मैं योगदान दे रहा हूं. उसका हिंदी अनुवाद कर रहा हूं. यह काम लगभग अब पूरा हो चुका है. ऐसे कार्य संस्थागत स्तर पर होते हैं और उसमें देश भर से विद्वान बुलाए जाते हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे भी इस कार्य के लिए बुलाया गया. पिछले 10 साल में भारत सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई सारे कदम उठा रही है. चिकित्सा और अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी में हो इस दिशा में भी काम हो रहा है. मंत्रालयों और विभागों में हिंदी में काम हो रहा है. लद्दाख, जम्मू कश्मीर और अरुणाचल में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला है. हिंदी चैनल को देखने और हिंदी अखबार को पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा है. अंग्रेजी के अखबारों और चैनल कुछ पढ़ने और देखने वाले लोगों की संख्या कम है. जरूरी नहीं है कि हर शब्द का हिंदी हो. कंप्यूटर व मटरगश्ती ये सब विदेशी शब्द हैं.

सवाल: सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में विद्यार्थियों को क्या-क्या नए हिंदी के शब्द पढ़ने को मिलेंगे ?
उत्तर: जहां पर नाम होता है उसे अनुवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. जैसे कि क्लोव लिफ्ट ब्रिज देखते हैं, इसका आकार लौंग के ऊपर के फूल के आकार का होता है. ऐसे में उसे हिंदी में लौंगाकार पुल कह सकते हैं. जैसे मशीन को यंत्र कहा जाता है. इस तरह मशीन चलाने वाला ऑपरेटर है उसे मशीन और यंत्री कह सकते हैं. जहां हिंदी को सरलता से समझा जा सके वहां पर हिंदी का प्रयोग हो और जहां पर अंग्रेजी का कोई शब्द है और वह चलन में है और लोग उसे समझ रहे हैं उसे अनावश्यक बदलने की जरूरत नहीं है. स्टेशन को स्टेशन कहने से कोई परेशानी नहीं है. यह वैश्वीकरण का दौर है. अंग्रेजी में भी हिंदी के शब्द हैं. अगर ये कहें कि हम किसी भाषा के शब्द को हिंदी में नहीं आने देंगे तो अलग-थलग पड़ जाएंगे. दूसरे भाषा के शब्दों का स्वागत कीजिए, लेकिन स्वयं को सशक्त करिए. एक अनुमान के मुताबिक करीब 7 लाख विदेशी शब्द हिंदी में शामिल हुए हैं. ये अच्छी बात है. यदि हम फेसबुक को मुखपोथी बोलेंगे तो इससे क्या हो जाएगा. इसे फेसबुक नाम से ही जानना बेहतर है. आज फेसबुक पर लोग हिंदी लिख रहे हैं. फेसबुक का नाम बदलने से नहीं बल्कि फेसबुक पर हिंदी लिखने से हिंदी का भला होगा.

सवाल: आज की युवा पीढ़ी हिंदी को कठिन मानने लगी है. अंग्रेजी को सरल मानती है. ऐसे में वो क्या करें?
जवाब: समाज के सामान्य तबके की भाषा हिंदी रही है, लेकिन यहां पर शासकों की भाषा पहले फारसी रही, फिर अंग्रेजी रही. अग्रेजों ने भारत पर शासन किया. उनकी भाषा अंग्रेजी थी. कामकाज भी अंग्रेजी में होता था. हर आदमी चाहता है कि हम ऊंचे तबके में जाएं. भारत पर शासन करने वालों की भाषा अंग्रेजी रही. लोगों को समझा दिया गया है कि ज्ञान विज्ञान की पढ़ाई हिंदी में नहीं हो सकती. यह समझने की जरूरत है कि जर्मनी, फ्रेंच समेत अन्य भाषा में ज्ञान विज्ञान की पढ़ाई हो सकती है तो हिंदी में क्यों नहीं हो सकती है. मातृभाषा कोई भी हो उसमें पढ़ाई की जा सकती है. वैज्ञानिकों का भी मानना है कि आरंभिक दौर में बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए. शब्द कठिन या सरल नहीं होते हैं. परिचित और अपरिचित होते हैं. किसी शब्द से हम परिचित है तो वह आसान है और अपरिचित है तो कठिन है. जो लोग कहते हैं कि उनके लिए हिंदी कठिन है उनकी अंग्रेजी भी ठीक नहीं होती है.

सवाल:रोजगार के सेक्टर में अंग्रेजी में ज्यादा काम हो रहा है जिससे हिंदी सिमटी जा रही है. इसे कैसे देखते हैं ?
जवाब: हिंदी अंग्रेजी की वजह से नहीं सिमट रही है. हिंदी का विस्तार हो रहा है. आज सोशल मीडिया पर हिंदी में लिखने वालों की संख्या बढ़ रही है. आज सबसे अधिक हिंदी के अखबार और हिंदी के चैनल हैं. अंग्रेजी की तुलना में हिंदी के दर्शकों और पाठकों की संख्या भी ज्यादा है. हिंदी को और समृद्ध किया जाए इस पर चिंता होनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता आपके लिए खतरा हो सकती है दूसरा कोई खतरा नहीं हो सकता है. अस्मिता बोध आपके अंदर नहीं है. हिंदी होकर हिंदी पर गर्व नहीं करते और आपको लगता है कि हम किसी से हीन हैं. कोई अंग्रेजी में दो लाइन बोल दिया और उसे खुद से बड़ा समझने लगे तो आपको अपने आप को समझने की जरूरत है. वह अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है तो आप अच्छी हिंदी बोल सकते हैं.

सवाल : इस बार के हिंदी दिवस पर युवाओं से क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : लोगों को इतने बड़े व्यापक वर्ग की भाषा का प्रतिनिधित्व करने का गर्व करना चाहिए. हिंदी किसी से हीन नहीं है बहुत ही समृद्ध भाषा है. हिंदी बोलने, हिंदी में काम करने पर गर्व करें. जरूरी नहीं है कि हस्ताक्षर अंग्रेजी में करें. हिंदी में भी हस्ताक्षर कर सकते हैं. आपके पास शब्द भंडार अच्छा हो. दोष रहित भाषा हो इसके लिए प्रयास करिए. लोग अक्सर अंग्रेजी की डिक्शनरी लाते हैं लेकिन हिंदी की डिक्शनरी नहीं लाते हैं. इस पर सोचने और समझने की जरूरत है और गर्व से कहने की जरूरत है कि हम हिंदी हैं.

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नई दिल्ली: अगर कोई अच्छी अंग्रेजी जानता है तो ये उसके लिए अच्छी बात है. अगर आप अच्छी हिंदी जानते हैं तो आपके लिए अच्छी बात है. आप हिंदी भाषी हैं इस पर गर्व कीजिए. ये बातें कही हैं हिंदी व अंग्रेजी के साहित्यकार व हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने. वो सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए साहित्यकार और हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने कहा कि हिंदी भाषा किसी भाषा से हीन नहीं है, हिंदी बहुत ही समृद्ध भाषा है. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता हिंदी के लिए खतरा हो सकती है. हिंदी में काम करें, हिंदी में हस्ताक्षर करें. अपने हिंदी को संवारें, शब्द भंडार व व्याकरण अच्छा करें, आपकी भाषा दोषरहित हो.

सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे कमलेश कमल
सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे कमलेश कमल (ETV Bharat)

ईटीवी भारत से बात करते हुए साहित्यकार और हिंदी व्याकरण के विद्वान कमलेश कमल ने कहा कि हिंदी भाषा किसी भाषा से हीन नहीं है, हिंदी बहुत ही समृद्ध भाषा है. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता हिंदी के लिए खतरा हो सकती है. हिंदी में काम करें, हिंदी में हस्ताक्षर करें. अपने हिंदी को संवारें, शब्द भंडार व व्याकरण अच्छा करें, आपकी भाषा दोषरहित हो.

हिंदी दिवस पर साहित्यकार कमलेश कमल से विशेष बातचीत (SOURCE: ETV BHARAT)

सिविल इंजीनियरिंग के इंगलिश पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं कमलेश कमल
कमलेश कमल वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के साथ मिलकर सिविल इंजीनियरिंग के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम का हिंदी शब्दकोश तैयार कर रहे हैं. जिससे भविष्य में इंजीनियरिंग की पढाई हिंदी में हो सके. उनकी लिखी भाषा संशय शोधन नामक किताब भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में पढ़ने के लिए सरकार की तरफ से दी गई है, जिससे कर्मचारी अपनी भाषा, वर्तनी, व्याकरण आदि का सुधार कर सकें. इतना ही नहीं कमलेश कमल हिंदी में 2000 से अधिक लेख लिख चुके हैं. आइये जानते हैं कमलेश कमल से बातचीत के कुछ हिस्से

सवाल : आपको हिंदी व्याकरण पर काम करने की प्रेरणा कैसे मिली और क्या-क्या काम कर चुके हैं ?
जवाबः भाषा कोई बुरी नहीं होती है. हमें अंग्रेजी से भी कोई बैर नहीं है. हिंदी और अंग्रेजी के शब्दों के प्रति बचपन से ही आकर्षण था. दो शब्दों के बीच जो विभेद होते हैं उसे समझने के लिए उत्सुकता थी. उदाहरण के लिए डेट ऑफ बर्थ अंग्रेजी का शब्द है, लेकिन इसे हिंदी में जन्मतिथि कहें या जन्मदिन कहें. तिथि पंचांग के अनुसार होता है और दिन कैलेंडर के हिसाब से होता है. साल में 365 दिन होते हैं लेकिन तिथि महीने में दो बार बदलती है. शब्दों को लेकर सामान्य जन में एक सही समझ विकसित नहीं है. मेरा प्रयास यही है कि धीरे-धीरे लोगों के अंदर हिंदी के शब्दों की सही समझ विकसित हो. इसके लिए प्रयास कर रहा हूं.

सवाल : सिविल इंजीनियरिंग के कोर्स का हिंदी अनुवाद कर रहे हैं. ये जिम्मेदारी कैसे मिली ?
जवाब : सरकार की तरफ से ये काम वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग को दिया गया है. यहां पर सिविल इंजीनियरिंग का शब्दकोश तैयार किया जा रहा है. इसमें मैं योगदान दे रहा हूं. उसका हिंदी अनुवाद कर रहा हूं. यह काम लगभग अब पूरा हो चुका है. ऐसे कार्य संस्थागत स्तर पर होते हैं और उसमें देश भर से विद्वान बुलाए जाते हैं. मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे भी इस कार्य के लिए बुलाया गया. पिछले 10 साल में भारत सरकार हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कई सारे कदम उठा रही है. चिकित्सा और अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी में हो इस दिशा में भी काम हो रहा है. मंत्रालयों और विभागों में हिंदी में काम हो रहा है. लद्दाख, जम्मू कश्मीर और अरुणाचल में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला है. हिंदी चैनल को देखने और हिंदी अखबार को पढ़ने वालों की संख्या ज्यादा है. अंग्रेजी के अखबारों और चैनल कुछ पढ़ने और देखने वाले लोगों की संख्या कम है. जरूरी नहीं है कि हर शब्द का हिंदी हो. कंप्यूटर व मटरगश्ती ये सब विदेशी शब्द हैं.

सवाल: सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई में विद्यार्थियों को क्या-क्या नए हिंदी के शब्द पढ़ने को मिलेंगे ?
उत्तर: जहां पर नाम होता है उसे अनुवाद करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. जैसे कि क्लोव लिफ्ट ब्रिज देखते हैं, इसका आकार लौंग के ऊपर के फूल के आकार का होता है. ऐसे में उसे हिंदी में लौंगाकार पुल कह सकते हैं. जैसे मशीन को यंत्र कहा जाता है. इस तरह मशीन चलाने वाला ऑपरेटर है उसे मशीन और यंत्री कह सकते हैं. जहां हिंदी को सरलता से समझा जा सके वहां पर हिंदी का प्रयोग हो और जहां पर अंग्रेजी का कोई शब्द है और वह चलन में है और लोग उसे समझ रहे हैं उसे अनावश्यक बदलने की जरूरत नहीं है. स्टेशन को स्टेशन कहने से कोई परेशानी नहीं है. यह वैश्वीकरण का दौर है. अंग्रेजी में भी हिंदी के शब्द हैं. अगर ये कहें कि हम किसी भाषा के शब्द को हिंदी में नहीं आने देंगे तो अलग-थलग पड़ जाएंगे. दूसरे भाषा के शब्दों का स्वागत कीजिए, लेकिन स्वयं को सशक्त करिए. एक अनुमान के मुताबिक करीब 7 लाख विदेशी शब्द हिंदी में शामिल हुए हैं. ये अच्छी बात है. यदि हम फेसबुक को मुखपोथी बोलेंगे तो इससे क्या हो जाएगा. इसे फेसबुक नाम से ही जानना बेहतर है. आज फेसबुक पर लोग हिंदी लिख रहे हैं. फेसबुक का नाम बदलने से नहीं बल्कि फेसबुक पर हिंदी लिखने से हिंदी का भला होगा.

सवाल: आज की युवा पीढ़ी हिंदी को कठिन मानने लगी है. अंग्रेजी को सरल मानती है. ऐसे में वो क्या करें?
जवाब: समाज के सामान्य तबके की भाषा हिंदी रही है, लेकिन यहां पर शासकों की भाषा पहले फारसी रही, फिर अंग्रेजी रही. अग्रेजों ने भारत पर शासन किया. उनकी भाषा अंग्रेजी थी. कामकाज भी अंग्रेजी में होता था. हर आदमी चाहता है कि हम ऊंचे तबके में जाएं. भारत पर शासन करने वालों की भाषा अंग्रेजी रही. लोगों को समझा दिया गया है कि ज्ञान विज्ञान की पढ़ाई हिंदी में नहीं हो सकती. यह समझने की जरूरत है कि जर्मनी, फ्रेंच समेत अन्य भाषा में ज्ञान विज्ञान की पढ़ाई हो सकती है तो हिंदी में क्यों नहीं हो सकती है. मातृभाषा कोई भी हो उसमें पढ़ाई की जा सकती है. वैज्ञानिकों का भी मानना है कि आरंभिक दौर में बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए. शब्द कठिन या सरल नहीं होते हैं. परिचित और अपरिचित होते हैं. किसी शब्द से हम परिचित है तो वह आसान है और अपरिचित है तो कठिन है. जो लोग कहते हैं कि उनके लिए हिंदी कठिन है उनकी अंग्रेजी भी ठीक नहीं होती है.

सवाल:रोजगार के सेक्टर में अंग्रेजी में ज्यादा काम हो रहा है जिससे हिंदी सिमटी जा रही है. इसे कैसे देखते हैं ?
जवाब: हिंदी अंग्रेजी की वजह से नहीं सिमट रही है. हिंदी का विस्तार हो रहा है. आज सोशल मीडिया पर हिंदी में लिखने वालों की संख्या बढ़ रही है. आज सबसे अधिक हिंदी के अखबार और हिंदी के चैनल हैं. अंग्रेजी की तुलना में हिंदी के दर्शकों और पाठकों की संख्या भी ज्यादा है. हिंदी को और समृद्ध किया जाए इस पर चिंता होनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि हिंदी की स्थिति खराब है. आपकी अक्षमता आपके लिए खतरा हो सकती है दूसरा कोई खतरा नहीं हो सकता है. अस्मिता बोध आपके अंदर नहीं है. हिंदी होकर हिंदी पर गर्व नहीं करते और आपको लगता है कि हम किसी से हीन हैं. कोई अंग्रेजी में दो लाइन बोल दिया और उसे खुद से बड़ा समझने लगे तो आपको अपने आप को समझने की जरूरत है. वह अच्छी अंग्रेजी बोल सकता है तो आप अच्छी हिंदी बोल सकते हैं.

सवाल : इस बार के हिंदी दिवस पर युवाओं से क्या कहना चाहेंगे?
जवाब : लोगों को इतने बड़े व्यापक वर्ग की भाषा का प्रतिनिधित्व करने का गर्व करना चाहिए. हिंदी किसी से हीन नहीं है बहुत ही समृद्ध भाषा है. हिंदी बोलने, हिंदी में काम करने पर गर्व करें. जरूरी नहीं है कि हस्ताक्षर अंग्रेजी में करें. हिंदी में भी हस्ताक्षर कर सकते हैं. आपके पास शब्द भंडार अच्छा हो. दोष रहित भाषा हो इसके लिए प्रयास करिए. लोग अक्सर अंग्रेजी की डिक्शनरी लाते हैं लेकिन हिंदी की डिक्शनरी नहीं लाते हैं. इस पर सोचने और समझने की जरूरत है और गर्व से कहने की जरूरत है कि हम हिंदी हैं.

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Last Updated : Sep 14, 2024, 8:44 AM IST
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